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Friday, June 19, 2020

साक्षात्कार : नई शिक्षा नीति से निकलेगी स्वर्णिम भविष्य की राह : निशंक


साक्षात्कार : नई शिक्षा नीति से निकलेगी स्वर्णिम भविष्य की राह : निशंक


कोरोना संक्रमण की आंच जब भारत में पड़ने लगी, वह छात्रों के लिए परीक्षाओं का काल था। दसवीं, बारहवीं के बाद भविष्य के सपने देखने और बुनने का काल था। लेकिन कोरोना और लॉकडाउन ने सब कुछ बीच में ही रोक दिया। चिंता बड़ी थी। परीक्षा के नतीजों के लिए अभी इंतजार हो रहा है, लेकिन अच्छी बात यह हुई कि पढ़ाई नहीं रुकी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इसे सुनिश्चित किया। दैनिक जागरण के संपादक मंडल के साथ निशंक ने नई शिक्षा नीति, भविष्य के रोडमैप को लेकर बातचीत की। प्रस्तुत है एक अंश :


सवाल : लॉकडाउन के बाद पढ़ाई तो हो रही है, लेकिन स्कूलों के खुलने को लेकर असमंजस है। स्कूलों को कब तक खोलने की योजना है?
जवाब : कोरोना संकट के कठिन समय में हमने चुनौतियों को अवसर में तब्दील करने की कोशिश की है। हम ऑनलाइन माध्यम से छात्रों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। रही बात स्कूलों को खोलने की, तो परिस्थितियों के आधार पर इस बारे में फैसला लिया जाएगा। जब भी स्कूल खोले जाएंगे, गृह और स्वास्थ्य मंत्रलय के निर्देशों के बाद ही यह फैसला लिया जाएगा।


सवाल : देश के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमण की स्थिति उतनी व्यापक नहीं है। ऐसी स्थिति में इन क्षेत्रों में स्कूलों को खोलने में क्या संकोच है?
जवाब- कोरोना संक्रमण को लेकर प्रधानमंत्रीजी लगातार राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा कर रहे हैं। मैं भी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और छात्रों के साथ संवाद कर रहा हूं। राज्यों की जो परिस्थितियां होंगी, उसके आधार पर वे निर्णय ले सकते हैं। लेकिन, उन्हें गृह और स्वास्थ्य मंत्रलय के साथ चर्चा करके ही यह फैसला लेना होगा।


सवाल- ऑनलाइन के जरिये क्या शिक्षा की मंशा पूरी हो पाएगी? फिलहाल यह पढ़ाई छात्रों पर बोझ जैसा दिखने लगा है, जिसमें घंटों कंप्यूटर के सामने बच्चे बैठे होते हैं।
जवाब- ऐसी परिस्थितियों में हम कर भी क्या सकते हैं? ऑनलाइन के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है। हम कहना चाहते हैं, कि ऑनलाइन शिक्षा भी अब जरूरी है। दूरस्थ शिक्षा के जरिये पहले से ही शिक्षा दी जा रही है। जब स्थिति सामान्य होगी, तब ऑनलाइन और क्लास रूम दोनों के जरिये शिक्षा कैसे और कितने समय देनी है, इस पर फैसला लिया जाएगा।


सवाल- लेकिन दूरस्थ शिक्षा की गुणवत्ता हमेशा से कठघरे में रही है। इसे दोयम दर्जे का माना जाता है।
जवाब- ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर हम काफी सचेत हैं। इसकी गुणवत्ता को और बेहतर बनाने से जुड़े सभी जरूरी कदमों पर विचार करने को कहा गया है। दूरस्थ शिक्षा के स्तर में कोई कमी नहीं होने देंगे। हर तीन महीने में अपने स्तर पर इसकी समीक्षा करेंगे।


सवाल- दूरदराज या ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे बच्चे जिनके पास कंप्यूटर नहीं हैं, उनके लिए ऑनलाइन शिक्षा का कोई मतलब नहीं है। ऐसे में उन्हें पढ़ाने की क्या योजना है?
सवाल- यह बात सही है कि अब भी बड़ी संख्या में छात्रों के पास कंप्यूटर और इंटरनेट नहीं है। ऐसे में हम दूसरे माध्यमों से भी उन तक पहुंचने और उन्हें पढ़ाने की योजना पर काम कर रहे है। हाल ही में हमने स्वयंप्रभा के 32 चैनलों में से स्कूलों के लिए 12 नए चैनल शुरू करने का फैसला लिया है। पीएम-ई-विद्या के तहत वन क्लास-वन चैनल योजना है। इसमें पहली से बारहवीं तक के प्रत्येक क्लास के लिए एक चैनल होगा। फिर भी जो छात्र इसमें भी छूटेंगे, उन्हें रेडियो से जरिये पढ़ाने को लेकर भी काम कर रहे हैं।


सवाल- नई शिक्षा नीति में निजी क्षेत्र को स्वायत्तता न देने जैसी आशंका जताई जा रही है। हकीकत क्या है?
जवाब- नहीं ऐसा नहीं है। हम तो स्वायत्तता के पक्षधर हैं। मोदी सरकार के आने के बाद हम ज्यादा से ज्यादा संस्थानों को स्वायत्तता दे रहे हैं। हाल ही में 20 संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इनमें 10 सरकारी और 10 निजी संस्थान हैं।


सवाल- उच्च शिक्षण संस्थान में प्रवेश के लिए कट ऑफ 98 फीसद या उससे ज्यादा जा रहा है। ऐसे में आवेदन करने वाले बड़ी संख्या में छात्रों को प्रवेश नहीं मिलता है। इस विसंगति को कैसे ठीक करेंगे?
जवाब- सभी संस्थानों के प्रवेश के अपने नियम हैं और अपनी क्षमता है। इसके अलावा हम सौ शीर्ष संस्थानों में ऑनलाइन कोर्स शुरू करने जा रहे हैं। इसके शुरू होने से यह गैप खत्म होगा और जिन्हें रेगुलर प्रवेश नहीं मिल पाएगा, वे ऑनलाइन या दूरस्थ के जरिये इन संस्थानों से पढ़ाई कर सकेंगे।


सवाल- उच्च शिक्षण संस्थानों को लेकर जब भी दुनिया की कोई रैंकिंग जारी होती है, वह दिन शर्मिदगी भरा होता है, क्योंकि हमारे संस्थान उस रैंकिंग में नहीं दिखते हैं। इसे लेकर क्या कर रहे हैं?
जवाब- देश के लोगों को अब शर्मिदा होने की जरूरत नहीं है। जो स्थिति आप बता रहे हैं, वह 2013 के पहले की स्थिति थी। लेकिन अब हमारे संस्थान क्यूएस रैंकिंग और टाइम रैंकिंग दोनों में आते हैं। हमारे संस्थानों से पढ़े बच्चे आज दुनियाभर की शीर्ष कंपनियों में अग्रणी भूमिका में हैं।


सवाल- क्या पाठ्यक्रम में बदलाव की भी कोई योजना है?
जवाब- हमेशा प्रत्येक पांच वर्ष में पाठ्यक्रम में परिवर्तन होता है। नई शिक्षा नीति में हमारा फोकस ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान के साथ भारत केंद्रित होगा। ऐसे में जब हम भारत केंद्रित की बात कर रहे हैं, तो पाठ्यक्रम में भी बदलाव होगा। उसे जोड़ेंगे। जो भारत के लिए गौरव की बात है। नई शिक्षा नीति संस्कारों से युक्त होगी।

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