DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Thursday, April 14, 2022

महंगाई से कुपोषित हुई बच्चों को पोषित करने वाली योजना, वर्ष 2020 के बाद से नहीं बढ़ी कंवर्जन कास्ट

महंगाई से कुपोषित हुई बच्चों को पोषित करने वाली योजना


सरसों तेल, गैस सिलिंडर, दूध और फल-सब्जियों के दाम बढ़ने से गुणवत्ता में गिरावट के जरिए दिया जा रहा भोजन

4.97 रुपये (प्राथमिक), 7.45 रुपये (जूनियर) की मिल रही है कंवर्जन कास्ट

2020 के बाद से नहीं बढ़ी कंवर्जन कास्ट, 40 फीसदी तक बढ़ चुकी है भोजन की लागत
 
प्राथमिक स्कूल के प्रति छात्र 100 ग्राम और जूनियर हाईस्कूल के बच्चे को 150 ग्राम मिलता है चावल या गेहूं

100 एमएल प्राथमिक और 200 एमएल जूनियर के बच्चों को दूध देना होता है.



गुणवत्ता और पौष्टिकता की उम्मीद बेमानी :  दो साल से MDM कन्वर्जन कास्ट और 8 साल से फलों के लिए दिए जाने वाले धनराशि में नहीं हुई बढ़ोत्तरी


MDM : महंगाई चरम पर - दो साल से शासन ने नहीं बढ़ाई कनवर्जन कॉस्ट

बढ़ती महंगाई के दौर में दो साल से MDM की कन्वर्जन कॉस्ट न बढ़ने से गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध करा पाना बनी बड़ी चुनौती
 


बढ़ती महंगाई के चलते हर सामान के दाम बढ़ गए हैं। खाद्य तेल, दाल, सब्जी, गैस सिलेंडर की रोफिलिंग आदि पर महंगाई का असर हुआ, लेकिन बेसिक स्कूलों में चलाए जा रहे मध्याहन भोजन योजना के कन्वर्जन कॉस्ट में दो सालों से वृद्धि नहीं हुई है। कन्वर्जन कॉस्ट अभी भी अप्रैल 2020 के रेट पर चल रही है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध करा पाना चुनौती बन गया है।



 माध्यहन भोजन योजना का संचालन के तहत बच्चों को निशुल्क भोजन की व्यवस्था है। इन स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर 4.97 रुपये प्रति छात्र और उच्च प्राथमिक स्तर पर 7.45 रुपये प्रति छात्र की दर से कन्वर्जन कॉस्ट मिल रही है। वह कन्वर्जन फॉस्ट वर्ष 2020 में लागू हुई थी। तब से लगभग दो वर्ष का वक्त बीत चुका है, लेकिन कन्वर्जन कास्ट के रेट में एक पैसे की बढ़ोतरी नहीं हुई है। 


वर्तमान में खाद्य तेज, दाल, सब्जी, हरी सब्जी, फल व दूध आदि पर महंगाई की मार पड़ी है। गैस सिलेंडर रीफिलिंग के दाम लगोग दोगुने हो गए हैं। ऐसे में भोजन की गुणवत्ता क्या होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्ष 2020 में अरहर की दाल 80 रुपये के आसपास थी जो अब 130 रुपये से अधिक प्रति किलो हो गई है। सरसों का तेल दोगुने दाम पर मिल रहा है। 2020 में इसका रेट 100 रुपये के आसपास था जो अब लगभग 200 रुपये के आसपास है।


 कन्वर्जन कॉस्ट का रेट नहीं बढ़ने से प्रधानाध्यापकों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। विभागीय अधिकारी व प्रशासन के अधिकारी विद्यालय में निरीक्षण के समय पहले एमडीएम की गुणवत्ता ही चेक करते हैं। गुणवत्ता खराब मिलने पर संबंधित प्रधानाध के खिलाफ कार्रवाई होती है। शिक्षकों ने कन्वर्जन कॉस्ट के दामों में बढ़ोतरी की मांग की है। पहले हर वर्ष कन्वर्जन कॉस्ट बढ़ती रही है, लेकिन इस बार दो वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

No comments:
Write comments