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Sunday, January 14, 2024

केंद्र के बाद यूपी सरकार ने मदरसा शिक्षकों को मिलने वाला ‘अतिरिक्त धन’ भी बंद किया, विरोध तेज़ करेंगे प्रभावित शिक्षक

केंद्र के बाद यूपी सरकार ने मदरसा शिक्षकों को मिलने वाला ‘अतिरिक्त धन’ भी बंद किया, विरोध तेज़ करेंगे प्रभावित शिक्षक


उत्तर प्रदेश में छह साल पहले केंद्र की मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत काम करने वाले शिक्षकों का वेतन कथित तौर पर रोक दिया गया था. अब यूपी सरकार ने इन शिक्षकों को 2016 से दिए जाने वाले मानदेय या ‘अतिरिक्त धन’ का भुगतान भी बंद करने का फैसला किया है. लंबित वेतन को लेकर ये शिक्षक दिसंबर 2023 से लखनऊ में धरना दे रहे हैं.


नई दिल्ली: पूरे उत्तर प्रदेश में केंद्र की मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत काम करने वाले शिक्षकों का वेतन कथित तौर पर रोके जाने के लगभग छह साल बाद राज्य सरकार ने अब इन शिक्षकों को 2016 से दिए जाने वाले मानदेय या ‘अतिरिक्त धन’ का भुगतान बंद करने का फैसला किया है.


इन शिक्षकों – जिन्हें ‘आधुनिक’ शिक्षकों के रूप में जाना जाता हैका आरोप है कि उन्हें 2017 से वेतन नहीं दिया गया है. उनका कहना है कि वे 2016 से मिलने वाले ‘अतिरिक्त पैसे’ पर निर्भर हैं एक पहल जिसे राज्य सरकार ने उसी वर्ष शुरू किया था, शिक्षकों द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद कि उनका वेतन वितरण पहले भी ‘अनियमित’ था.

अपने ‘लंबित वेतन’ की मांग को लेकर कई आधुनिक शिक्षक 18 दिसंबर 2023 से लखनऊ के इको गार्डन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. यह जानने के बाद कि राज्य सरकार ने ‘अतिरिक्त पैसा’ बंद कर दिया है, जिस पर वे आश्रित थे, शिक्षकों नेअपना विरोध तेज करने का फैसला किया.


मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत आधुनिक शिक्षक जो स्नातक हैं, उन्हें 6,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं और जो स्नातकोत्तर हैं, उन्हें 12,000 रुपये का भुगतान किया जाता है. वेतन के बजाय इन शिक्षकों को ‘अतिरिक्त धन’ मिल रहा है – स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षकों के लिए क्रमशः 2,000 रुपये और 3,000 रुपये – जिसकी घोषणा राज्य सरकार ने 2016 में की थी.

राज्य भर में चल रहे 7,442 पंजीकृत मदरसों में 21,000 से अधिक आधुनिक शिक्षक तैनात हैं. इनमें से लगभग 8,000 हिंदू समुदाय के हैं. वे लगभग 10 लाख छात्रों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय पढ़ाते हैं. पंजीकृत मदरसों में से 560 सरकारी सहायता प्राप्त हैं.

उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने बुधवार को आधुनिक शिक्षकों को ‘अतिरिक्त धन’ का भुगतान खत्म करने के सरकार के फैसले की पुष्टि की.


जानिए क्यों? यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

लखनऊ। आधुनिक मदरसा शिक्षकों को पिछले छह वर्षों से केन्द्रांश का मानदेय न मिलने और अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अतिरिक्त मानदेय दिए जाने की व्यवस्था समाप्त करने का मामला तूल पकड़ गया है। इस मामले में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र भेजा है। 

इस पत्र में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया गया है कि वह मदरसा आधुनिकीकरण योजना का नवीनीकरण करवाते हुए उत्तर प्रदेश में इस योजना का विस्तार करवाएं। पत्र में प्रधानमंत्री मोदी के मदरसा छात्र-छात्राओं के एक हाथ में कुरआन और दूसरे हाथ में कम्प्यूटर के नारे का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस नारे को सफलता के शिखर पर पहुंचाने के लिए यह भी जरूरी है कि उक्त योजना में कार्यरत शिक्षकों के बकाया मानदेय का यथाशीघ्र भुगतान करवाया जाए।


मदरसा शिक्षकों को नहीं मिलेगा अतिरिक्त मानदेय, राज्य सरकार के बजट से अतिरिक्त मानदेय प्रदान किये जाने की व्यवस्था समाप्त

21 हजार से ज्यादा शिक्षकों का का भविष्य अधर में फंसा


लखनऊ । प्रदेश के मदरसों में गणित, अंग्रेजी, विज्ञान आदि आधुनिक विषय पढ़ाने वाले 21 हजार 216 शिक्षकों का भविष्य अधर में फंसा हुआ है। एक तरफ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह और राज्य मंत्री दानिश अंसारी इन शिक्षकों का किसी भी सूरत में अहित न होने देने के बयान दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ विभाग इन शिक्षकों का नुकसान दर नुकसान करने पर तुला है।

