सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों के चेहरे मंगलवार को खिले हुए दिखे। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव द्वारा समायोजित शिक्षामित्रों के जिले के अंदर हुए तबादलों को निरस्त करने के आदेश पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा रोक लगाए जाने से शिक्षामित्रों में खासी खुशी दिखाई पड़ी। शिक्षामित्रों ने प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह की अगुवाई में बैठक कर खुशी का इजहार किया और बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई को लेकर भी चर्चा की। शिक्षामित्रों ने कहा कि वह पिछले एक दशक से पूरे मनोयोग से प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने में लगे हुए हैं। उनकी तैनाती परिषदीय विद्यालयों में तब हुई जब लोगों का विश्वास सरकारी स्कूलों से उठ रहा था। धीरे-धीरे उनकी मेहनत ने रंग दिखाया और बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में भी चहल पहल दिखाई पड़ने लगी। सभी ने इसको माना भी कि शिक्षामित्रों की मेहनत से ही सरकारी स्कूल चल रहे हैं। इसके बावजूद भी शिक्षामित्रों का शोषण बंद नहीं हुआ। अभी हाल ही में कुछ शिक्षामित्रों का स्थानांतरण जिले के अंदर एक स्कूल से दूसरे स्कूल में किया गया। जिस पर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने रोक लगाते हुए सभी हुए तबादलों को निरस्त करने की बात कही। सचिव के आदेश पर बीएसए ने भी समायोजित शिक्षामित्रों के तबादलों को निरस्त कर दिया। जिसके विरोध में शिक्षामित्रों ने उच्च न्यायालय की इलाहाबाद पीठ में अपील की थी। जहां बीते सोमवार को शिक्षामित्रों को बड़ी राहत मिली। कोर्ट ने समायोजित शिक्षामित्रों का एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में तबादला नहीं करने के आदेश को अंतिम आदेश तक रोक दिया है। आदेश की कांपी मंगलवार को जिले में पहुंची तो यहां के शिक्षामित्र झूम उठे। बैठक में बलराम सिंह, रणंजय सिंह, रामसजीवन मौर्या, बेर्रा तिवारी, जग प्रसाद, सूर्य भान सिंह, विजय, जावेद सहित दर्जनों की संख्या में समायोजित शिक्षामित्र मौजूद रहे।
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