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Wednesday, November 22, 2023

रामायण और महाभारत को स्कूली पाठयक्रम में शामिल करने की तैयारी, NCERT ने सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में शामिल करने की सिफारिश की

रामायण और महाभारत को स्कूली पाठयक्रम में शामिल करने की तैयारी

NCERT ने सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में शामिल करने की सिफारिश की



नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) अपने पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत पढ़ाए जाने की तैयारी कर रही है। एनसीईआरटी की सात सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत को शामिल करने की सिफारिश की है। इसे इतिहास के पाठ्यक्रम में भारत के शास्त्रीय काल की श्रेणी में रखा जाएगा। हालांकि अभी इस मामले में कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है।


सेवानिवृत्त इतिहासकार प्रोफेसर सीआई आईजैक ने बताया कि भारत के इतिहास के केवल तीन वर्गीकरण हुए हैं, जिनमें प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत को पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा, हमने इतिहास को चार कालखंडों में बांटने की भी सिफारिश की है। प्राचीन इतिहास के स्थान पर शास्त्रीय काल, मध्यकालीन भाग, ब्रिटिश युग और धाधुनिक भारत शामिल हैं। जिसमें शास्त्रीय काल के अंतर्गत भारतीय महाकाव्यों - रामायण और महाभारत को पढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने बताया कि छात्रों को यह पता होना चाहिए कि राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था।


कक्षा की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखने की भी सिफारिश : प्रो. आईजैक ने बताया कि किताबों में सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों के बारे में भी जानकारी होगी। छात्रों को भारतीय नायकों और संघषों के बारे में भी जानना चाहिए। वहीं, सभी क्लासरूम की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखने की भी सिफारिश है। यह प्रस्तावना विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में लिखी जाएगी, ताकि छात्र आसानी से उस प्रस्तावना - को पढ़ें, समझें और जीवन में उतारने की कोशिश करें।


नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में बदलाव : एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूली पाठ्यक्रम में -बदलाव कर रही है। इसके लिए 19 -सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी। इसी कमेटी ने सिलेबस में प्राचीन इतिहास की जगह क्लासिकल हिस्ट्री और हिंदू योद्धाओं की जीत की कहानियों को भी शामिल करने की सिफारिश की = है। उन्होंने कहा, जब नया पाठ्यक्रम बन रहा है तो उसमें वेद - और आयुर्वेद को भी शामिल किया जाना चाहिए। 


इंडिया की जगह भारत लिखना चाहिए

समिति ने सिफारिश की है कि भारतीय ज्ञान प्रणाली तैयार की जाए। पाठ्यक्रम में इंडिया की जगह भारत लिखना चाहिए। इससे पहले आईजैक ने अक्तूबर में कहा था कि भारत का जिक्र विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में है, जो सात हजार साल पुराने हैं। इंडिया नाम आमतौर पर ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद इस्तेमाल होना शुरू हुआ था। ऐसे में देश के लिए भारत नाम का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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