DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Tuesday, May 25, 2021

बारहवीं की बोर्ड परीक्षा न कराने वाले राज्य छात्रों का करेंगे अहित, CBSE मजबूती के साथ परीक्षा कराने के पक्ष में

बारहवीं की बोर्ड परीक्षा न कराने वाले राज्य छात्रों का करेंगे अहित, CBSE मजबूती के साथ परीक्षा कराने के पक्ष में


 बारहवीं की बोर्ड परीक्षा न कराने के पक्ष में खड़े राज्यों को भले ही इस फैसले से कुछ फायदा नजर आ रहा हो, लेकिन भविष्य में इस फैसले से बच्चों के सामने कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। खासकर केंद्रीय मदद से संचालित होने वाले प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रवेश में दिक्कत खड़ी हो सकती है। जहां उन्हें परीक्षा देकर आए छात्रों के मुकाबले कमतर आंका जा सकता है। ऐसे ही समस्या विदेशी संस्थानों के दाखिले में पैदा हो सकती है।


राज्यों के इस फैसले से इन छात्रों पर सदैव बगैर परीक्षा दिए पास होने का ठप्पा लगेगा। जो भविष्य में आगे भी चुनौती खड़ी करता रहेगा। यही वजह है कि छात्रों के व्यापक हित को देखते हुए सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) जैसा केंद्रीय बोर्ड परीक्षा कराने के पक्ष में मजबूती से खड़ा है। 


पिछले साल भी परीक्षाओं को लेकर ऐसी ही चुनौती खड़ी हुई थी, तब मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था। उस समय भी केंद्र सरकार ने कहा था कि छात्रों की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है, लेकिन परीक्षा भी जरूरी है, क्योंकि इससे बच्चों का पूरा भविष्य जुड़ा है। बाद में स्थिति सामान्य होने के बाद सभी सुरक्षा मापदंडों को ध्यान में रखते हुए परीक्षा कराई गई थी। 


इस बार भी केंद्र का रुख ऐसा ही है। मंत्रलय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक फिलहाल सभी राज्यों को सुरक्षा प्रबंधन के साथ परीक्षा कराने की सलाह दी जाएगी। अब उस पर अमल करना या न करना उनके ऊपर है। फिलहाल किसी पर कुछ थोपा नहीं जाएगा। यह जरूर है कि यदि कुछ राज्यों में बच्चे बगैर परीक्षा दिए ही पास होकर आते है, तो प्रवेश परीक्षाओं आदि में सभी के बीच एकरूपता लाने में दिक्कत होगी। खासकर ऐसे विश्वविद्यालय जिनमें प्रवेश में बारहवीं के अंकों को भी आधार बनाया जाता है।

No comments:
Write comments