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Thursday, June 30, 2022

बेसिक शिक्षा का हाल : तिमाही परीक्षा आई पर किताबें नहीं मिल पाईं

कैसे होगी पढ़ाई? तीन माह बाद भी नहीं आ पाईं पुस्तकें 🤔

बेसिक शिक्षा का हाल : तिमाही परीक्षा आई पर किताबें नहीं मिल पाईं



परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक सत्र शुरू होने के तीन महीने बाद भी बच्चों को किताबें नहीं मिल पाईं हैं। नई शिक्षा नीति के तहत प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में पहली बार तिमाही परीक्षाएं होंगी। जो कि जुलाई के अंत में हो सकती है। शिक्षा विभाग परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है।


ऐसे में बिना किताब बच्चे परीक्षाओं की तैयारी कैसे करेंगे। इससे पहले राज्य सरकार ने मिशन प्रेरणा के तहत साल में दो बार स्टूडेंट असेसमेंट टेस्ट लेने का निर्णय किया था, लेकिन कोरोना के कारण यह संभव नहीं हो पाया। इस बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बेसिक शिक्षा विभाग साल में चार बार परीक्षाएं लेगा। हर तीन महीने में अलग लक्ष्य तय किए जाएंगे।


परिषदीय विद्यालय में बीते अप्रैल माह से ही नया शैक्षणिक सत्र शुरू है, लेकिन अभी तक छात्रों को पढ़ने के लिए निशुल्क पाठ्य पुस्तकें नहीं आ पाई हैं। अधिकांश छात्र पुरानी किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ छात्र ऐसे भी हैं जिनके पास किताब ही नहीं है। 


विभाग का कहना है कि पाठ्य पुस्तकें शासन स्तर से आती हैं। उसके लिए टेंडर जारी हो चुका है। सितंबर माह से शासन से जिलों में किताबें आनी शुरू हो जाएंगी। सत्यापन के बाद उसका वितरण छात्रों में करा दिया जाएगा। सवाल उठ रहा है कि नए सत्र के आरम्भ में ही छात्रों को विभाग नई पाठ्य पुस्तकें क्यों नहीं उपलब्ध करा पा रहा है।


बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय विद्यालयों के शैक्षणिक परिवेश को कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर बेहतर बनाने की सरकारी कोशिश जारी है। मिशन कायाकल्प से अवस्थापना सुविधा बेहतर बनाने के लिए भारी भरकम धनराशि खर्च की जा रही है। 


कम्पोजिट ग्रांट से विद्यालय व्यवस्था प्रबंधन के लिए छात्र संख्या के आधार पर एसएमसी के खाते में पहले की तुलना में अधिक धनराशि शासन से आ रही है। पढ़ाई के लिए बेहद जरूरी किताब भी छात्रों को समय से नहीं मिल पा रही हैं। 


प्रदेश में सरकार किसी भी दल का हो, लेकिन पाठ्य पुस्तकों के वितरण में देरी की समस्या पिछले डेढ़ दशक से है। जुलाई अगस्त से पहले पाठ्य पुस्तकें नहीं आ पाती हैं। जिले से लेकर ब्लाक व स्कूलों में किताबों के पहुंचने में अक्सर सितंबर-अक्तूबर माह गुजर जाता है। देर से किताब पहुंचने के बाद शिक्षक उसका वितरण छात्रों में करते हैं।


विभाग का कहना है कि नई पाठ्य पुस्तक के अभाव में पढ़ाई प्रभावित नहीं है। क्योंकि पिछले सत्र समाप्ति के समय शिक्षक छात्रों से पुरानी किताबें एकत्र करा लिए थे।

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