जुलाई बीत जाने के बाद भी बच्चों की किताबों के प्रति अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। किताबें न मिल पाने के कारण बच्चों का कोर्स समय से पूरा नहीं हो पाएगा। बच्चों की पढ़ाई को लेकर शिक्षक व शिक्षिकाएं परेशान हैं। दबी जुबान से शिक्षक व शिक्षिकाएं यह तक कह रहे हैं कि यूनीफार्म से पहले यदि किताबें मिल जातीं तो बेहतर होता।
जिले के करीब 1591 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तीन हजार शिक्षक व शिक्षिकाएं बच्चों को पढ़ा रहे हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत कई योजनाओं का लाभ बच्चों को दिया जाता है, जिसमें नि:शुल्क किताबें भी उपलब्ध कराई जाती हैं। एक अप्रैल से नवीन सत्र विद्यालयों में शुरू हो चुका है, लेकिन बच्चों को किताबें अभी तक नहीं मिलीं। किताबों के लिए कई माह पूर्व विभागीय अधिकारियों को डिमांड भेजी जा चुकी है, लेकिन आला अधिकारियों ने तत्परता नहीं दिखाई। किताबें न होने के कारण बच्चों को गृह कार्य करने में दिक्कत होती है। क्लास में शिक्षक पुरानी किताबों से पढ़ा तो देते हैं मगर बिना किताबों के बच्चे गृह कार्य कैसे करें।
शासन के निर्देश हैं कि बच्चों का कोर्स समय से पूरा हो लेकिन किताबें न होने के कारण समय से कोर्स पूरा होने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है। शिक्षक व शिक्षिकाएं लगातार बीएसए कार्यालय आकर किताबों की जानकारी ले रहे हैं, मगर उन्हें संतोषजनक जवाब तक नहीं मिलता।
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