प्राइमरी स्कूल व पूर्व माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक अब अगर बिना गैर हाजिर नहीं हो पाएंगे। उनकी सख्त मानीटरिंग की जाएगी। न्याय पंचायत समन्वयक (एनपीआरसी) अपने क्षेत्र के विद्यालयों में उपस्थित व अनुपस्थित शिक्षकों का ब्यौरा एकत्र करेंगे। शिक्षक अवकाश प्रमाणपत्र भरकर ही छुट्टी पर जाए, इसे से लागू करवाएंगे। खंड शिक्षा अधिकारी एनपीआरसी से ब्योरा लेकर अपने जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी को देंगे। शिक्षकों की हाजिरी की ऑनलाइन मानीटरिंग की जाएगी। वॉट्सएप ग्रुप बनाकर एक-दूसरे अधिकारियों को उपस्थिति का ब्योरा देना होगा। पूरे प्रदेश में कन्नौज मॉडल लागू किया जाएगा।
सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक (षष्ट मंडल) महेंद्र सिंह राणा का कहना है कि यह नई व्यवस्था जल्द लागू की जाएगी। बेसिक शिक्षा सचिव की ओर से सभी जिलों में इसे लागू करने को कहा गया है। महेंद्र सिंह राणा कहते हैं कि उन्होंने लखनऊ मंडल में इस मॉडल को लागू करवाने की तैयारी शुरू कर दी है। अब हर महीने की छह तारीख को पिछले महीने के उपस्थित व अनुपस्थित शिक्षकों का ब्यौरा एनपीआरसी खंड शिक्षा अधिकारी को देंगे। खंड शिक्षा अधिकारी दस तारीख को बेसिक शिक्षा अधिकारी को रिपोर्ट करेगा। इस दौरान अगर शिक्षकों की उपस्थिति की जांच के दौरान अगर गड़बड़ी पाई गई तो एनपीआरसी व खंड शिक्षा अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। कुछ शिक्षक हफ्ते में किसी दिन बिना बताए नहीं आते और कई तो ऐसे भी हैं जो लंबे समय से स्कूल नहीं आ रहे। ऐसे शिक्षकों की सूची 15 दिनों के भीतर देने को कहा गया है।
कन्नौज में सबसे पहले हुआ था लागू एनआइसी के सहयोग से कन्नौज मॉडल को लागू करवाया जाएगा। दरअसल, कन्नौज में सबसे पहले शिक्षकों की उपस्थिति की ऑनलाइन मानीटरिंग बेहतर ढंग से की जा रही है। इसमें अचानक मोबाइल पर फोन मिलाकर हेड मास्टर से किसी छात्र से पढ़ाए गए पाठ के बारे में जानकारी देने और उपस्थित शिक्षक से बात करवाने को कहा जाता है। यही नहीं दौरा कर उच्चाधिकारी भी पड़ताल करते हैं, ऐसे में शिक्षक अगर गोला मारते हैं तो पकड़ लिए जाते हैं।
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