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Saturday, December 9, 2023

पांच राजकीय संस्कृत स्कूलों में मिलेगी आवासीय सुविधा, विद्यालयों में बनाए जाएंगे सौ बेड के हास्टल

पांच राजकीय संस्कृत स्कूलों में मिलेगी आवासीय सुविधा, विद्यालयों में बनाए जाएंगे सौ बेड के हास्टल


लखनऊ : प्रदेश में पांच राजकीय माध्यमिक संस्कृत स्कूलों में विद्यार्थियों को आवासीय सुविधा मिलेगी। यहां सौ-सौ बेड के हास्टल बनाए जाएंगे।


देववाणी संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। गुरुकुल की तरह यहां विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा दी जाएगी। जिन जिलों में यह आवासीय विद्यालय खोले जाएंगे उनमें अयोध्या, सीतापुर, चित्रकूट, प्रयागराज व मथुरा शामिल हैं। पहले से दो आवासीय विद्यालय चंदौली व भदोही में चल रहे हैं।


राजकीय माध्यमिक संस्कृत स्कूलों में प्रथमा (कक्षा आठ) से उत्तर मध्यमा द्वितीय (इंटरमीडिएट) तक की शिक्षा विद्यार्थियों को दी जाएगी। उप शिक्षा निदेशक सीएल चौरसिया के मुताबिक इन स्कूलों में छात्रों को संस्कृत के ज्ञान के साथ-साथ अपनी संस्कृति व परंपरा का भी पाठ पढ़ाया जाएगा।


 जल्द हास्टलों का निर्माण कार्य शुरू होगा। वहीं, 570 अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक संस्कृत स्कूलों में मानदेय पर शिक्षकों की भर्ती का कार्य चल रहा है। अभी तक 300 से अधिक शिक्षकों की 12 हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक मासिक मानदेय पर भर्ती की गई है।



धार्मिक नगरों में बनेंगे आवासीय संस्कृत स्कूल, भूमि आवंटित

अयोध्या, सीतापुर, प्रयागराज चित्रकूट व मथुरा में होंगे स्थापित पहली बार खुलेंगे आवासीय विद्यालय, 100 बेड के होंगे 

प्रयागराज : प्रदेश में पहली बार राजकीय आवासीय संस्कृत विद्यालय संचालित किए जाएंगे। इसके लिए धार्मिक महत्व के जिलों को चुना गया है, जहां धार्मिक अनुष्ठान/ आयोजन व्यापक स्तर पर होते रहते हैं और संस्कृत विद्वानों की अधिक आवश्यकता रहती है। 


इसमें प्रयागराज, नैमिषारण्य के कारण सीतापुर, भगवान राम की तपोस्थली के रूप में विख्यात चित्रकूट, श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या और श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में जाना जाने वाला मथुरा जिला शामिल है। इन जिलों में विद्यालयों के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि उपलब्ध करा दी है।


अभी प्रदेश में कहीं भी राजकीय आवासीय विद्यालय नहीं हैं। यहां तक कि उत्तर मध्यमा स्तर का एकमात्र राजकीय विद्यालय चंदौली में संचालित है, जो कि आवासीय नहीं है। धार्मिक अनुष्ठान कर्मकांड, पूजा-पाठ आदि के लिए विशेषज्ञ विद्वानों की कमी को देखते हुए उप शिक्षा निदेशक संस्कृत सीएल चौरसिया ने राजकीय आवासीय विद्यालयों की स्थापना का प्रस्ताव शासन को भेजा था। 

इसे मंजूरी मिलने के बाद धार्मिक नगरी वाले पांच जिलों में शासन के निर्देश पर अब विद्यालय स्थापना के लिए भूमि उपलब्ध हो गई है। अयोध्या, सीतापुर और चित्रकूट में पहले ही भूमि मिल गई थी। प्रमुख सचिव के पत्र के बाद प्रयागराज में भी भूमि मिल गई। 


मथुरा में भूमि को लेकर अड़चन आ रही थी, लेकिन सतत प्रयास से अब वहां भी भूमि फाइनल हो गई। अब शासन स्तर से इसके निर्माण के लिए एजेंसी फाइनल होना है। एजेंसी फाइनल होते ही अन्य औपचारिकताएं पूरी किए जाने के साथ निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। 


यह विद्यालय 100 बेड के आवासीय होंगे। विद्यालयों से संस्कृत शिक्षा के प्रति झुकाव और बढ़ेगा, जिससे संस्कृत विद्वानों की कमी भी दूर होगी, विद्वानों को रोजगार भी सुलभ होंगे।

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