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Friday, January 26, 2024

यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण में मनमानी पर जांच का आदेश

यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण में मनमानी पर जांच का आदेश

25 जनवरी 2024
यूपी बोर्ड की परीक्षा के लिए केंद्र बनाने में हुई गड़बड़ी की जांच शुरू हो गई है। शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) डॉ. महेंद्र देव ने प्रदेश के सभी मंडलीय उप शिक्षा निदेशकों को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने अफसरों को जांच कर तीस जनवरी तक अपनी आख्या यूपी बोर्ड के सचिव को भेजने के लिए कहा है।

यूपी बोर्ड ने इस साल की परीक्षा के लिए 7884 केंद्र बनाए थे। इनमें प्रदेश के 1017 राजकीय इंटर कॉलेज और 3537 अशासकीय सहायता प्राप्त कॉलेज भी शामिल थे। इन केंद्रों का चयन छह सितंबर 2023 को शासन की ओर से जारी की गई केंद्र निर्धारण नीति के तहत इस काम के लिए तैयार किए गए सॉफ्टवेयर के जरिए किया गया था। चयन से पूर्व माध्यमिक विद्यालय की ओर से यूपी बोर्ड को उपलब्ध कराई गई समस्त आधारभूत सूचनाओं का जिला विद्यालय निरीक्षकों से परीक्षण भी करवाया गया था। 

सॉफ्टवेयर से तैयार सूची जब जिला स्तर बनी समिति को भेजी गई तो समिति ने केंद्र बनाए गए 1017 राजकीय इंटर कॉलेजों में से 461 और 3537 एडेड कॉलेजों में से 58 को बाहर कर दिया। केंद्रों की संख्या 7884 से बढ़ाकर 8265 कर दी गई। सरकार की आर्थिक सहायता से चलने वाले इन दोनों श्रेणी के कॉलेजों को इतनी बड़ी संख्या में केंद्र सूची से बाहर करना चौंकाने वाला था क्योंकि केंद्र निर्धारण नीति में स्पष्ट प्रावधान था कि पहले राजकीय फिर एडेड कॉलेजों को केंद्र बनाया जाएगा। उसके बाद वित्त विहीन विद्यालय केंद्र बनाए जाएंगे। 

पिछले दिनों केंद्र निर्धारण में की गई गड़बड़ियों पर नीति नई, नीयत पुरानी टैगलाइन से समाचार श्रृंखला प्रकाशित किया था। इसके तहत राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र सूची से बाहर करने सहित केंद्र निर्धारण में हुई अन्य गड़बड़ियों को उजागर किया गया था। शिक्षा निदेशक (माध्यमिक), जो यूपी बोर्ड के सभापति भी होते हैं, ने केंद्र सूची से राजकीय और एडेड कॉलेजों को बाहर करने का संज्ञान लेते हुए प्रदेश के सभी मंडलों के उप शिक्षा निदेशकों को जांच कर तीस जनवरी तक आख्या यूपी बोर्ड को देने का आदेश दिया है। जांच में यह स्पष्ट करना है कि राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र सूची से बाहर करने का आखिर क्या कारण था।


चारों जिलों के डीआईओएस से मांगा जवाब

शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) डॉ. महेंद्र देव के आदेश पर प्रयागराज मंडल के उप शिक्षा निदेशक ने जांच शुरू कर दी है। उन्होंने मंडल के चारों जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर इस संबंध में आख्या उपलब्ध कराने को कहा है। उन्होंने पूछा है कि राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र सूची से बाहर किए जाने का कारण क्या था। उन्होंने डीआईओएस से जनपदीय समिति की कार्यवृत्त एवं डीएम की संस्तुति सहित आख्या संबंधी पत्र भी मांगा है।



मनमानी कर बढ़ा दिए गए यूपी बोर्ड परीक्षा के 401 केंद्र ऑनलाइन निर्धारित केंद्रों को कर दिया निरस्त

