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Monday, July 26, 2021

रिपोर्ट में दावा : कोरोना काल में 55 फीसदी निजी स्कूल शिक्षकों के वेतन में हुई कटौती


रिपोर्ट में दावा : 55 फीसदी निजी स्कूल शिक्षकों के वेतन में हुई कटौती, 54 फीसदी के पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं

55 फीसदी से अधिक विद्यालयों ने इस शैक्षणिक वर्ष में नए प्रवेशों की संख्या में बड़ी कमी की बात कही है।


कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए बए पाबंदियों की वजह से देश भर के अधिकांश निजी स्कूलों के रेवन्यू में 20-50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जिसकी वजह से कुछ विद्यालयों ने शिक्षकों में कटौती करना शुरू कर दिया है। यह दावा भारत में गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा पर काम करने वाले एनजीओ सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन (सीएसएफ) की रिपोर्ट में किया गया है।  आप यह खबर प्राइमरी का मास्टर डॉट इन पर पढ़ रहे हैं। बता दें कि यह रिपोर्ट 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1,100 से अधिक अभिभावकों, स्कूल प्रशासक और शिक्षक के बातचीत के आधार पर किए गए अध्ययन पर आधारित है।


55 फीसदी स्कूलों में नए प्रवेशों की संख्या में आई कमी

रिपोर्ट के मुताबिक 55 फीसदी से अधिक विद्यालयों ने इस शैक्षणिक वर्ष में नए प्रवेशों की संख्या में बड़ी कमी की बात कही है। वहीं 77 फीसदी स्कूलों ने कहा कि वे कोविड-19 के दौरान स्कूल के लिए ऋण लेने में रुचि नहीं रखते हैं, और केवल तीन फीसदी ने ही सफलतापूर्वक ऋण लिया है, जबकि पांच फीसदी अभी भी अपने लोन के प्रोसेस होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।


55 फीसदी शिक्षकों के वेतन में की गई कटौती
निजी स्कूलों के तकरीबन 55 फीसदी शिक्षकों के वेतन में लॉकडाउन के दौरान कटौती की गई है। वहीं कम फीस वाले विद्यालयों द्वारा करीब 65 फीसदी शिक्षकों की सैलरी रोक दी गई थी। 37 फीसदी शिक्षकों का वेतन ज्यादा फीस वाले विद्यालयों ने रोक दिया है। उच्च शुल्क वाले स्कूलों द्वारा रोक दिया गया। तकरीबन 54 फीसदी शिक्षकों के पास आय का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं है, 30 प्रतिशत ने अपने वेतन को निजी ट्यूशन और कोचिंग के साथ पूरक किया।


50 फीसदी ने ही किया फीस का भुगतान
रिपोर्ट में कहा गया है कि 70 फीसदी अभिभावकों ने स्कूल फीस समान होने की बात कही है। हालांकि केवल 50 फीसदी अभिभावकों ने ही फीस का भगुतान किया है। 20 फीसदी माता-पिता ने प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे पर खर्च में वृद्धि की सूचना दी और 15 फीसदी ने शिक्षा खर्च में वृद्धि की सूचना दी है। 78 फीसदी अभिभावकों ने बताया कि वे अपने बच्चे की शिक्षा का खर्च उसी स्कूल में जारी रखने में सक्षम होंगे।

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