टीईटी अनिवार्यता को लेकर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने एनसीटीई से की सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर हस्तक्षेप की मांग
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) ने राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) के अध्यक्ष के नाम एक ज्ञापन भेजते हुए हाल ही में आए सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय पर हस्तक्षेप की मांग की है, जिसमें कहा गया है कि सभी कार्यरत शिक्षकों के लिए टीईटी (TET) अनिवार्य होगा।
महासंघ का कहना है कि यह निर्णय देशभर में लगभग 20 लाख शिक्षकों की सेवा सुरक्षा को प्रभावित करता है। ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि 23 अगस्त 2010 की NCTE अधिसूचना के अनुसार, टीईटी न्यूनतम योग्यता केवल नियुक्ति के समय के लिए निर्धारित की गई थी, और जिन शिक्षकों की नियुक्ति इससे पहले या इसी नियम के अनुरूप हुई, उन्हें सेवा जारी रखने और पदोन्नति के लिए अलग से टीईटी अनिवार्य नहीं होना चाहिए।
महासंघ ने आग्रह किया कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश भविष्य के लिए लागू किया जाए, न कि पिछली नियुक्तियों पर। विभिन्न राज्यों में आरटीई कानून अलग-अलग समय पर लागू हुआ था, इसलिए टीईटी से जुड़े प्रावधान भी राज्य-स्तरीय अधिसूचनाओं के अनुसार ही तय किए जाने चाहिए। संगठन ने यह भी कहा कि लंबे समय तक सेवाएं देने वाले अनुभवी और योग्य शिक्षकों की वरिष्ठता और गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए। ज्ञापन में यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि निर्णय को बिना स्पष्टता और समायोजन के लागू किया गया तो भारी संख्या में शिक्षक न केवल पदोन्नति से वंचित होंगे बल्कि नौकरी की असुरक्षा की स्थिति भी पैदा हो जाएगी।
महासंघ ने सरकार और NCTE से अपील की है कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के साथ-साथ शिक्षकों के अधिकारों और आजीविका की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। संगठन ने हस्तक्षेप कर शिक्षकों को राहत देने वाले दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है।
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