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Thursday, December 9, 2021

आरक्षण के दायरे में आ सकता सांसदों का केंद्रीय स्कूल का प्रवेश कोटा

आरक्षण के दायरे में आ सकता सांसदों का केंद्रीय स्कूल का प्रवेश कोटा



 नई दिल्ली : केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए सांसदों को मिलने वाला कोटा भी अब आरक्षण के दायरे में आ सकता है। अभी तक इसमें किसी तरह का कोई आरक्षण लागू नहीं है। सांसद अपने क्षेत्र या फिर राज्य के किसी भी बच्चे का इस कोटे के जरिये केंद्रीय विद्यालयों में सीधे प्रवेश दिलाने में सक्षम हैं।


कुछ सांसदों की ओर से कोटे की पूरी व्यवस्था को और ज्यादा पारदर्शी बनाने की बात हो रही थी। कोटे से जुड़े कानूनी पहलुओं की जानकारी जुटाई जा रही है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इसे लेकर कोई अहम फैसला ले सकती है। सरकार इससे पहले केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों के प्रवेश में ओबीसी आरक्षण को लागू करने का फैसला ले चुकी है जो पिछले सत्र से ही लागू किया गया है। इससे पहले इनमें सिर्फ एससी और एसटी को ही आरक्षण मिलता था। आरक्षण पर सरकार कई और भी अहम फैसले कर चुकी है। इनमें हाल ही में मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए निर्धारित आल इंडिया कोटे में ओबीसी आरक्षण को लागू करने का निर्णय भी शामिल है।




केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए खत्म हो सांसद कोटा, उठी संसद में मांग


नई दिल्ली : केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए सांसदों को मिलने वाला कोटा अब उनके लिए ही आफत बन गया है। राज्यसभा में भाजपा नेता सुशील मोदी ने बुधवार को इस कोटे को खत्म करने की मांग को प्रमुखता से उठाया और कहा कि यह कोटा, सांसदों के चुनाव हारने का बड़ा कारण बन रहा है। यह इसलिए है, क्योंकि हर साल इस कोटे से केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश दिलाने के लिए उनके पास हजारों लोगों की सिफारिशें आती है जबकि वे तय कोटे के तहत सिर्फ 10 लोगों को ही खुश कर पाते है। 


खास बात यह है कि भाजपा सांसद की इस मांग का राज्यसभा के अन्य सदस्यों ने भी समर्थन किया। फिलहाल मौजूदा नियमों के तहत केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए सभी सांसदों (राज्यसभा व लोकसभा के सभी सदस्यों) के पास दस सीटों का सालना कोटा होता है। जिसके तहत वे अपने संसदीय क्षेत्र या राज्य के किन्हीं दस बच्चों का नजदीक के किसी भी केंद्रीय विद्यालय में सीधे प्रवेश दिला सकते हैं।


 वैसे तो केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश की अपनी तय प्रक्रिया है, जहां मेरिट के आधार पर ही प्रवेश दिया जाता है लेकिन सांसदों के इस कोटे से किसी को भी सीधे प्रवेश मिल जाता है। यही कारण है कि सांसदों के पास हर साल इस काम के लिए काफी सिफारिशें आती हैं। भाजपा सांसद ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए शिक्षा मंत्री की तारीफ की और कहा कि उन्होंने अपना कोटा खत्म करके अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि यह कोटा इसलिए भी खत्म होना चाहिए, क्योंकि इसमें आरक्षण का भी कोई प्रविधान नहीं है। ऐसे में 788 से ज्यादा सांसदों की ओर से हर साल इस कोटे के तहत केंद्रीय विद्यालयों में 78 सौ से ज्यादा जो प्रवेश कराए जाते हैं, उससे कमजोर और पिछड़े वर्ग के बच्चों को नुकसान होता है।

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