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Sunday, July 16, 2023

यूपी बोर्ड की किताबों का मामला, बाजार में नहीं तो उपलब्ध कराएं सस्ती किताब, बेसिक से ही सीख लेते तो समय से मिल जाती सस्ती किताब

यूपी बोर्ड की किताबों का मामला, बाजार में नहीं तो उपलब्ध कराएं सस्ती किताब, बेसिक से ही सीख लेते तो समय से मिल जाती सस्ती किताब


प्रयागराज : यूपी बोर्ड की कक्षा नौ से 12 तक की अधिकृत व सस्ती किताबों की अनुपब्धता पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक और बोर्ड के सभापति डॉ. महेन्द्र देव ने हस्तक्षेप किया है। महंगी किताबों की बिक्री को लेकर प्रकाशित समाचारों के बाद निदेशक ने यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल से प्रदेश में पाठ्यपुस्तकों की पर्याप्त उपलब्धता के संबंध में जिला स्तर पर जांच कराकर रिपोर्ट तलब की है। साथ ही जिन जिलों में पाठ्यपुस्तकों की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है वहां तत्काल उपलब्धता सुनिश्चित कराने का आदेश दिया है।

इसके बाद सचिव यूपी बोर्ड ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को शनिवार को पत्र लिखकर जिले में एनसीईआरटी नई दिल्ली से प्रकाशित पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता, यूपी बोर्ड के अधिकृत प्रकाशकों की एनसीईआरटी और अन्य पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता तथा बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक से किताबें डाउनलोड किए जाने की स्थिति जांच कर रविवार 230 बजे तक सूचना निर्धारित प्रोफार्मा पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।



बेसिक से ही सीख लेते तो समय से मिल जाती सस्ती किताब

प्रयागराज : एक अप्रैल को नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के तीन महीने बाद भी कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को अधिकृत एवं सस्ती किताबें उपलब्ध कराने के लिए संघर्ष कर रहा माध्यमिक शिक्षा विभाग अगर बेसिक शिक्षा से ही सबक ले लेता तो शायद यह स्थिति न होती। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कक्षा एक से आठ तक में निशुल्क वितरित होने वाली किताबों की टेंडर प्रक्रिया इस साल पहली बार नवंबर-दिसंबर में ही शुरू कर दी थी। 

मार्च के अंत तक अधिकांश किताबें स्कूलों में पहुंचा दी गई थी जिसका नतीजा हुआ कि एक अप्रैल को स्कूल के पहले दिन ही बच्चों के हाथ में किताबें पहुंच गई। इसके उलट यूपी बोर्ड का टेंडर ही 30 जून को फाइनल हुआ। तब तक शैक्षिक सत्र के तीन महीने बीत चुके थे। ज्यादातर विद्यार्थियों को मजबूरन निजी प्रकाशकों की कई गुना महंगी किताबें खरीदनी पड़ीं।



कक्षा 9 से 12 तक की एनसीईआरटी की किताबें बाजार में नहीं, छात्रों को महंगी किताबें खरीदनी पड़ रहीं

● बोर्ड ने 12 जून को निकाला था प्रकाशकों के लिए टेंडर


लखनऊ। यूपी बोर्ड का सत्र शुरू हुए 114 दिन गुजर चुके हैं। मगर जिले में कक्षा नौ से 12 तक के करीब दो लाख छात्र-छात्राओं को पढ़ने के लिए किताबें नहीं मिल पा रही हैं। प्रदेश में यह संख्या एक करोड़ से अधिक है।


अफसर स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं और प्रधानाचार्यों, शिक्षकों को छात्र संख्या बढ़ाने और टाइम टेबल के हिसाब से पढ़ाने का दबाव बना रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने जून में एनसीईआरटी की किताबों की टेंडर प्रकिया शुरू की थी, पर अभी तक किताबें बाजार में नहीं पहुंची हैं।


 शिक्षकों के सामने असमंजस की स्थिति है कि वह बच्चों को कौन सी किताबें खरीदने का सुझाव दें? फिलहाल पुरानी किताबों से पढ़ा रहे हैं। राजकीय, एडेड स्कूलों के प्रधानाचार्यों का कहना है कि किताबें बाजार में नहीं मिल रही हैं। 


अकेले में लखनऊ के राजकीय व वित्तविहीन स्कूलों में करीब दो लाख पंजीकृत हैं। अधिकारियों ने बीते साल निजी प्रकाशकों की किताबें बच्चों को खरीदने के लिए किया था। यूपी बोर्ड द्वारा नामित किताबों से ही पढ़ाने के निर्देश थे, लेकिन बाजार में पुरानी किताबें भी नहीं हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 12 जून को किताबों के लिए प्रकाशकों का टेंडर निकाला था। जिसमें 36 विषयों की 70 किताबें एनसीईआरटी और हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की 12 किताबें नॉन एनसीईआरटी की शामिल हैं।


हर साल किताबें बच्चों को देर से मिलती हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। सरकार को चाहिए कि सत्र शुरू होने से पहले ही किताबें उपलब्ध करानी चाहिए। ताकि बच्चे किताबें खरीदकर पढ़ाई शुरू सकें।- डॉ. आरपी मिश्रा, उप्र. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रादेशिक उपाध्यक्ष

माध्यमिक स्कूलों में नियमित कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। अभी तक माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से किताबों को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। जैसे ही कोई आदेश मिलेगा। उसका पालन कराया जाएगा। - राकेश पाण्डेय, डीआईओएस



सचिव ने तीन प्रकाशकों के नाम तय किये

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने कक्षा नौ से 12 की किताबों के प्रकाशन एवं वितरण के लिए तीन प्रकाशकों के नाम तय किये हैं। छह जुलाई इन प्रकाशकों के नाम व किताबों की सूची व रेट जारी किये हैं। इनमें राजीव प्रकाशन प्रयागराज, जनरल ऑफसेट प्रिटिंग प्रेस प्रा. लि. नैनी प्रयागराज और डायनामिक टेक्स्टबुक्स प्रिंटर्स प्रा. लि. झांसी शामिल हैं। इन्हें किताबों की छपाई से लेकर वितरण की जिम्मेदारी दी गई है। किताबों की कीमतें निजी प्रकाशकों की तुलना में 10 गुना कम है।

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