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Saturday, September 11, 2021

परिषदीय स्कूलों में बैग न किताब, बच्चे खाली हाथ, महीनों से था तैयारी का दावा

परिषदीय स्कूलों में बैग न किताब, बच्चे खाली हाथ, महीनों से था तैयारी का दावा


■ महीनों चली पढ़ाई की तैयारी, बच्चे पहुंचे तो इंतजाम नहीं

■ ब्लाक कार्यालयों में शिक्षक बुलाकर थमाई जा रही किताबें


लखनऊ : शैक्षिक सत्र के हिसाब देखें तो आधा सत्र इसी माह पूरा हो रहा है। अभी सभी विद्यालयों में किताबें नहीं पहुंचाई जा सकी हैं, जो स्कूल ब्लाक मुख्यालय के करीब हैं या जहां किताबें रखवाई गई हैं, वहां बच्चों को जरूर मिल गई हैं, बाकी राह देख रहे हैं। स्कूल बैग देने का निर्णय ही नहीं हो सका है। ज्यादातर बच्चे खाली हाथ आते हैं और गिनती, पहाड़ा याद करके लौट जाते हैं। शिक्षा विभाग के अफसर शिक्षकों को बुलाकर किताबें थमा रहे हैं।


बेसिक शिक्षा परिषद के 1.59 लाख प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का ये हाल तब है जब जुलाई से शिक्षकों को बुलाया जा रहा है, ताकि बच्चों को बुलाने के इंतजाम पूरे हो सकें। उस समय विद्यालयवार किताबें पहुंचाई जा सकती थीं लेकिन, विभाग ने पुस्तकों के प्रकाशन का पुख्ता इंतजाम नहीं किया था। स्कूल खुलने की जब तारीख तय नहीं हुई थी, तब पाठ्य पुस्तक अधिकारी श्याम किशोर तिवारी ने यह दावा जरूर किया था कि शिक्षकों को बच्चों के घर किताबें पहुंचाने का जिम्मा दिया गया है। 

हकीकत में बच्चे जब स्कूल पहुंचे तब से वे किताबें मिलने की राह देख रहे हैं। शिक्षक भी नाराज हैं कि उन्हें ही किताब लाने में लगाया गया है। ज्ञात हो कि छह से आठ तक के स्कूल 24 अगस्त से व पांचवीं तक के स्कूलों में दस दिन से बच्चे आ रहे हैं। बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने समीक्षा में पुस्तक वितरण पर सख्त नाराजगी जताई है।


बच्चों को बैग, स्वेटर, जूता-मोजा व यूनीफार्म भी विभाग मुहैया कराता रहा है। इनकी खरीद में गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं इसलिए पिछले साल तैयारी थी कि धन अभिभावकों के खाते में भेजा जाए। इस साल फिर खातों को दुरुस्त कराया गया, कई जगह अभिभावकों का स्कूल में दर्ज व बैंक खाते का नाम मिलान नहीं हो रहा है, इसे ठीक कराया जा रहा है। संकेत हैं कि इस पर जल्द निर्णय होगा।

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