परिषदीय विद्यालयों में विभागीय उदासीनता के चलते रख-रखाव में बेहतर तब्दीली नहीं आ पा रही। वहीं धनाभाव में एमडीएम न बन पाने जैसी समस्याओं से जूझ रहे शिक्षकों का भी मनोबल टूट रहा है। अधिकांश विद्यालयों में कई वर्षों से चहारदीवारी न बनना, खराब हैंडपंपों का रि-बोर न होना विद्यालय की साफ-सफाई के लिए सफाई कर्मियों का न पहुंचना जिम्मेदारों की मंशा पर सवाल उठाने को काफी है। बुधवार को जागरण टीम के निरीक्षण में विद्यालयों में कुछ ऐसी ही हकीकत सामने आयी।दिन-बुधवार समय - 9.45 बजे1स्थान - प्राथमिक विद्यालय फरीदपुर1यहां प्रधानाध्यापक वंदना, सहायक हुसेन अहमद, रंजना मौर्य व दरख्शा खातून उपस्थित मिलीं। जबकि याकूब अली विद्यालय के ही काम से कहीं गए थे। कुल 106 में विद्यालय आए 52 बच्चों को अलग-अलग कक्षों में पढ़ाया जा रहा था। उधर बच्चे एमडीएम खाने के इंतजार में भी रहे। नये पंजीकृत 18 बच्चों में केवल दो बच्चे आए थे। अध्यापकों ने एक स्वर में विद्यालयों में खराब रख-रखाव पर मुहर लगायी। विद्यालय का शौचालय खराब है। शौचालयों में तो दरवाजा तक नहीं। पानी के अभाव में गंदा पड़ा है। पेयजल के नाम पर एक हैडपंप प्रदूषित पानी उगल रहा है। एक ओर जहां सफाईकर्मी विद्यालय में नहीं दिखता, वहीं कई माह से स्वास्थ्य टीम द्वारा टीकाकरण भी नहीं किया गया। मेन्यु के हिसाब से तहरीर बनी थी, लेकिन धनाभाव के चलते दूध बच्चों को नहीं मिला। यहां आंगनबाड़ी केंद्र नहीं खुला था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका भी अनुपस्थित रहीं।
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