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Monday, January 23, 2023

UP : स्कूल कैंपस में हो सकेंगी शादियां और निजी कार्यक्रम, विद्यालय संचालन में मदद हेतु आय का एक नया रास्ता तैयार करने हेतु ड्राफ्ट जारी

UP :  स्कूल कैंपस में हो सकेंगी शादियां और निजी कार्यक्रम,  विद्यालय संचालन में मदद हेतु आय का एक नया रास्ता तैयार करने हेतु ड्राफ्ट जारी


उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों को अब निजी कार्यक्रमों के लिए किराए पर लिया जा सकेगा. उत्तर प्रदेश सरकार इस संबंध में विचार कर रही है. यूपी सरकार UP Board से जुड़े हुए सभी सरकारी सेकेंडरी स्कूलों को निजी कार्यक्रमों के लिए किराए पर अपना कैंपस देने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

सरकार का मकसद इसके जरिए सरकारी स्कूलों के लिए आय का एक नया रास्ता तैयार करना है. शिक्षा निदेशक महेंद्र देव ने बताया कि ये प्रस्ताव उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.

ड्राफ्ट पॉलिसी में प्रस्ताव दिया गया है कि स्कूल की छुट्टियों के दौरान विवाह समारोह और अन्य समारोहों की मेजबानी के लिए स्कूल कैंपस का इस्तेमाल करने की इजाजत देकर फंड इकट्ठा किया जा सकता है. इसमें कहा गया है कि स्कूल अपनी खाली जमीन पर स्पोर्ट्स, कल्चरल एक्टिविटी और प्रदर्शनियों जैसे कार्यक्रम भी आयोजित करवा सकते हैं. खाली जमीन का इस्तेमाल फसल उगाने, स्कूल का समय पूरा होने के बाद कंप्यूटर क्लास का वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल करने के लिए किया जा सकता है. इन सबसे स्कूल को फंड मिलेगा.


कैसे काम करेगा ये नियम?

पॉलिसी में प्रस्तावों पर विचार करने और अनुमति प्रदान करने के लिए जिला स्तर पर एक समिति गठित करने का भी प्रस्ताव है. छह सदस्यीय समितियों की अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे, जो इसके प्रमुख होंगे. मुख्य विकास अधिकारी इसके उपाध्यक्ष, जिला विद्यालय निरीक्षक इसके सदस्य सचिव होंगे. इसके अलावा, फाइनेंस एंड अकाउंट्स ऑफिसर, मैनेजर और प्रिंसिपल इसके सदस्य होंगे.

स्टेट पॉलिसी गाइडलाइंस के मुताबिक, स्कूलों को पहले अपनी प्रबंधन समितियों की आम सभा की बैठक में प्रस्ताव को मंजूर करने की जरूरत होगी और फिर इसे जिला स्तरीय समितियों को आगे की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. केवल उन्हीं प्रस्तावों को मंजूरी दी जाएगी जो स्कूल के नियमित पढ़ाई को प्रभावित नहीं करते हैं. उन प्रस्तावों को भी मंजूरी नहीं दी जाएगी, जिसमें कंस्ट्रक्शन की जरूरत होगी.

स्कूलों को चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा विधिवत ऑडिट किए गए कमाई को हासिल करने और जांच के लिए समिति को प्रदान करने के लिए भी सहमत होना होगा. उन्हें पारदर्शिता के लिए उन्हें अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर अपलोड करने की भी जरूरत होगी.




वैवाहिक समारोह के लिए किराए पर दे सकते हैं स्कूल परिसर? प्रस्ताव पर ई-मेल के जरिए 27 जनवरी तक मांगा गया सुझाव 


प्रयागराज  : हाई स्कूल और इंटर कालेजों के परिसर को छुट्टी के दिन वैवाहिक समारोह या अन्य उत्सवों के लिए किराए पर दिया जा सकता है। पढ़ाई को बिना बाधित किए स्कूल की जमीन और भवन का व्यावसायिक प्रयोग किया जा सकता है। व्यावसायिक प्रयोग से मिली धनराशि से स्कूल का विकास करना होगा।


 इस आशय से माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने कई बिंदुओं का एक प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव पर लोगों से ई-मेल schoolincomesuggestion@gmail.com पर 27 जनवरी तक सुझाव मांगा गया है। आए सुझावों पर विचार विमर्श करने के बाद आदेश जारी किया जाएगा।


 प्रदेश के मान्यता प्राप्त कई माध्यमिक विद्यालयों के भवन और फर्नीचर जर्जर हो गए हैं। विद्यालयों की प्रबंध समिति के पास बच्चों को पढ़ाने के लिए आधुनिक संशाधन जैसे स्मार्ट क्लस, कंप्यूटर लैब आदि की व्यवस्था करने के लिए धनराशि नहीं है। खेल उपकरण खरीदने के लिए धनराशि नहीं है। 


यह संशाधन उपलब्ध कराने के लिए शासन के पास भी बजट नहीं है। ऐसे में अच्छी पढ़ाई और स्कूलों के विकास के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव से प्रबंधन की आय बढ़ेगी तो स्कूलों का विकास होगा। प्रस्ताव में कहा कि छुट्टी के दिन स्कूल परिसर ( क्रीड़ा स्थल को छोड़कर) को वैवाहिक एवं अन्य उत्सवों के लिए किराये पर दिया जा सकता है।




अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में सुविधाएं जुटाने के लिए फीस बढ़ाने की अनुमति के साथ आय बढ़ाने के लिए सार्वजनिक कार्यक्रम, शादियां व अन्य कार्यक्रम की अनुमति देने पर भी मंथन

लखनऊ : अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में सुविधाएं जुटाने के लिए फीस बढ़ाने की तैयारी है।


प्रदेश में 5483 एडेड स्कूल हैं। राज्य सरकार इस पर विचार कर रही है। वहीं स्कूलों की आय बढ़ाने के लिए यहां सार्वजनिक कार्यक्रम, शादियां व अन्य कार्यक्रम की अनुमति देने पर भी मंथन चल रहा है।


राज्य सरकार की मंशा है कि एडेड स्कूलों की आय को बढ़ाया जाए ताकि भवन की मरम्मत, सुविधाएं, फर्नीचर आदि स्कूल अपने संसाधनों से जुटा सके। इस संबंध में कई बैठकें हो चुकी है। एडेढ स्कूलों की सालाना फीस 500 से 600 रुपये है। इन स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों की शिक्षा निशुल्क है यानी कोई फीस नहीं ली जाती। ऐसे में स्कूलों की आय का कोई साधन नहीं है।


इन स्कूलों के शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन सरकार देती है। ऐसे में सरकार कोई ऐसा रास्ता ढूंढ़ रही है जिससे स्कूलों की आय बढ़ जाए। इन स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सरकार ने 70 साल पुराने स्कूलों की मरम्मत व सौंदर्यीकरण की योजना बनाई थी लेकिन इसमें उतनी ही रकम प्रबंधन द्वारा लगाने का नियम है। ऐसे में यह योजना भी ठण्डे बस्ते में चली गई। इन स्कूलों में विद्यार्थियों के बैठने के लिए न तो ढंग के फर्नीचर हैं और न ही अन्य अन्य सुविधाएं।


इसके अलावा सरकार स्कूल परिसर में ऐसे कार्यक्रमों को ही अनुमति देने पर भी विचार कर रही है जिससे शिक्षण कार्यों में कोई बाधा न आए।

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