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Friday, May 21, 2021

उच्च शिक्षा : अंतिम वर्ष वाले छात्र-छात्राओं की होगी परीक्षा, समिति ने शासन को सौपीं रिपोर्ट

उच्च शिक्षा : अंतिम वर्ष वाले छात्र-छात्राओं की होगी परीक्षा, समिति ने शासन को सौपीं रिपोर्ट


लखनऊ कोरोना के चलते महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में स्नातक प्रथम, द्वितीय वर्ष और स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करने की सिफारिश की गई है। वहीं, स्नातक और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा कराई जाएगी। यह सिफारिश तीन कुलपतियों की कमेटी ने प्रदेश सरकार को सौंपी रिपोर्ट में की है।

कमेटी में छत्रपति शाहूजी महाराज विवि कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक, लखनऊ विवि के कुलपति प्रो. आलोक राय और महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विवि बरेली के कुलपति प्रो. कृष्णपाल सिंह थे। परीक्षा का प्रारूप विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर तय करने की छूट देने की सिफारिश की गई है।


ये सिफारिशें

■ जो विद्यार्थी अभी द्वितीय वर्ष में है, उन्हें सत्र 2020-21 में भी बिना परीक्षा के प्रमोट किया गया था। अगले वर्ष स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा के साथ उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा भी ली जाए। द्वितीय वर्ष की परीक्षा के अंकों के आधार पर प्रथम वर्ष के अंक निर्धारित किए जाएं, ताकि विद्यार्थी केवल एक वर्ष की परीक्षा देकर ही स्नातक उत्तीर्ण न हो।

■ प्रथम वर्ष के जिन विद्यार्थियों को प्रमोट किया जाएगा, उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा के प्राप्तांक के आधार पर प्रथम वर्ष के अंक निर्धारित किए जाएं।


राज्य मुख्यालय : प्रदेश में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र-छात्राओं को प्रोन्नत किया जाएगा। कोरोना महामारी की परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने के बारे में शासन को सलाह देने के लिए कुलपतियों की तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी। समिति ने शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें गत वर्ष की भांति अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं कराने की संस्तुति की गई है। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय राज्य सरकार की ओर से लिया जाएगा। फिलहाल इससे प्रदेश के लाखों छात्र लाभान्वित होंगे । 


कोरोना महामारी में उच्च शिक्षा के छात्रों की परीक्षा कराई जाएं या फिर प्रोन्नत किया जाएं या कोई अन्य विकल्प लिया जाए तो इसके लिए शासन ने तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। इसमें लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय, कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक और महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के कुलपति प्रोफेसर कृष्ण पाल सिंह शामिल है।

पिछले वर्ष के मॉडयूल पर समिति सहमत

समिति ने उच्च शिक्षण संस्थान के हर पहलू पर मंथन किया। इसमें सेमेस्टर आधारित पाठ्यक्रम में कुछ विश्वविद्यालयों में पिछले सत्र में पहले सेमेस्टर की परीक्षा हो चुकी थी। जबकि इस शैक्षणिक सत्र में प्रवेश विलंब से होने के कारण सेमेस्टर की परीक्षा भी नहीं हुई है। ऐसे में पूर्व के सेमेस्टर के आधार पर अंक देकर प्रमोट किया जा सकता है। बीते वर्ष शैक्षणिक सत्र में स्नातक प्रथम व द्वितीय वर्ष और परास्नातक के प्रथम वर्ष के छात्रों को इस आधार पर प्रमोट किया गया था। सूत्रों के अनुसार समिति ने माना है कि कोरोना काल के दौरान परीक्षाएं कराना असंभव है और ऑनलाइन भी परीक्षाएं होना काफी मुश्किल हो जाएगा।

बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित होगी परीक्षा

लविवि में बीते वर्ष शासन के निर्देश पर अंतिम वर्ष के स्नातक व परास्नातक के अंतिम वर्ष की परीक्षा कराई गई थी। साथ ही पीजी डिप्लोमा की भी परीक्षा हुई थी। यह परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्न (एमसीक्यू) के आधार पर हुई थी। इसी आधार पर लविवि में परीक्षा कराने की संभावना है।

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