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Tuesday, May 10, 2022

11 साल बाद भी स्कूलों को नहीं मिले प्रधानाचार्य, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की चयन प्रक्रिया का हाल

11 साल बाद भी स्कूलों को नहीं मिले प्रधानाचार्य


● माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की प्रधानाचार्य चयन प्रक्रिया का हाल

● 2011 की प्रधानाचार्य भर्ती के घोषित परिणाम में बनी अजीब स्थिति

● प्रधानाचार्य का चयन होने के बाद भी कार्यवाहकों के भरोसे ही रहेंगे स्कूल


प्रदेश के 4500 से अधिक सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक व प्रधानाचार्य भर्ती करने वाले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की भर्ती का यह हाल है कि 11 साल के इंतजार के बावजूद स्कूल को प्रधानाचार्य नहीं मिल सके। 2011 में शुरू प्रधानाचार्य भर्ती के तहत कानपुर मंडल के दो स्कूलों को छोड़कर चयन बोर्ड ने 94 इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्य भर्ती का परिणाम दो मई को घोषित किया था।


कानपुर मंडल का साक्षात्कार 2016 में शुरू हुआ था। एक दिन इंटरव्यू के बाद मामला हाईकोर्ट जाने से पूरी प्रक्रिया स्थगित की गई। पांच साल से अधिक समय तक कानूनी विवाद के बाद 31 मार्च व एक अप्रैल को फिर साक्षात्कार लिए गए। लेकिन 2016 में साक्षात्कार दे चुके कुछ अभ्यर्थियों का भी चयन हो गया। उनमें से कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं या दो-चार महीने में रिटायर हो जाएंगे।


उनकी सेवाएं पूरी होने के बाद फिर स्कूल की जिम्मेदारी कार्यवाहक प्रधानाचार्य को मिल जाएगी। उदाहरण के तौर पर महाराणा प्रताप उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भदवारा कानपुर नगर के लिए चयनित राजेश बाबू सचान पांच अक्तूबर को 62 वर्ष की आयु पूरी कर रहे हैं। सत्रलाभ अगले साल 31 मार्च तक के लिए मिलेगा और इसके बाद फिर पद खाली हो जाएगा। इससे पहले गोरखपुर, मेरठ, मुरादाबाद, चित्रकूट, बस्ती और फैजाबाद आदि मंडलों के परिणाम में भी ऐसी स्थिति देखने को मिली थी।


केस एक
भारतीय शिक्षा सेवा सदन इंटर कॉलेज कन्नौज में प्रधानाचार्य पद के लिए प्रथम वरीयता पर चयनित डॉ. नीलेश मिश्रा जुलाई 2021 में रिटायर हो चुके हैं। द्वितीय वरीयता पर चयनित अवधेश प्रताप सिंह पांच साल पहले रिटायर हो चुके हैं। तीसरी वरीयता के लिए कोई अभ्यर्थी नहीं था इसलिए 11 साल बाद दो मई को भर्ती का परिणाम घोषित होने के बावजूद स्कूल को प्रधानाचार्य नहीं मिल सका।


केस दो
सुभाष इंटर कॉलेज कन्नौज के लिए प्रथम वरीयता पर चयनित कृष्णपाल सिंह 30 नवंबर 2021 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले चुके हैं। दूसरी और तीसरी वरीयता के लिए कोई योग्य अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हुआ इसलिए इस स्कूल को भी प्रधानाचार्य नहीं मिल सका।

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