ताजा फरमान आठ जनवरी को जारी हुआ है। अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक जे. रिभा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इन शिक्षकों को राज्य सरकार के बजट से अतिरिक्त मानदेय प्रदान किये जाने संबंधी व्यवस्था को समाप्त किए जाने और इस निमित्त वित्तीय स्वीकृति जारी न किए जाने का निर्णय लिया गया है।

 मदरसा आधुनिकीकरण योजना में 28 जनवरी 2014 को उत्तर प्रदेश सरकार के संकल्प के अनुसार 12000 रुपया मानदेय पाने वाले शिक्षक को 3000 रुपया और 6000 मानदेय के शिक्षक को 2000 रुपया अतिरिक्त राज्यांश देने की व्यवस्था की गई। अतिरिक्त राज्यांश की अदाएगी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निरंतर मार्च 2023 तक की गई है। मगर अब यह व्यवस्था बंद कर दी गई है।

 तर्क यह दिया गया कि यह अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था तभी तक लागू मानी गई थी। जब तक केंद्र सरकार इसमें आर्थिक सहयोग कर रही थी। अब केन्द्र ने सहयोग देना बंद कर दिया है। इन शिक्षकों को केन्द्रांश का 60 प्रतिशत भुगतान पिछले छह साल से नहीं मिला है।


राज्य मंत्री बोले, शिक्षकों का अहित नहीं होने देंगे

अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने  कहा कि मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के मानदेय के मुद्दे पर हमने कई स्तरों पर विचार विमर्श किया है और इन शिक्षकों की भलाई के लिए जो भी मुमकिन होगा, वह किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह शिक्षक प्रदेश की योगी सरकार के परिवार के सदस्य हैं, उनका अहित नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों का मई तक बकाया राज्यांश भी जल्द उन्हें उपलब्ध करवाया जाएगा।



Madarsa Board : मदरसा आधुनिकीकरण योजना के शिक्षकों को नहीं मिलेगा मानदेय, यूपी सरकार ने कर दिए आदेश

UP Madarsa Board News 
दरअसल मदरसा आधुनिकीकरण योजना केंद्र सरकार की है। इसे 1993-94 से संचालित किया जा रहा था। वहीं इसमें मदरसों में हिंदी अंग्रेजी विज्ञान गणित व सामाजिक अध्ययन विषय को पढ़ाने के लिए शिक्षक रखे गए थे। वर्ष 2008 से इसे स्कीम फार प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा (एसपीक्यूईएम) के नाम से संचालित किया जाने लगा।


लखनऊ : UP Madarsa Board : केंद्र के बाद अब योगी सरकार भी मदरसा आधुनिकीकरण योजना में शिक्षकों को मानदेय नहीं देगी। मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक अध्ययन विषय पढ़ाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत करीब 25 हजार शिक्षक रखे गए थे। प्रदेश सरकार ने बजट में अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था को समाप्त करते हुए कोई भी वित्तीय स्वीकृति इस मद में नहीं जारी करने के निर्देश दिए हैं।


दरअसल, मदरसा आधुनिकीकरण योजना केंद्र सरकार की है। इसे 1993-94 से संचालित किया जा रहा था। इसमें मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक अध्ययन विषय को पढ़ाने के लिए शिक्षक रखे गए थे। वर्ष 2008 से इसे 'स्कीम फार प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा' (एसपीक्यूईएम) के नाम से संचालित किया जाने लगा।


इस योजना में तैनात स्नातक पास शिक्षकों को छह हजार व परास्नातक शिक्षकों को 12 हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता था। वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार ने भी इसमें दो हजार व तीन हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय अपनी ओर से देने का निर्णय लिया था। यानी स्नातक शिक्षकों को आठ हजार व परास्नातक शिक्षकों को 15 हजार रुपये इसमें मिलते थे।


केंद्र सरकार से इस योजना को वर्ष 2021-22 तक की ही स्वीकृति मिली थी, जबकि प्रदेश में तैनात इन शिक्षकों को केंद्र सरकार से मानदेय और पहले से नहीं मिल रहा था। पिछले दिनों अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने अतिरिक्त मानदेय दिए जाने का आश्वासन दिया था।


इसके बावजूद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव हरि बख्श सिंह ने बजट में की गई अतिरिक्त मानदेय की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। उन्होंने निदेशक को इस मद में कोई भी वित्तीय स्वीकृति न जारी करने के निर्देश दिए हैं। निदेशक जे. रीभा ने भी सभी जिलों को इसके आदेश भेजते हुए मानदेय देने पर रोक लगा दी है।


योगी सरकार मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के लिए बहुत संजीदा है। चूंकि केंद्र ने मानदेय बंद कर दिया है इसलिए तकनीकी कारणों से यहां भी बंद हो गया है। इस समस्या का हल निकाला जा रहा है। -दानिश आजाद अंसारी, अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री

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