DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Monday, January 11, 2021

72825 शिक्षक भर्ती के 11 बेसिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में, जानिए क्यों?

72825 शिक्षक भर्ती के 11 बेसिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में।

● अलग-अलग जिलों में 2007 व 2008 में पाया बीटीसी प्रशिक्षण

● मई 2016 में मेडिकल बोर्ड गठित रिपोर्ट मिलने पर प्रमाणपत्र शून्य


गड़बड़झाला: जांच में पकड़े गए फर्जी दिव्यांग बने 11 बेसिक शिक्षकों के प्रशिक्षण प्रमाणपत्र रद्द


प्रयागराज : परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से 11 शिक्षकों का बीटीसी प्रमाण पत्र रद कर दिया है। आने वाले दिनों में उनको सेवा से बर्खास्त करने की कार्रवाई की जाएगी। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि 72825 शिक्षक भर्ती के अंतर्गत कई चयनित होकर नौकरी कर रहे हैं। 



सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिव्यांग कोटे से प्रवेश लेकर आगे भी उसका लाभ लेने वाले शिक्षकों की जांच चल रही है। जांच के दौरान 11 ऐसे शिक्षकों की जानकारी हुई, जिन्होंने दिव्यांग कोटे में प्रवेश लेकर नौकरी में भी उसका प्रयोग किया था। जांच में खुलासा होने के बाद ऐसे 11 शिक्षकों का बीटीसी प्रमाण पत्र रद किया गया है।


प्रदेश सरकार फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हथियाने वालों पर हमलावर है। जांच में 11 प्राथमिक शिक्षक फर्जी दिव्यांग मिले हैं। उन्होंने न केवल दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे बीटीसी का प्रशिक्षण लिया, बल्कि उसी आधार पर शिक्षक के रूप में चयनित होने में सफल रहे। इन सभी का बीटीसी प्रमाणपत्र शून्य (यानी रद) कर दिया गया है, अब उन्हें सेवा से भी बर्खास्त करने की तैयारी है। मेडिकल रिपोर्ट आने में साढ़े चार साल से अधिक समय लगा है।

प्रदेश के सात जिलों में चिन्हित यह शिक्षक पहले फर्जी दिव्यांग बनकर बीटीसी का दो वर्षीय प्रशिक्षण कोर्स पाने के लिए चयनित हुए, फिर उन्होंने वर्ष 2007 व 2008 में प्रशिक्षण सत्र में कोर्स पूरा करने के बाद शिक्षक भर्ती में दिव्यांग बनकर ही दावेदारी की। नियुक्ति पाने के बाद उनकी शिकायत हुइर्, लेकिन उस पर पर्दा पड़ा रहा। कुछ अभ्यर्थी इस फर्जीवाड़े के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे। 

शीर्ष कोर्ट ने उप्र राज्य बनाम र¨वद्र कुमार शर्मा व अन्य की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए तीन फरवरी, 2016 को आदेश दिया कि इन अभ्यर्थियों की जांच मेडिकल बोर्ड गठित करके कराई जाए। शासन ने इसके अनुपालन में 13 मई, 2016 को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया। यह काम अब साढ़े चार साल बाद पूरा हुआ और जिला चयन समिति ने 11 शिक्षकों के प्रशिक्षण प्रमाणपत्र को शून्य करने की संस्तुति की। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि सभी के बीटीसी प्रमाणपत्र शून्य कर दिए गए हैं। अब जल्द ही शिक्षकों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई हो सकती है।

कई और लोगों पर भी की जाएगी कार्रवाई जल्द
विभिन्न जिलों से दिव्यांग बने करीब छह और प्रशिक्षण पाने वालों की रिपोर्ट आ गई है। जिला चयन समिति ने उनका प्रमाणपत्र भी शून्य करने की संस्तुति की गई है। सचिव का कहना है कि उनके प्रमाणपत्रों की जांच हो रही है, जल्द ही उन्हें भी शून्य करार दिया जाएगा।

No comments:
Write comments