लखनऊ। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधान द्वारा मिड डे मील बनाने की छूट से शिक्षक डरे हुए हैं। दरअसल वे मास्टरों पर ज्यादा संख्या भरने को लेकर दबाव बनाते हैं, यही नहीं यूनिफार्म खरीदने के लिए भी अपने ड्रेस विक्रेता को ही भेजते हैं, ऐसे में जब प्रधान अध्यापक उनकी नहीं मानते हैं तो वे मारपीट व खून खराबे पर आमादा हो जाते हैं।
प्राथमिक विद्यालय चांदगंज में देरी से आया खाना
चांदगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील मंगलवार को देरी से आया। मिड डे मील की आपूत्तर्ि कर रही अक्षयपात्र के कर्मचारी रास्ता जाम का बहाना बनाने लगे। स्कूल के सूत्रों का कहना है कि वह आए दिन ही लंच बीतने के बाद ही खाना लाता है। यही नहीं स्कूल के शिक्षकों व प्रधानाध्यापक श्रीमती रेखा यादव ने बताया कि सोमवार को वह फल नहीं लाया था, इसलिए मंगलवार को केले बांटे गये। इसके अलावा बाबा ठाकुरदास इण्टर कालेज व ब्वायज एंग्लो बंगाली में भी मौलाना आजाद मेमोरियल सोसाइटी के संचालकों ने खाना देरी से भिजवाया। बच्चों ने बताया कि खाने की गुणवत्ता अक्सर ही खराब रहती है, लेकिन शिक्षक उन लोगों को जबरदस्ती खाना खिलवा देते हैं। कई बच्चों ने मौके पर कहा कि फल के नाम पर सड़े केले महीने में एक बार बांटा जाता है।
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