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Wednesday, June 8, 2022

मदरसों में NCERT पाठ्यक्रम लागू, धार्मिक के साथ आधुनिक शिक्षा में दक्ष होंगे छात्र

मदरसों में वैकल्पिक नहीं अनिवार्य होगी गणित और विज्ञान की पढ़ाई

मदरसों में NCERT पाठ्यक्रम लागू, धार्मिक के साथ आधुनिक शिक्षा में दक्ष होंगे छात्र



उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने स्कूलों की तर्ज पर मदरसों में आधुनिक शिक्षा की कवायद शुरू कर दी है। वर्तमान सत्र से मदरसों में गणित, विज्ञान, नागरिक शास्त्र और इतिहास अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा।


मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। इससे पहले मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ उर्दू, अंग्रेजी व हिंदी ही अनिवार्य थी। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड ने मदरसों में सात विषयों की पढ़ाई अनिवार्य करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस सभी विषयों के प्रश्न पत्र 100 - 100 अंकों के होंगे।


परिषद ने मदरसों में कक्षा एक से 12 तक की कक्षाओं में प्रारंभिक गणित, नागरिक शास्त्र, प्रारंभिक विज्ञान व इतिहास को अनिवार्य कर दिया है। छात्र अब तीन के बजाय सात विषयों को अनिवार्य रूप से पढ़ेंगे। ये विषय पहले वैकल्पिक रूप से पढ़ाए जाते थे। अब स्थायी किए जाने से छात्रों को पढ़ाई करने में आसानी होगी। 


उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद लखनऊ के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद का कहना है कि मदरसों में पहले भी वैकल्पिक रूप से आधुनिक विषय पढ़ाए जा रहे थे। अब इन्हें अनिवार्य किया जा रहा है। इससे मदरसों में पढ़ने वाले छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे।



यूपी के मदरसों में आधुनिक विषयों की पढ़ाई पर जोर


लखनऊ । प्रदेश के मान्यता प्राप्त व अनुदानित मदरसों की परीक्षाओं में अब धार्मिक शिक्षा, अरबी और फारसी के पर्चों के नम्बर कम होंगे। उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद ने इन तीनों विषयों के कुल 100 नम्बर तय किए हैं जबकि आधुनिक विषयों-अंग्रेजी, विज्ञान, कम्प्यूटर सांइस, गणित, हिन्दी, समाज विज्ञान आदि विषयों के पर्चे क्रमश: 100-100 नम्बर के होंगे।


यह जानकारी परिषद के चेयरमैन डा. इफ्तेखार जावेद ने दी। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम में विषय बदले गए हैं। परिषद का फैसला हो गया है। हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, कम्प्यूटर साइंस, समाज विज्ञान को अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही अब परीक्षार्थियों के लिए पूर्णांक भी तय किए गए हैं। धार्मिक शिक्षा (दीनयात) और अरबी व फारसी को सौ नम्बर में बांटा गया है।


वजह पूछे जाने पर चेयरमैन ने कहा कि मकसद यह है कि देश तेजी से बदल रहा है तो मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में भी उसी के अनुरूप बदलाव करने पड़ेंगे। मदरसों में धार्मिक शिक्षा बेशक पठन-पाठन का अनिवार्य अंग है। मगर सिर्फ धार्मिक शिक्षा ग्रहण कर के मौलवी और इमाम बनने से भविष्य नहीं संवरेगा।


जरूरत इस बात की है कि इन मदरसों से पढ़कर निकलने वाले अब समाज की मुख्यधारा में शामिल होते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा अन्य व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की शिक्षा भी ग्रहण कर सकें।

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