बदहाल शिक्षा व्यवस्था का नमूना देखना है तो परशुरामपुर विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय सालेहपुर में आईए, यहां आपको ताला लटकता हुआ मिलेगा जो जुलाई से खुला ही नहीं। कहने को विद्यालय में 22 बच्चों का विभिन्न कक्षाओं में नामांकन हुआ है लेकिन सरकारी शिक्षा व्यवस्था यहां बहरी व गूंगी हो चुकी है। क्यों कि यहां तो गुरु जी ही नही है। सवाल यह है कि सब पढ़े, सब बढ़े, इस नारे का क्या मतलब है और स्कूल चलो रेलियां क्यों निकाली जा रही है? ग्रामीण बताते है कि पिछले सत्र तक विद्यालय ठीक से चल रहा था। यहां दो शिक्षक तैनात थे। इनमें से एक शिक्षक जो शिक्षामित्र से समायोजित होकर आए थे उनका स्थानांतरण हो गया। दूसरे शिक्षक भरतराज वर्मा का पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रमोशन हो गया। उसके बाद से ही विद्यालय में ताला लटक रहा है। प्राथमिक विद्यालय नेबुला प्रथम के अध्यापक शिवनाथ चौधरी को विद्यालय का चार्ज दिया गया है।वह कभी कभार आते हैं और विद्यालय देख कर चले जाते हैं। कुल मिलाकर यहां के बच्चे पढ़ें कैसे, अन्य बच्चों का नामांकन कैसे हो तथा मिड डे मील व पौष्टिक आहार वितरण जैसी योजनाओं का संचालन कैसे हो इस पर किसी का ध्यान नहीं है।
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