सबको पता था कि अंबेडकर विवि के बीएड रिजल्ट में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ पर कुलपति से लेकर अफसरों ने कुछ नहीं किया। अब हाईकोर्ट के आदेश पर हुई जांच में सब खुल गया तो शुक्रवार को परीक्षा समिति की बैठक में बीएड सत्र 2005 के चार्ट फर्जी मानने को मजबूर होना पड़ा। विवि के लिए यह बहुत ही शर्म की घड़ी थी, परंतु इसके बाद भी अफसरों के चेहरों पर कोई शिकन नहीं थी। हालांकि बैठक में मामले के याचिकाकर्ता छात्र सुनील कुमार को जारी की गई बीएड की प्रथम श्रेणी की दूसरी मार्कशीट निरस्त कर दी है।
बीएड सत्र 2005 के छात्र सुनील की पहली मार्कशीट में 54 फीसद अंक थे। यह मार्कशीट गुम हो जाने पर उन्होंने डुप्लीकेट मार्कशीट निकलवाई थी, इसमें उनके अंक 84 फीसद थे। इस पर वर्ष 2013 में उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा कि विवि ने मुङो दो तरह की मार्कशीट दी हैं। इसकी जांच हो। हाईकोर्ट ने इसकी जांच विशेष जांच दल (एसआइटी) को सौंप दी। इसके बाद बड़े घोटाले का खुलासा हुआ, जिसके मजबूत सबूत हैं। एसआइटी ने 5186 फर्जी छात्रों का ब्योरा विवि प्रशासन को सौंपा है। इन सभी फर्जी छात्रों की मार्कशीट निरस्त की जानी है, इसे लेकर कुलपति आवास पर परीक्षा समिति की बैठक हुई। कुलसचिव केएन सिंह ने बताया कि एसआइटी द्वारा उपलब्ध कराई गई अवार्ड लिस्ट (मूल्यांकन के बाद फोइल में दर्ज होने वाले अंक) से सुनील कुमार की जो पहली मार्कशीट तैयार हुई थी, वही सही है। डुप्लीकेट मार्कशीट, जिसे बीएड के चार्ट से तैयार किया, वह गलत है। उसे निरस्त करने का फैसला लिया है। इस पर शनिवार को कार्य परिषद में अंतिम फैसला लिया जाएगा। वैसे विवि पहले कम अंकों वाली मार्कशीट को फर्जी बताता रहा था।
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