13 जनवरी 2024
प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के केंद्र निर्धारण में पूरे प्रदेश में खेल हुआ। बोर्ड मुख्यालय से सॉफ्टवेयर की मदद से सभी 75 जिलों में कुल 7864 केंद्र बनाकर जिलों को भेजे थे। लेकिन जिलों में केंद्र बनाने के नाम पर खेल हो गया। केंद्र निर्धारण नीति के अनुसार बोर्ड ने सॉफ्टवेयर से 1017 राजकीय, 3537 राजकीय और 3310 वित्तविहीन कुल 7864 केंद्र निर्धारित किए थे। लेकिन जिलों से जो केंद्रों की अंतिम सूची आई तो उसमें यह संख्या बढ़कर 8265 हो गई। यानि 401 केंद्र बढ़ गए।

मामला यहीं तक होता तो भी ठीक था। जिलों ने बोर्ड से निर्धारित केंद्रों को निरस्त करते हुए अपने स्तर से मनमाने तरीके से अन्य स्कूलों को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट जैसी संवेदनशील परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंप दी। जिला विद्यालय निरीक्षकों और उनके बाबुओं की मनमानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बोर्ड ने जहां 1017 राजकीय स्कूलों को केंद्र बनाया था वहीं जिलों से सूची फाइनल होने के बाद राजकीय स्कूलों में बने केंद्रों की संख्या घटकर 566 हो गई।


साफ है कि 451 राजकीय स्कूलों का केंद्र निरस्त कर दिया गया। इसी प्रकार सॉफ्टवेयर से केंद्र बने 3537 सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों की संख्या जिलों से मिली सूची में घटकर 3479 हो गई। यानि 58 एडेड कॉलेजों में बने केंद्रों को खारिज कर दिया गया। साफ है कि 451 राजकीय और 58 एडेड कुल 509 केंद्रों के स्थान पर वित्तविहीन स्कूलों को सेंटर बना दिया गया। बोर्ड ने ऑनलाइन जहां 3310 वित्तविहीन स्कूलों को ही केंद्र बनाया था वहीं जिलों में इनकी संख्या बढ़कर 4220 हो गई। यानि जिलों ने 910 नए वित्तविहीन स्कूलों को केंद्र बना दिया।


बोर्ड परीक्षा के केंद्र निर्धारण में जहां से भी गड़बड़ी की शिकायत मिली है वहां की जांच कराई जाएगी। भविष्य में जिले स्तर पर होने वाली मनमानी पर पूरी तरह से अंकुश लगाने की कोशिश रहेगी। -दिब्यकांत शुक्ल, सचिव यूपी बोर्ड



11 जनवरी 2024
यूपी बोर्ड : करीब का स्कूल छोड़कर दूर बना दिया सेंटर, केंद्र निर्धारण में परीक्षार्थियों को मानक से दूर भेजा 


■ 12 किमी छात्रों, सात किमी की दूरी अधिकतम छात्राओं के परीक्षा केंद्र की होनी चाहिए

■ निजी स्कूल के परीक्षार्थी आवंटन में हुई मनमानी


प्रयागराज । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के केंद्र निर्धारण में निजी स्कूलों को वरीयता और छात्र आवंटन के अलावा भी खेल हुआ है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक में ही करीब के स्कूल में बने केंद्र को छोड़कर एक छोर के विद्यार्थियों को दूसरे छोर भेज दिया गया। इससे बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। केंद्र निर्धारण नीति में छात्रों के लिए अधिकतम 12 और छात्राओं के लिए सात किलोमीटर दूर तक केंद्र बनाने का प्रावधान था।


 इसके विपरीत गंगा इंटर कॉलेज तुलसीपुर अटरामपुर की हाईस्कूल की 38 और इंटर की 26 कुल 64 बालिकाओं का केंद्र 20 किलोमीटर दूर जनता इंटर कॉलेज मऊआइमा भेज दिया गया। कुछ ऐसे निजी स्कूल भी हैं जो मानक पूरा नहीं करते हैं और बोर्ड मुख्यालय की ओर से जारी पहली सूची में केंद्र नहीं बने थे। लेकिन बाद में जिले स्तर पर उन्हें केंद्र बना दिया गया है। गंगापार के कौड़िहार विकासखंड में एक ही क्षेत्र में तकरीबन आधा दर्जन केंद्र नए बना दिए गए।


