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Wednesday, August 23, 2023

फैसला : अनुकंपा नियुक्ति एकमुश्त वेतनमान पर नहीं –हाईकोर्ट

फैसला : अनुकंपा नियुक्ति एकमुश्त वेतनमान पर नहीं –हाईकोर्ट 



प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुकंपा कोटे में एकमुश्त वेतनमान पर कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की जा सकती है। उसे नियमित वेतनमान पर नियमित नियुक्ति ही दी जा सकती है। इसी के साथ कोर्ट ने एकमुश्त वेतनमान पर नियुक्त बेसिक शिक्षा विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को उसकी नियुक्ति की तिथि से नियमित वेतनमान देने का आदेश दिया है। साथ ही इस संदर्भ में बेसिक शिक्षा अधिकारी का आदेश रद्द कर दिया है।


यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने प्रवीण कुमार की याचिका पर अधिवक्ता विभु राय एवं धनंजय राय को सुनकर दिया है। एडवोकेट विभु राय व धनंजय राय का कहना था कि याची वर्ष 2004 में 2850 रुपये प्रतिमाह के एकमुश्त वेतनमान पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद पर नियुक्त किया गया । वर्ष 2010 में उसे नियमित वेतनमान पर नियुक्ति दी गई। तब से वह लगातार नियमित वेतन पा रहा है। 



याची ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कासगंज को प्रत्यावेदन देकर नियुक्ति तिथि से नियमित वेतनमान की मांग की, जिसे बेसिक शिक्षा अधिकारी ने निरस्त कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका की गई। हाईकोर्ट ने बीएसए कासगंज को रवि करण सिंह केस के निर्णय के आलोक में याची के मामले पर विचार करने का आदेश दिया। 


इसके बाद भी बीएसए ने यह कहते हुए याची का प्रत्यावेदन खारिज कर दिया कि 17 जून 1996 को निदेशक बेसिक शिक्षा ने आदेश किया था कि एकमुश्त वेतनमान पर नियुक्त कर्मचारियों को नियमित वेतनमान, नियमित किए जाने की तिथि से ही देय होगा । उससे पूर्व की सेवा के लिए नियमित वेतनमान नहीं दिया जा सकता। बीएसए के इस आदेश को पुनः हाईकोर्ट में चुनौती दी गई । एडवोकेट विभु राय ने हाईकोर्ट के पूर्व का निर्देश दिया है।


आदेशों की नजीर पेश करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुकंपा के आधार पर एकमुश्त वेतनमान पर नियुक्ति नहीं की जा सकती। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार के बाद कहा कि अनुकंपा नियुक्ति एकमुश्त वेतनमान पर नहीं की जा सकती। यह नियुक्ति नियमित वेतनमान पर ही होनी चाहिए। इसलिए जिन्हें एकमुश्त वेतनमान पर नियुक्ति दी गई है, उन्हें नियुक्ति तिथि से नियमित वेतनमान देय होगा। कोर्ट ने बीएसए का आदेश रद्द करते हुए उन्हें हाईकोर्ट के इस आदेश के आलोक में याची के प्रकरण पर दो माह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया।

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