DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Friday, January 19, 2024

गैरलाभकारी संस्था प्रथम फाउंडेशन द्वारा 26 राज्यों में 28 जिलों के 34,745 किशोरों से बातचीत पर आधारित 'Annual Status Of Education Report (असर–रूरल) 2023- Beyond Basics' जारी

गैरलाभकारी संस्था प्रथम फाउंडेशन द्वारा 26 राज्यों में 28 जिलों के 34,745 किशोरों से बातचीत पर आधारित 'Annual Status Of Education Report (असर–रूरल) 2023- Beyond Basics' जारी


गैरलाभकारी संस्था प्रथम फाउंडेशन द्वारा 26 राज्यों में 28 जिलों के 34,745 किशोरों से बातचीत पर आधारित 'एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (रूरल), 2023- बियोंड बेसिक्स', दरअसल ग्रामीण भारत में 14-18 के किशोरों के शैक्षिक स्तर की पड़ताल है, जो परेशान करती है, तो कुछ मामलों में आश्वस्त भी करती है। 

सर्वेक्षण के लिए इसमें देश भर के प्रत्येक राज्य के एक- एक ग्रामीण जिले को, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दो-दो ग्रामीण जिलों को चुना गया था। पता चलता है कि 25 फीसदी किशोर अपनी क्षेत्रीय भाषा में दूसरी कक्षा का पाठ नहीं पढ़ पाते, जबकि 56.7 फीसदी को गणित में भाग करने में परेशानी आई ! ऐसे ही, करीब 57.3 फीसदी किशोर अंग्रेजी में वाक्य पढ़ सकते हैं, और इनमें से तीन चौथाई (73.4 फीसदी) इसका अर्थ बता सकते हैं। जाहिर है, यह हताश करने वाली स्थिति है। 

सर्वे में शामिल 43.7 फीसदी किशोरों व 19.8 प्रतिशत किशोरियों के पास खुद का स्मार्टफोन है, लेकिन 9.9 फीसदी किशोरों और 8.3 प्रतिशत किशोरियों के पास ही कंप्यूटर लैपटॉप है। यह भी कोई अच्छी तस्वीर पेश नहीं करता। हालांकि कुछ तथ्य स्थिति बेहतर होने की बात कहते हैं। जैसे, उम्र के साथ नामांकन प्रतिशत बढ़ा है और 86.8 फीसदी से अधिक किशोर शैक्षणिक संस्थानों में पंजीकृत हैं। 

नामांकन में लैंगिक खाई भी घट रही है। वर्ष 2017 में 11.9 फीसदी लड़कों के मुकाबले 16 फीसदी लड़कियां स्कूल कॉलेज में नहीं थीं, यानी अंतर करीब चार फीसदी का था। लेकिन 2023 में यह अंतर घटकर महज 0.2 फीसदी रह गया। ग्रामीण किशोरियों की स्थिति अलबत्ता तुलनात्मक रूप से हताशाजनक है। मसलन, वे इंजीनियर और डॉक्टर बनना तो चाहती हैं, लेकिन मानविकी पढ़ने के लिए विवश हैं। डिजिटल कौशल में भी वे अपने समवयस्क किशोरों से पीछे हैं। 

सर्वे के अनुसार, मात्र 5.6 फीसदी किशोर व्यावसायिक प्रशिक्षण ले रहे हैं, जबकि सरकार व्यावसायिक प्रशिक्षण को गांवों तक ले जाने की कई योजनाओं पर काम कर रही है। 


ASER रिपोर्ट का दावा, 25 फीसदी छात्र कक्षा दो की क्षेत्रीय भाषा की पुस्तक पढ़ने में असमर्थ

नई दिल्ली। देश के 25% 14 से 18 आयु वर्ग के छात्र कक्षा दो की क्षेत्रीय भाषा की पुस्तक पढ़ने में असमर्थ हैं। आधे से अधिक युवा भाग के सामान्य सवाल हल करने में पीछे हैं। यह खुलासा वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (असर) 2023 में हुआ है। 


