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Thursday, July 22, 2021

विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार करने पर डीआईओएस शाहजहांपुर तलब

अनुकंपा नियुक्ति से इन्कार पर डीआइओएस तलब, मांगा स्पष्टीकरण, विवाहित पुत्री ने की नौकरी देने की मांग

विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार करने पर डीआईओएस शाहजहांपुर तलब


प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति देने से इन्कार करने व आदेशों की अनदेखी पर जिला विद्यालय निरीक्षक शाहजहांपुर को तलब किया है। कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाय? यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने शाहजहांपुर की माधुरी मिश्र की याचिका पर दिया है।


याची का कहना था कि उसके पिता बिनोवा भावे इंटर कालेज कांठ, शाहजहांपुर में सहायक अध्यापक थे। सेवाकाल में 25 मई 2019 को उनकी मृत्यु हो गई। याची उनकी विवाहित पुत्री है, उसने अनुकंपा आधार पर नियुक्ति देने के लिए आवेदन किया था। उसे जिला विद्यालय निरीक्षक ने निरस्त कर दिया। इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। 


कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए प्रकरण जिला विद्यालय निरीक्षक को वापस कर दिया। जिला विद्यालय निरीक्षक ने 16 जून 2020 को पुन: याची का प्रत्यावेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि ऐसा कोई शासनादेश नहीं है जिसके आधार पर विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।



इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार करने व इस संबंध में अदालत द्वारा दिए गए तमाम आदेशों की अनदेखी करने पर जिला विद्यालय निरीक्षक शाहजहांपुर को तलब कर लिया है। कोर्ट ने उनको उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई अमल में लाई जाए।

शाहजहांपुर की माधुरी मिश्रा की याचिका पर न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने यह आदेश दिया। याची का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि याची के पिता बिनोवा भावे इंटर कॉलेज काठ शाहजहांपुर में सहायक अध्यापक थे। सेवाकाल में 25 मई 19 को उनकी मृत्यु हो गई। याची उनकी विवाहित पुत्री है। उसने अनुकंपा आधार पर नियुक्ति देने के लिए आवेदन किया था। जिसे जिला विद्यालय निरीक्षक ने निरस्त कर दिया। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए प्रकरण वापस डीआईओएस शाहजहांपुर को भेज दिया। 

डीआईओएस ने 16 जून 2020 को पुन: याची का प्रत्यावेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि ऐसा कोई शासनादेश नहीं है जिसके आधार पर विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। अधिवक्ता का कहना था कि जिला विद्यालय निरीक्षक ने हाईकोर्ट द्वारा पारित उन तमाम आदेशों की अनदेखी की है, जिनमें विवाहित पुत्री को भी परिवार की परिभाषा में शामिल किया गया है। कोर्ट ने कहा कि डीआईओएस का आदेश देखने से स्पष्ट है कि उन्हें अदालत के आदेशों की जानकारी थी। इसके बावजूद उन्होंने जानबूझकर उन आदेशों की अनदेखी की। कोर्ट ने डीआईओएस को अगली तारीख पर उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है।

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