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Monday, June 29, 2020

एक प्रश्नपत्र लागू करने से हुआ नुकसान, NCERT पैटर्न के कारण यूपी बोर्ड परीक्षा के परिणाम में आई गिरावट

एक प्रश्नपत्र लागू करने से हुआ नुकसान, NCERT पैटर्न के कारण यूपी बोर्ड परीक्षा के परिणाम में आई गिरावट।

प्रयागराज : एनसीईआरटी पैटर्न अपनाए जाने के बाद से यूपी बोर्ड की लगातार तीन परीक्षाओं में इंटरमीडिएट के परिणाम में कमी देखी जा रही है। भले ही 2019 की परीक्षा की अपेक्षा अबकी बार परिणाम में चार फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन पूर्व में 2015 में 88.83 फीसदी परिणाम की अपेक्षा यह बहुत कम है।






इंटरमीडिएट में दो और तीन प्रश्नपत्रों के स्थान पर एकल प्रश्न पत्र की व्यवस्था लागू करने के बाद परीक्षा फल में गिरावट दर्ज की जा रही है। बोर्ड के अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि बदलाव परीक्षाफल पर भारी पड़ा। यूपी बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो 2015 में इंटरमीडिएट का परिणाम 88.83 फीसदी, 2016 में 87.99 फीसदी, 2017 में 82.62 फीसदी था। 2018 की परीक्षा से यूपी बोर्ड की ओर से एनसीईआरटी पैटर्न अपनाया जाने लगा था, 2019 की परीक्षा में इसे पूरी तरह लागू कर दिया गया। 2018 में रिजल्ट 72.43 फीसदी तो 2019 में यह गिरकर 70.06 फीसदी पहुंच गया। 2020 में रिजल्ट 74.63 फीसदी पहुंच गया। इस प्रकार बोर्ड की ओर से इंटरमीडिएट में भौतिकी, रसायन, गणित सहित मानविकी के विषयों नागरिक शास्त्र, भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र विषय में एनसीईआरटी का पैटर्न अपनाए जाने के बाद परिणाम में गिरावट दर्ज की गई। हाई स्कूल में पहले से ही कल प्रश्न पत्र की व्यवस्था लागू होने से परीक्षार्थियों ने यहां बदलाव को स्वीकार कर लिया। परिणाम पिछले वर्ष 80.07 फीसदी रहा।



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