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Sunday, January 28, 2024

पीएचडी नामांकन में 81.2 फीसदी की बढ़ोतरी, अल्पसंख्यक वर्ग में बेटियां उच्च शिक्षा में अभी भी पीछे

अल्पसंख्यक वर्ग में बेटियां उच्च शिक्षा में अभी भी पीछे

अल्पसंख्यक वर्ग के तहत उच्च शिक्षा में 30.1 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। हालांकि, वर्ष 2014 में यह आंकड़ा 21 लाख (38 फीसदी की बढ़ोत्तरी) ही था। वहीं, इस वर्ग की बेटियां अभी भी लड़कों के मुकाबले पीछे हैं। बेटियों को संख्या 15.2 फीसदी तक पहुंच गयी है। वर्ष 2014 की तुलना करें तो यहां 42.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। क्योंकि उस समय सिर्फ 10 लाख बेटियां ही दाखिला ले पाई थी।



पीएचडी नामांकन में 81.2 फीसदी की बढ़ोतरी

पीएचडी नामांकन में 2014-15 की तुलना में फीसदी बढ़ोतरी हुई 81.2 है। इसमें 2.12 लाख छात्र पंजीकृत हैं। वहीं, इस वर्ग में महिला शोधार्थियों की संख्या 2014-15 से 0.48 लाख से दोगुनी होकर 0.99 लाख हो गई है। यानी 10.4 फीसदी महिला शोधार्थी हैं


उच्च शिक्षा के प्रति बेटों से ज्यादा बेटियां उत्साहित,  नामांकन 4.33 करोड़, इनमें 2.07 करोड़ छात्राएं

उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2021-2022 की रिपोर्ट जारी, छात्राओं के नामांकन में नौ सालों में 32% का इजाफा


नई दिल्ली। देशभर में बेटों से अधिक बेटियां उच्च शिक्षा की पढ़ाई के प्रति उत्साहित हैं। यह खुलासा उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2021- 2022 की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार कुल 4.33 करोड़ नामांकन में 2.07 करोड़ छात्राएं हैं।

महिला नामांकन में पिछले नौ सालों (2014-15 से) में 32 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। वहीं, सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 28.4 फीसदी तक पहुंच गया है। लड़कों के मुकाबले लड़कियों का अनुपात लगातार पांचवें वर्ष आगे रहा। खास बात यह है कि एससी छात्रों के नामांकन में 44 फीसदी तक वृद्धि हुई है। 2020-21 में उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 4.14 करोड़ था। इस हिसाब से नामांकन में कुल 19 लाख की वृद्धि हुई है। ओबीसी वर्ग में भी छात्रों का नामांकन 1.63 करोड़ तक पहुंच गया है। 2014- 15 की तुलना में इसमें 45 फीसदी की वृद्धि हुई है।



शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट: बेटियों में दिखी पढ़ने की चाहत, उच्च शिक्षा में 32 फीसद बढ़ा नामांकन; पीएचडी में दोगुनी हुई संख्या

उच्च शिक्षा को लेकर बेटियों के बढ़े रुझान से उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात में भी बड़ा बदलाव दिखा।


27 जनवरी 2024
देश की बेटियां आगे बढ़ना चाहती हैं। वह पढ़ना चाहती हैं। उनकी यह ललक गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ की परेड हो या फिर शिक्षा मंत्रालय की ओर से उच्च शिक्षा को लेकर जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2021-22 की रिपोर्ट हर जगह साफ दिखने को मिली। उच्च शिक्षा में उनके बढ़े नामांकन ने सभी को चौंकाया है जो वर्ष 2014 -15 के मुकाबले 32 फीसद से ज्यादा है।


नई दिल्ली। देश की बेटियां आगे बढ़ना चाहती हैं। वह पढ़ना चाहती हैं। उनकी यह ललक गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ की परेड हो या फिर शिक्षा मंत्रालय की ओर से उच्च शिक्षा को लेकर जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2021-22 की रिपोर्ट हर जगह साफ दिखने को मिली।