दिल्ली में बुधवार को भारत में सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को दर्शाती असर रिपोर्ट 2023 जारी की गई है। असर रिपोर्ट के लिए 26 राज्यों के 28 जिलों में 14 से 18 आयु वर्ग के 34,745 बच्चों पर सर्वेक्षण किया है। देशभर के प्रत्येक राज्य के एक ग्रामीण जिले को चुना गया है, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दो-दो ग्रामीण जिलों को सर्वे के लिए चुना गया था। 


असर रिपोर्ट 2023 रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर के 86.8% छात्र किसी न किसी शैक्षणिक संस्थान में नामांकित हैं लेकिन आयु के अनुसार नामांकन में कुछ अंतर है। इसके मुताबिक 14 वर्ष के 3.9% और 18 वर्ष के 32.6% युवा कहीं भी पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, 14 साल के 96.1% छात्रों ने शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश लिया था, लेकिन जब 18 साल के बच्चों की बात आती है तो यह प्रतिशत तेजी से गिरकर 67.4% हो गया।



STEM एरिया यानी साइंस, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी व मैथ्स में अब लड़कों का रुझान बढ़ रहा, असर रिपोर्ट में खुलासा 


अभी तक इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, साइंस, मैथ्स यानी स्टेम में लड़कियों का दबदबा होता था। लेकिन अब एक बड़ा बदलाव असर 2023 रिपोर्ट में दिखा है। इसके स्टेम एरिया यानी साइंस, मुताबिक, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी व मैथ्स में अब लड़कों का रुझान बढ़ रहा है। 

देश में 36.3% लड़के इन विषयों में पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि लड़कियां का यहां आंकड़ा महज 28.1% है। हालांकि, उच्च शिक्षा तक आते-आते बेटियां आगे निकल जाती हैं। वहीं, 70.9% लड़के कक्षा दो की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषा में कर पाते हैं तो लड़कियों का यह आंकड़ा 76% है। हालांकि, लड़के अंग्रेजी और गणित में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।



यूपी : स्कूली बच्चों के नामांकन में वाराणसी टॉप पर, ASER 2023 की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

लखनऊ। प्रदेश में पठन-पाठन व स्कूली बच्चों (14 से 18 साल) की शिक्षा में अपेक्षाकृत सुधार हो रहा है। देश में जहां इस आयु वर्ग के 86.8 फीसदी बच्चों का नामांकन विभिन्न विद्यालयों में हैं, वहीं वाराणसी में कुल 91.2 फीसदी बच्चों का नामांकन हुआ है। हाथरस में बच्चों का कुल नामांकन 81.07 फीसदी ही है। 


यह आंकड़े प्रथम संस्था की ओर से हाल ही में जारी असर-2023 की रिपोर्ट में सामने आए हैं। संस्था की ओर से देश के 26 राज्यों व 28 जिलों में 14 से 18 साल के बच्चों की शैक्षिक स्थिति का सैंपल सर्वे किया गया था। इसमें के वाराणसी व हाथरस ग्रामीण में भी सर्वे किया गया। 


रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी में 30.6% बच्चे सरकारी स्कूलों में व बाकी प्राइवेट व अन्य शैक्षिक संस्थानों में नामांकित हैं। 16.8% लड़के व 18.8% लड़कियां किसी भी शैक्षिक संस्थान में नामांकित नहीं हैं। वाराणसी में 82% बच्चे दूसरे स्तर तक की किताब पढ़ लेते हैं। 91.5% युवाओं के घर में स्मार्टफोन है, 93.7% युवा स्मार्टफोन चलाने में सक्षम हैं। 70.5% युवा सप्ताह में कम से कम एक शैक्षिक गतिविधि के लिए स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं और 90.5% सोशल मीडिया के लिए करते हैं।


दूसरी ओर, हाथरस में कुल नामांकित 81.7% बच्चों में 27.7% सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित हैं, जबकि 18.3% कहीं नामांकित नहीं हैं। 73% बच्चे दूसरे स्तर तक की किताब पढ़ लेते हैं। हाथरस में 89.2% युवाओं के घर में स्मार्टफोन है। 93.1% युवा स्मार्टफोन का प्रयोग करने में सक्षम हैं। इसमें 54.1 फीसदी युवा सप्ताह में कम से कम एक शैक्षिक गतिविधि के लिए स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं। 

No comments:
Write comments