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Sunday, July 23, 2023

छात्रों को नहीं भा रही एकीकृत छात्रवृत्ति, 50 रुपये मासिक दिया जाता है परीक्षा में सफल छात्रों को वजीफा, कम रकम की वजह से इस परीक्षा का फार्म कोई भरना ही नहीं चाहता

छात्रों को नहीं भा रही 50 रुपए महीने वाली एकीकृत छात्रवृत्ति


लखनऊ : प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में कक्षा आठ के गरीब छात्रों के लिए संचालित 50 रुपये मासिक वाली एकीकृत छात्रवृति योजना मजाक बन कर रह गई है। अत्यधिक कम राशि की वजह से छात्र तो क्या अब माता-पिता और अभिभावक से लेकर शिक्षक तक का इस छात्रवृति योजना से मोह भंग हो चुका है। आलम यह है कि एकीकृत छात्रवृति योजना के लिए अब कोई छात्र आवेदन तक नहीं करना चाहता। ऐसे में शिक्षकों को अपने-अपने विद्यालयों के छात्रों से मनुहार करनी पड़ रही है कि वे छात्रवृति के लिए आवेदन करें।


20 साल में एक रुपये भी नहीं बढ़ी छात्रवृत्ति
 करीब दो दशक पूर्व प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के आठवीं कक्षा के गरीब छात्रों के लिए राज्य सरकार की ओर से एकीकृत छात्रवृति योजना शुरू की गई थी। इसमें छात्रवृति की परीक्षा पास करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रति माह 50 रुपये देने का प्रावधान किया गया था। तब से इसकी राशि नहीं बढ़ी।


एकीकृत छात्रवृति के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज की ओर से टेस्ट या परीक्षा ली जाती है। बताया जाता है कि 15 वर्ष पूर्व तक टेस्ट में बैठने वाले छात्रों की संख्या लाखों में होती थी लेकिन साल दर साल यह घटकर हजारों में सिमट गई है। 2022 के अगस्त में कराई गई एकीकृत छात्रवृति परीक्षा जिसका परिणाम गत सप्ताह जारी किया गया था। लखनऊ में मात्र 144 छात्रों ने इस परीक्षा के लिए आवेदन किया था। अध्यापकों के लाख प्रयास के बाद भी बमुश्किल 100 छात्रों ने इस परीक्षा में भाग लिया।



छात्रों के माता-पिता हों या अभिभावक प्रतिमाह 50 रुपये के लिए बच्चों को इसकी परीक्षा में बैठाने को तैयार नहीं है।


छात्रों को नहीं भा रही एकीकृत छात्रवृत्ति, 50 रुपये मासिक दिया जाता है परीक्षा में सफल छात्रों को वजीफा, कम रकम की वजह से इस परीक्षा का फार्म कोई भरना ही नहीं चाहता


लखनऊ। प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में कक्षा आठ के गरीब छात्रों के लिए संचालित 50 रुपये मासिक वाली एकीकृत छात्रवृति योजना मजाक बन कर रह गई है । अत्यधिक कम राशि की वजह से छात्र तो क्या अब माता-पिता और अभिभावक से लेकर शिक्षक तक का इस छात्रवृति योजना से मोह भंग हो चुका है। आलम यह है कि एकीकृत छात्रवृति योजना के लिए अब कोई छात्र आवेदन तक नहीं करना चाहता। ऐसे में शिक्षकों को अपने-अपने विद्यालयों के छात्रों से मनुहार करनी पड़ रही है कि वे छात्रवृति के लिए आवेदन करें।


20 साल में एक रुपये भी नहीं बढ़ी छात्रवृत्तिः करीब दो दशक प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के आठवीं कक्षा के गरीब छात्रों के लिए राज्य सरकार की ओर से एकीकृत छात्रवृति योजना शुरू की गई थी। इसमें छात्रवृति की परीक्षा पास करने वाले छात्र- छात्राओं को प्रति माह 50 रुपये देने का प्रावधान किया गया था। तब से इसकी राशि नहीं बढ़ी।

एकीकृत छात्रवृति के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज की ओर से टेस्ट या परीक्षा ली जाती है। बताया जाता है कि 15 वर्ष पूर्व तक टेस्ट में बैठने वाले छात्रों की संख्या लाखों में होती थी लेकिन साल दर साल यह घटकर हजारों में सिमट गई है। 2022 के अगस्त में कराई गई एकीकृत छात्रवृति परीक्षा जिसका परिणाम गत सप्ताह जारी किया गया था। लखनऊ में मात्र 144 छात्रों ने इस परीक्षा के लिए आवेदन किया था। अध्यापकों के लाख प्रयास के बाद भी बमुश्किल 100 छात्रों ने इस परीक्षा में भाग लिया। छात्रों के माता-पिता हों या अभिभावक प्रतिमाह 50 रुपये के लिए बच्चों को इसकी परीक्षा में बैठाने को तैयार नहीं है।



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