छात्रों को एक से दूसरे छोर भेज दिया

शहरी क्षेत्र में परीक्षार्थियों को एक से दूसरे छोर भेज दिया गया। शिवचरणदास कन्हैयालाल इंटर कॉलेज के बच्चों को भारत स्काउट एवं गाइड इंटर कॉलेज भेजा गया है। अग्रसेन इंटर कॉलेज लूकरगंज के बच्चों को राधा रमण इंटर कॉलेज दारागंज, डॉ. घोष मॉडर्न कॉलेज, जमुना क्रिश्चियन, सरस्वती विद्या मंदिर मीरापुर और एएम गर्ल्स इंटर कॉलेज निहालपुर को ईश्वर शरण इंटर कॉलेज भेजा गया है। किदवाई गर्ल्स कॉलेज हिम्मतगंज की 261 छात्राओं को नवीन महिला सेवा सदन बैरहना भेज दिया गया। शहर में खासतौर से दूसरी पाली की परीक्षा के लिए ट्रैफिक और जाम में निर्धारित केंद्र तक पहुंचना मुसीबत भरा होगा।


केंद्रों के निर्धारण में छात्र-छात्राओं की सहूलियत का ध्यान रखा जाना चाहिए था। जिस प्रकार से बच्चों को शहर में एक से दूसरे छोर पर भेजा गया है, निश्चित तौर पर उन्हें सेंटर तक पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ~ लालमणि द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट



यूपी बोर्ड परीक्षा केन्द्र: छात्र आवंटन में भी हुआ खेल, वित्तविहीन स्कूलों की तुलना में राजकीय और एडेड कॉलेजों में कम कर दी संख्या 


● वित्तविहीन स्कूलों को अधिक दे दिए गए परीक्षार्थी

● यूपी बोर्ड की परीक्षा के लिए जिले में खूब हुई मनमानी


प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के केंद्र निर्धारण में कदम-कदम पर मनमानी की गई है। सात सितंबर को जारी केंद्र निर्धारण नीति में सबसे पहले राजकीय और उसके बाद अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को सेंटर बनाने की शर्त के अतिरिक्त प्रावधान था कि केंद्रों पर न्यूनतम 250 और अधिकतम 1200 परीक्षार्थी आवंटित किए जाएंगे। लेकिन वित्तविहीन स्कूलों के संचालकों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से परीक्षार्थियों के आवंटन में जमकर मनमानी हुई है। जानकारों की मानें तो यदि राजकीय और एडेड कॉलेजों की क्षमता के अनुसार परीक्षार्थियों का आवंटन होता तो केंद्रों की संख्या कम हो सकती थी।


जिले के प्रतिष्ठित सहायता प्राप्त स्कूलों में उनकी धारण क्षमता से कम परीक्षार्थी आवंटित करके वित्तविहीन स्कूलों को अधिक परीक्षार्थी दे दिए गए। उदाहरण के तौर पर जवाहर लाल इंटर कॉलेज भोपतपुर सहसों में हाईस्कूल के 149 और इंटर के 121 कुल 270 परीक्षार्थी आवंटित किए गए हैं। सार्वजनिक इंटर कॉलेज मनेथू फूलपुर में 10वीं के 211 व इंटर के 140 कुल 331, केबीएम इंटर कॉलेज कमलानगर में हाईस्कूल के 191 व इंटर के 148 कुल 339, मोतीलाल नेहरू इंटर कॉलेज जमुनीपुर में हाईस्कूल के 253 और इंटर के 128 कुल 363 छात्र और पब्लिक इंटर कॉलेज मोतीहा उतरांव में हाईस्कूल के 217 व इंटर के 175 कुल 392 छात्र ही परीक्षा देंगे।


यहां तक की शहर के सबसे बड़े राजकीय इंटर कॉलेज में भी एक हजार से कम परीक्षार्थी आवंटित किए गए हैं। कायदे से जीआईसी में दो सेंटर बन सकता है और अधिकतम 2400 बच्चे परीक्षा दे सकते हैं। शहर के ही जीजीआईसी सिविल लाइंस में 768 और जीजीआईसी कटरा में 511 परीक्षार्थी आवंटित किए गए हैं। जीजीआईसी शंकरगढ़ में कुल 587, जीजीआईसी फूलपुर में 361, जीजीआईसी हंडिया में 412, जीजीआईसी सैदाबाद में 580 छात्र-छात्राएं परीक्षा देंगे।


