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Thursday, January 11, 2024

मनपसंद जिले में तबादला शिक्षकों का मूल अधिकार नहीं, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

अंतरजनपदीय तबादला निरस्त करने के खिलाफ याचिकाएं हुईं खारिज, जानिए क्यों? 


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नीति विरुद्ध प्रधानाध्यापकों का अंतरजनपदीय तबादला निरस्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी। कहा है कि तबादला नीति में सामान्यतया कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करतीं, जब तक की मनमानी न हो। नीति के खंड पांच को अधिक स्पष्ट करने पर बल दिया। कोर्ट ने कहा तबादला नीति प्रशासनिक नीति है। कोई वैधानिक प्रावधान नहीं, जिसे कोर्ट से लागू कराया जाए। यह भी कहा कि किसी को मनपसंद जिले में तबादले का मूल अधिकार नहीं है।


यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने श्रद्धा यादव व छह अन्य, मिथिलेश यादव, मीनाक्षी गुप्ता, विवेक श्रीवास्तव व छह अन्य की याचिकाओं पर दिया है। अपर मुख्य सचिव ने दो जून 23 को 2023-24 की अंतरजनपदीय तबादला नीति जारी की। याचियों ने ऑनलाइन आवेदन किया और उनके तबादले कर दिए गए, लेकिन कार्यमुक्त नहीं किया गया तो याचिका दायर की।


बेसिक शिक्षा परिषद ने तबादला निरस्त कर दिया। कहा कि याची पदोन्नत होकर प्रधानाध्यापक हो चुके हैं। जिन जिलों में इनका तबादला किया गया है, इन्हीं के बैच के सहायक अध्यापक कार्यरत हैं।


यदि तबादला किया गया तो असहज स्थिति होगी। सहकर्मी के साथ असमंजसता की वजह से कार्य करने में प्रतिकूलता होगी। यह नहीं कह सकते कि तबादला निरस्त करना न्याय संगत नहीं है और तबादला निरस्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। 


मनपसंद जिले में तबादला शिक्षकों का मूल अधिकार नहीं, हाई
कोर्ट ने याचिका खारिज की

जून 2023 में अपर मुख्य सचिव ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति जारी की थी 


प्रयागराज  । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि स्थानांतरण नीति प्रशासनिक होती है। यह कोई वैधानिक प्रावधान नहीं, जिसे न्यायालय से लागू कराया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को मनपसंद जिले में स्थानांतरण का मूल अधिकार नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने प्रधानाध्यापिकाओं का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण निरस्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है।

तब तक हस्तक्षेप नहीं, जब तक मनमानी न होः यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने श्रद्धा यादव, मिथिलेश यादव, मीनाक्षी गुप्ता और विवेक कुमार श्रीवास्तव व अन्य कई की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायालय स्थानांतरण नीति में सामान्यतया तब तक हस्तक्षेप नहीं करता, जब तक कि मनमानी न हो। कोर्ट ने स्थानांतरण नीति के खंड 5 को अधिक स्पष्ट करने पर बल दिया।


मामले के तथ्यों के अनुसार अपर मुख्य सचिव ने दो जून 2023 को 2023-24 की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति जारी की। याचियों ने ऑनलाइन आवेदन किया और उनके स्थानांतरण कर दिए गए लेकिन कार्यमुक्त नहीं किया गया। इस पर याचिकाएं की गईं। 

बेसिक शिक्षा परिषद ने स्थानांतरण निरस्त कर दिया। कहा गया कि याची पदोन्नत होकर प्रधानाध्यापक हो चुके हैं। जिन जिलों में इनका स्थानांतरण किया गया है, वहां इन्हीं के बैच के सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। यदि याचियों का स्थानांतरण किया गया तो असहज स्थिति होगी। सहकर्मी के साथ असमंजसता के कारण कार्य करने में प्रतिकूलता होगी। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि स्थानांतरण निरस्त करना न्यायसंगत नहीं है और स्थानांतरण निरस्त नहीं किया जा सकता। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।


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