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Saturday, May 22, 2021

यूपी : नई शिक्षा नीति के बहाने एकसमान पाठ्यक्रम का विरोध शुरू, जानिए क्यों विरोध कर रहे शिक्षक

विवि व कालेजों में नए सत्र से एक समान पाठ्यक्रम होगा लागू

यूपी : नई शिक्षा नीति के बहाने एकसमान पाठ्यक्रम का विरोध शुरू, जानिए क्यों विरोध कर रहे शिक्षक



आगामी शैक्षिक सत्र (2021-22) से प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर एकसमान पाठ्यक्रम लागू करने के शासन के निर्देश का विरोध शुरू हो गया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि इससे विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्वायत्तता समाप्त हो जाएगी। फिर जब नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है तो एकसमान पाठ्यक्रम का कोई औचित्य नहीं है।


शासन ने 8 जून को मांगी है रिपोर्ट
शासन ने स्नातक स्तर पर अनिवार्य रूप से 70 प्रतिशत एकसमान पाठ्यक्रम लागू करने के संबंध में सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी तक आठ जून तक सूचित करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं सभी राज्य विश्वविद्यालयों की बोर्ड आफ स्टडीज की बैठक के लिए मई में ही तिथियां भी तय कर दी गई हैं। बोर्ड आफ स्टडीज की बैठक ही पाठ्यक्रम को मंजूरी दी जाती है। विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वे या तो उपलब्ध कराए गए पाठ्यक्रम को पूरी तरह स्वीकार कर लें या फिर उसमें 30 प्रतिशत बदलाव कर लें। स्नातक स्तर के विषयों से संबंधित ये पाठ्यक्रम अलग-अलग विश्वविद्यालयों से तैयार कराए गए हैं, जिसे बाद में विशेषज्ञों की कमेटी ने जांचा-परखा है। विशेषज्ञता के आधार पर अलग-अलग विषयों का पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी अलग-अलग विश्वविद्यालयों को दी गई थी।


क्यों विरोध कर रहे शिक्षक
पाठ्यक्रम की मंजूरी के लिए बोर्ड आफ स्टडीज की बैठकें शुरू होने के बाद शिक्षकों का विरोध सामने आया। कुछ शिक्षक संगठनों ने इसके विरोध में शासन को पत्र भी भेजा है। उनका कहना है कि नई शिक्षा नीति में न्यूनतम समान पाठ्यक्रम की कोई अवधारणा नहीं है। नई शिक्षा नीति में विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अकादमिक स्वायत्तता दिए जाने पर जोर दिया गया है, जबकि एकसमान या न्यूनतम समान पाठ्यक्रम से विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्वायत्तता समाप्त हो जाएगी। लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय ने कहा कि इस बाध्यकारी शासनादेश का विरोध किया जाएगा। एकसमान पाठ्यक्रम लागू किए जाने से शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा समाप्त हो जाएगी। इससे प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय पिछड़ जाएंगे। प्रदेश सरकार को अपना यह आदेश स्थगित करना देना चाहिए।


प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय व डिग्री कालेजों में एक जुलाई 2021 से शुरू हो रहे नए शैक्षिक सत्र से विद्यार्थियों को एक समान पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर अपनी बोर्ड आफ स्ट्डीज से इसे पास करवाकर आठ जून तक रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं। 


फिलहाल अब सभी विवि व कालेजों में विद्यार्थियों को 70 फीसद कोर्स एक समान पढ़ाया जाएगा। वहीं 30 फीसद कोर्स विवि अपने स्तर से निर्धारित कर सकेंगे। वह अपनी क्षेत्रीय कला, संस्कृति व इतिहास इत्यादि को शामिल करेंगे।


उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव श्रवण कुमार की ओर से विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को पत्र भेजा गया है और विश्वविद्यालयों की बोर्ड आफ स्ट्डीज की तारीख भी निर्धारित कर दी गई है। 26 मई तक सभी विश्वविद्यालय बोर्ड आफ स्ट्डीज की बैठक कर इसे आगे एकेडमिक काउंसिल से पास कराएंगे। वहीं आठ जून तक उन्हें इसकी रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग को भेजनी होगी। 


लुआक्टा के अध्यक्ष डा. मनोज पांडेय सहित अन्य शिक्षक नेताओं ने एक समान पाठ्यक्रम लागू करने का विरोध किया है। उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा को पत्र लिखकर इसे लागू नहीं करने की मांग की है।

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