डीएम राजशेखर ने 4 अगस्त को सभी स्कूलों के साथ बैठक कर उन्हें 6 अगस्त तक दाखिले लेने का नोटिस जारी किया था। इसके बाद सेंट्रल अकेडमी समेत कई स्कूलों ने तो एडमिशन ले लिया, लेकिन सीएमएस और नवयुग रेडियंस में अब तक एक भी एडमिशन नहीं लिए गए हैं। वहीं डीएम की ओर से दी गई मियाद पूरी हो चुकी है। 8 को सीएमएस पर कार्रवाई की जा सकती है।
लखनऊ में स्कूलों की संख्या लगभग तीन हजार है, जिसमें निजी स्कूलों की संख्या एक हजार से अधिक है। प्रशासन की सख्ती के बावजूद यहां के कई स्कूल आरटीई के दाखिलों में में सहयोग नहीं दे रहे हैं।
सीएमएस ने अब तक नहीं लिए प्रवेश
राइट टू एजुकेशन(आरटीई) के तहत दाखिले में राजधानी वाराणसी और आगरा से पीछे रह गया है, जबकि सरकार के सभी प्रतिनिधि समेत पूरा अमला यहां मौजूद है। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, आरटीई के तहत इस सत्र में अब तक 2000 दाखिले ही हो पाए हैं, जबकि 400 दाखिले प्रक्रिया में हैं। इसके विपरीत आगरा और वाराणसी में 2600-2600 दाखिले हो चुके हैं। हालांकि, इन तीन शहरों को छोड़ दें तो तीसरा कोई भी शहर अब तक एक हजार का आंकड़ा भी नहीं छू पाया है।
लखनऊ में आरटीई दाखिलों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन रैंकिंग में शहर एक पायदान नीचे आ गया है। साल 2015 में फिरोजाबाद 1300 दाखिलों के साथ नम्बर एक पर था तो लखनऊ 700 दाखिलों के साथ दूसरे पायदान पर था। अब तीसरी पायदान पर आ गया है। आरटीई एक्टविस्ट समीना बानो ने बताया कि आगरा और वाराणसी दोनों ही शहरों में अब भी दाखिले हो रहे हैं। यह आंकड़ा तीन हजार तक पहुंचने की उम्मीद है। लखनऊ में ढाई हजार दाखिले की उम्मीद है।
आगरा और वाराणसी में हो चुके 2600 एडमिशन
शहर में इस साल हुए 2000 एडमिशन, 400 प्रक्रिया में
आरटीई में आगरा और वाराणसी से पिछड़ा लखनऊ
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