उच्च शिक्षा में उनके बढ़े नामांकन ने सभी को चौंकाया है, जो वर्ष 2014 -15 के मुकाबले 32 फीसद से ज्यादा है, यानी मोदी सरकार के आठ सालों में उच्च शिक्षा में बेटियों के पढ़ने की संख्या बढ़ी है। 2021- 22 में उच्च शिक्षा के लिए 2.07 करोड़ बेटियों ने दाखिला लिया था, जबकि 2014-15 में यह संख्या 1.57 करोड़ ही थी।

उच्च शिक्षा को लेकर बेटियों के इस बढ़े रुझान से उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में भी बड़ा बदलाव दिखा है। सर्वेक्षण में वर्ष 2021-22 का जीईआर जहां 28.4 फीसद हो गया है, जबकि यह 2014-15 में 23.7 फीसद था। वहीं, 2021-22 में उच्च शिक्षा में बेटियां की जीईआर बढ़कर 28.5 हो गया है, जो राष्ट्रीय जीईआर से भी अधिक हो गया है। हालांकि, बेटियां का यह जीईआर वर्ष 2014-15 में 22.9 फीसद ही था।

जो राष्ट्रीय जीईआर से कम था। इतना ही नहीं, बेटियों ने पीएचड़ी जैसे कोर्सों में दाखिला लेने को लेकर भी जबरदस्त उत्साह दिखाया है। जो 2014-15 के मुकाबले दोगुना हो गया है। वर्ष 2014-15 में पीएचड़ी के लिए जहां 47 हजार बेटियों ने नामांकन कराया था, वहीं 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 99 लाख हो गई है। गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा को लेकर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2021-22 गुरुवार को देर रात जारी किया है। 


राज्यों में उत्तर प्रदेश और शहरों में बेंगलुरु में सबसे अधिक कॉलेज
अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2021-22 के मुताबिक, देश में सबसे अधिक कॉलेज उत्तर प्रदेश में है। इनकी संख्या 8375 है, जबकि कॉलेज की संख्या में दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र (4692 कालेज), तीसरे नंबर पर राजस्थान (83934 कॉलेज), चौथे पर तमिलनाडु (2829 कॉलेज), पांचवें पर मध्य प्रदेश (2742) है।

वहीं, देश के ऐसे शहर जहां सबसे अधिक कॉलेज है, उनमें बेंगलुरु शहरी में सबसे अधिक 1106 कॉलेज है, जबकि जयपुर शहर में 703 कॉलेज, हैदराबाद में 491 कॉलेज, पुणे में 475 कॉलेज और प्रयागराज में 398 कॉलेज है।



पिछले सत्र के मुकाबले 2021-22 में उच्च शिक्षा नामांकन में 19 लाख की वृद्धि हुई: सरकारी सर्वेक्षण

नयी दिल्ली, 25 जनवरी
उच्च शिक्षा में 2021-22 के सत्र में नामांकन बढ़कर लगभग 4.33 करोड़ हो गया जो इससे पिछले सत्र में 4.14 करोड़ था। विज्ञान संकाय में महिला अभ्यर्थियों के नामांकन की संख्या पुरुषों की संख्या से अधिक है। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) में यह जानकारी सामने आई है।


शिक्षा मंत्रालय की ओर से बृहस्पतिवार की रात जारी सर्वेक्षण के अनुसार कुल मिलाकर महिला नामांकन 2020-21 में 2.01 करोड़ से बढ़कर 2021-22 सत्र में 2.07 करोड़ हो गया है।


एआईएसएचई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 2020-21 में 4.14 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में लगभग 4.33 करोड़ हो गया है। वर्ष 2014-15 में नामांकन के आंकड़े 3.42 करोड़ में लगभग 91 लाख की वृद्धि हुई है।’’


इसमें कहा गया है, ‘‘महिला नामांकन 2020-21 में 2.01 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गया है। वर्ष 2014-15 में महिला नामांकन में 1.57 करोड़ के मुकाबले लगभग (32 प्रतिशत) 50 लाख की वृद्धि हुई है।’’


रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएचडी में महिला नामांकन 2014-15 सत्र के 0.48 लाख से दोगुना होकर 2021-22 में 0.99 लाख हो गया है।


रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 से 2021-22 की अवधि के लिए महिला पीएचडी नामांकन में वार्षिक वृद्धि 10.4 प्रतिशत है।


इसमें कहा गया है कि 2021-22 में स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएच.डी. और एम.फिल स्तर पर 57.2 लाख छात्र विज्ञान संकाय में नामांकित हैं जिसमें छात्राओं की संख्या 29.8 लाख के मुकाबले छात्रों की संख्या (27.4 लाख) से अधिक है।


रिपोर्ट के अनुसार एसटी छात्रों का नामांकन 2014-15 में 16.41 लाख से बढ़कर 2021-22 में 27.1 लाख हो गया जिसमें 65.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।


शिक्षा मंत्रालय 2011 से उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण आयोजित कर रहा है, जिसमें देश में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को शामिल किया गया है।


सर्वेक्षण के तहत विभिन्न मापदंडों जैसे छात्र नामांकन, शिक्षकों का आंकड़ा, ढांचागत एवं वित्तीय सूचनाओं आदि पर विस्तृत जानकारी एकत्र की जाती है।



उच्च शिक्षा को लेकर बढ़ा रुझान, आठ वर्षों में 26 प्रतिशत बढ़ा नामांकन, मंत्रालय ने जारी की सर्वेक्षण रिपोर्ट

नई दिल्ली। उच्च शिक्षा को नई ऊंचाई देने और 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को 50 प्रतिशत तक पहुंचाने की मोदी सरकार की कोशिशें रंग लाती दिख रही हैं। देश में उच्च शिक्षा को लेकर रुझान बढ़ा है। उच्च शिक्षा के नामांकन में पिछले आठ वर्षों में 26 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।छात्राओं के नामांकन में यह बढ़ोतरी करीब 32 प्रतिशत है।


शिक्षा मंत्रालय ने जारी की रिपोर्ट

गुरुवार को शिक्षा मंत्रालय की ओर से उच्च शिक्षा को लेकर जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण-2021-22 की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इसके साथ ही देश में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात अब बढ़कर 28.4 प्रतिशत हो गया है, जो 2014-15 में 23.7 प्रतिशत था।


उच्च शिक्षा में नामांकन में बढ़ोतरी

सर्वेक्षण में बताया गया है कि देश में 2014-15 के दौरान उच्च शिक्षा के लिए 3.42 करोड़ छात्रों ने नामांकन कराया था, जबकि वर्ष 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 4.33 करोड़ हो गई। इससे पहले 2020-21 में उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या 4.14 करोड़ थी।

उच्च शिक्षा को लेकर छात्राओं में सबसे अधिक रुचि देखी गई है। 2014-15 में देश में उच्च शिक्षा में नामांकन कराने वाली छात्राओं की संख्या जहां 1.57 करोड़ थी, वह 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गई। एससी-एसटी छात्र-छात्राओं के नामांकन में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।


एसटी की छात्राओं की संख्या में 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी

अकेले अनुसूचित जनजाति (एसटी) की छात्राओं की संख्या में 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2014-15 में देश में उच्च शिक्षा हासिल करने वाली एसटी छात्राओं की संख्या 7.47 लाख थी, जो 2021-22 में 13.46 लाख हो गई।उच्च शिक्षा को लेकर यह बदलाव पीएचडी के नामांकन में भी साफ दिख रहा है।

वर्ष 2014-15 के मुकाबले 2021-22 में पीएचडी में 81 प्रतिशत से अधिक नामांकन हुआ है। वर्ष 2014-15 में पीएचडी में दाखिला लेने वालों की संख्या जहां 1.17 लाख थी, वह 2021-21 में 2.13 लाख हो गई। इनमें छात्राओं की संख्या दोगुनी हुई है। 2021-22 में पीएचडी में कुल 99 लाख छात्राओं में दाखिला लिया, जबकि 2014-15 में सिर्फ 48 हजार छात्राओं में पीएचडी में नामांकन कराया था।

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