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Saturday, August 6, 2016

हरदोई : महंगाई व कमीशन में पिस रही ड्रेस की गुणवत्ता, अज्ञात शिक्षक ने बताया कमीशन दर

इतना जाता कमीशन  प्रबंध समिति अध्यक्ष : पांच फीसद बीईओ : पांच से 10 फीसद बीएसए : पांच से सात फीसद शिक्षक : 10 से 15 फीसद उच्चाधिकारी : तीन से पांच फीसद आडीटर : दो से तीन फीसद (आंकड़े एक शिक्षक के अनुसार)



गुणवत्तापूर्ण ड्रेस को लेकर शासन के निर्देश का पूरी तरह पालन कराया जाएगा। नाप के अनुसार बच्चों के ड्रेस मिलेगी और किसी भी सूरत में खेल नहीं होने दिया जाएगा।- मसीहुज्जमा सिद्दीकी, बीएसए

परिषदीय विद्यालयों के छात्रों को नि:शुल्क और अच्छी ड्रेस उपलब्ध कराने के लिए भले ही शासन गंभीर हो, लेकिन महंगाई और कमीशनबाजी के खेल में ड्रेस की गुणवत्ता तार-तार हो गई है। जिस प्रकार महंगाई और कमीशनबाजी बढ़ती है उसी प्रकार ड्रेस की गुणवत्ता कम होती जा रही है। आलम यह है कि बच्चों की यूनीफार्म एक शैक्षिक सत्र पूरा नहीं कर पाती।

सर्व शिक्षा अभियान और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रति शैक्षिक सत्र दो-दो ड्रेस उपलब्ध कराया जाता है। प्रत्येक ड्रेस के लिए 200 रुपये निर्धारित है। 400 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से विद्यालय प्रबंध समिति को धनराशि दी जाती है। जिले में कुल धनराशि की 75 फीसद 14.45 करोड़ रुपये आवंटित की जा चुकी है। जनपद के 2833 प्राथमिक, 1025 जूनियर और 20 कस्तूरबा आवासीय विद्यालय के छात्रों को ड्रेस उपलब्ध कराई जाती है। इससे जिले के पांच लाख 31 हजार 574 नौनिहाल प्रथम चरण में लाभांवित होंगे। वैसे तो ड्रेस वितरण की जिम्मेदारी प्रबंध समिति की है लेकिन इसमें सारा खेल विभागीय खंड शिक्षा अधिकारी व सहसमन्वयक के माध्यम से किया जाता है। महंगाई और कमीशनबाजी के खेल में ड्रेस की गुणवत्ता लगातार कम हो रही है।

यह है शासनादेश : विभागीय निर्देशानुसार विद्यालय प्रबंध समिति विद्यार्थियों की ड्रेस खरीदने के लिए पहले कपड़े के लिए कोटेशन आमंत्रित करे जिसमें अच्छी क्वालिटी का कपड़े का चयन करें। इसके बाद स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से ड्रेस सिलाई जाए। इसके लिए स्कूल पहुंच छात्रों की नाप ली जाए, ताकि उनके साइज के अनुसार ड्रेस वितरित की जा सके।

यह होता है खेल : शासन के निर्देशानुसार ड्रेस वितरण का केंद्रीकरण नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद वितरित की जाने वाली ड्रेस के संबंध में संबंधित फर्मो को जिम्मेदारी सौंप दी जाती है, जो मनमाने साइज और गुणवत्ता की ड्रेस स्कूलों में पहुंचा देते हैं। स्कूल शिक्षक के विरोध करने पर खंड शिक्षा अधिकारी और सहायक समन्वयक का दबाव डलवाते हैं।

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