केंद्र निर्धारण नीति के अनुसार ही हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा के लिए सेंटर तय होने हैं। वैसे तो परीक्षा की तैयारियां पूरी हो चुकी है फिर भी जहां से शिकायत मिल रही है उसकी जांच की जाएगी। –दिब्यकांत शुक्ल, सचिव यूपी बोर्ड




यूपी बोर्ड : एडेड छोड़ प्राइवेट कॉलेजों को बनाया परीक्षा केंद्र


● यूपी बोर्ड के परीक्षा केंद्र निर्धारण में जमकर हुआ खेल

● प्रयागराज के बड़े एडेड कॉलेजों को नहीं बनाया सेंटर

● राजकीय और एडेड कॉलेजों को देनी थी प्राथमिकता

● केंद्र निर्धारण नीति के खिलाफ जिलों में हुई मनमानी



प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के केंद्र निर्धारण में जमकर मनमानी की गई है। सात सितंबर को जारी की गई केंद्र निर्धारण नीति में यह प्रावधान दिया गया था कि सबसे पहले राजकीय विद्यालयों और उसके बाद अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को सेंटर बनाया जाएगा। सबसे अंत में आवश्यकता होने पर वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों को उनकी मेरिट गुणांक के अनुसार केंद्र बनाया जाएगा। 


इसके उलट प्रयागराज के शहरी क्षेत्र में ही बड़े और प्रतिष्ठित एडेड कॉलेजों को छोड़कर धड़ल्ले से निजी स्कूलों को केंद्र बना दिया गया, जैसा की पूर्व के वर्षों में भी होता था। स्पष्ट है कि नई नीति बनाने का कोई फायदा नहीं हुआ।


शहर के जिन बड़े एडेड कॉलेजों को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया गया उनमें क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज, सेवा समिति विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, केपी जायसवाल, जमुना क्रिश्चियन, इलाहाबाद इंटर कॉलेज, कर्नलगंज इंटर कॉलेज, डीपी गर्ल्स, एंग्लो बंगाली, किदवाई मेमोरियल विद्यावती दरबारी, ईश्वर शरण गर्ल्स कॉलेज, प्रयाग महिला विद्यापीठ और राधा रमण इंटर कॉलेज दारागंज आदि का नाम शामिल है।


इन स्कूलों की बजाय कई निजी स्कूलों को केंद्र बना दिया गया। खासतौर से नकल के लिए बदनाम नैनी क्षेत्र के कुछ स्कूल भी सेंटर बनने में कामयाब हो गए हैं।


जिलों में मनमानी, राजकीय-एडेड का सेंटर काटा

यूपी बोर्ड ने सॉफ्टवेयर की मदद से जो केंद्र निर्धारण किया था उसमें राजकीय और एडेड कॉलेजों को प्राथमिकता दी गई थी। कुल 7864 संभावित केंद्रों की सूची में 1017 राजकीय, 3537 एडेड और 3310 निजी स्कूलों को केंद्र प्रस्तावित किया था। सूत्रों के अनुसार बाद में जिलों में खेल हो गया और बोर्ड से निर्धारित कई राजकीय और एडेड कॉलेजों को हटाकर प्राइवेट स्कूलों को केंद्र बना दिया गया है। दरअसल, राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र बनाने का उद्देश्य यह होता है कि वहां के प्रिंसिपल-शिक्षक सीधे राजकीय सेवा से जुड़े रहते हैं और वहां अनियमितता की गुंजाइश कम रहती है। जबकि निजी स्कूलों में केंद्र बनने की होड़ रहती है।


यूपी बोर्ड से जो परीक्षा केंद्र बनाए गए थे उनमें राजकीय इंटर कॉलेज का ही नाम नहीं था। उसे बाद में हमने केंद्र बनाया है। चूंकि शहर में कई एडेड कॉलेज हैं इसलिए उनमें से कुछ छूट गए हैं। –पीएन सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक

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