DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Friday, July 10, 2020

राहतः पीएम केयर्स फंड पर टिप्पणी करने वाले शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक


शिक्षक को राहतः पीएम केयर्स फंड पर टिप्पणी करने वाले शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक


पीए केयर्स फंड को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले शिक्षक नेता को राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ़तारी पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत शिक्षक नेता पर मुकदमा दर्ज करने पर संबंधित आईओ को तलब कर लिया है।

कोर्ट ने कहा कि आईटी एक्ट की धारा 66 ए में मुकदमा दर्ज करना सुप्रीमकोर्ट के आदेश का स्पष्ट उलघंन है। इस मामले में अदालत प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तलब करना चाह रही थी, मगर मौजूदा कोविड 19 महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण ऐसा न करते हुए सिर्फ आईओ को तलब किया है। 


एटा के शिक्षक नेता नंदलाल सिंह यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ सुनवाई कर रही है। याची के अधिवक्ता सुनील यादव का कहना कहना था कि याची ने पीएम केयर्स फंड को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी की थी। जिस पर उसके खिलाफ मिराहची थाने में आईटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। अधिवक्ता का कहना था कि धारा 66 ए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है।


 सुप्रीमकोर्ट श्रेया सिंघल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के केस में इस धारा को असंविधानिक (अल्ट्रा वायरस) घोषित कर चुका है। सर्वोच्च अदालत ने इस आदेश की प्रति सभी राज्यों के उच्चन्यायालयों और मुख्य सचिवों को भी भेजने का निर्देश दिया ताकि इस धारा के तहत मुकदमे दर्ज न किए जाएं। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में धारा 66 ए के तहत बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। 


कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सुप्रीमकोर्ट की रोक के बावजूद मुकदमे दर्ज करना सर्वोच्च अदालत के आदेश का स्पष्ट उल्घंन है। कोर्ट ने याची पर दर्ज मुकदमे की जांच और उसकी गिरफ्तारी पर अगली सुनवाई तक रोक लगाते हुए विवेचनाधिकारी को अदालत में रिकार्ड के साथ हाजिर हाजिर होने का निर्देश दिया है। इस आदेश की प्रति संबंधित जिले के एसएसपी और डीजीपी को भी भेजने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।

No comments:
Write comments