यूपी बोर्ड ने पहली बार किया इस तरह का प्रावधान, करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को लाभ
दस साल में पहली बार समय से मिलेंगी सस्ती किताबें, बेसिक शिक्षा विभाग से आगे निकला यूपी बोर्ड, सभी जिलों में एनसीईआरटी की किताबें पहुंचाएंगे प्रकाशक
दुकानदारों को प्रकाशकों से मंगानी पड़ती थी किताबें, फुटकर दुकानदारों को मिलेगा 20 प्रतिशत कमीशन
प्रयागराज। यूपी बोर्ड से जुड़े प्रदेश के 28 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को 2026-27 सत्र में एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। पिछले सालों की तुलना में बोर्ड ने किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया पांच महीने पहले ही शुरू कर दी है और एक अप्रैल को सत्र शुरू होने से पहले ही किताबें बाजार में उपलब्ध हो जाएंगी। खास बात यह है कि बोर्ड ने इस साल जारी टेंडर में यह शर्त रखी है कि प्रकाशक ही किताबों को प्रदेश के सभी 75 जिलों में उपलब्ध कराएंगे।
साथ ही फुटकर विक्रेताओं के लिए 20 प्रतिशत कमिशन का प्रावधान भी किया गया है। इसका फायदा यह होगा कि फुटकर विक्रेता एनसीईआरटी आधारित यूपी बोर्ड की अधिकृत किताबें बेचने में रुचिलेंगे और बच्चों को महंगी किताबें खरीदने के लिए कई गुना अधिक कीमत नहीं चुकानी होगी। पिछले सालों में प्रकाशक किताबें तो छाप लेते थे लेकिन मार्जिन बहुत कम होने के कारण जिलों तक किताब नहीं पहुंचाते थे। जिलों के फुटकर दुकानदार दूसरे जिलों के प्रकाशकों से किताबें नहीं लेने जाते थे क्योंकि कमिशन नहीं मिलता था। कक्षा नौ से 12 तक की एनसीईआरटी नई दिल्ली से कॉपीराइट प्राप्त 36 विषयों की 70 पाठ्यपुस्तकों तथा यूपी बोर्ड की हिन्दी, संस्कृत तथा उर्दू विषय की 12 पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन होगा। यूपी बोर्ड के सचिव
भगवती सिंह का कहना है कि इस साल पहली बार प्रकाशकों को हर जिले में किताबें उपलब्ध कराने की शर्त टेंडर में शामिल की गई है। इसका फायदा बच्चों को होगा और उन्हें एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबें मिल सकेंगी।
यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राओं को दस साल में पहली बार एनसीईआरटी की किताबें एक अप्रैल से पहले मिल जाएगी। यूपी बोर्ड के स्कूलों में 2016 में एनसीईआरटी की किताबें लागू होने के बाद कोई ऐसा साल नहीं रहा जब छात्र-छात्राओं को समय से किताबें मिल सकी हों।
बेसिक शिक्षा विभाग से आगे निकला यूपी बोर्ड
प्रयागराज। इस साल यूपी बोर्ड के किताबों की प्रकाशन की प्रक्रिया बेसिक शिक्षा विभाग से भी पहले शुरू हो गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सवा लाख से अधिक स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को निःशुल्क किताबें उपलब्ध कराने के लिए हर साल नवंबर-दिसंबर में ही टेंडर जारी हो जाता है। वहीं यूपी बोर्ड के अधिकारी हर साल फरवरी-मार्च में टेंडर निकालते थे और बाजार में किताबें पहुंचते-पहुंचते जुलाई आ जाती थी। चूंकि सत्र एक अप्रैल से ही शुरू होता है तो अधिकांश बच्चे पहले ही अनाधिकृत महंगी किताबें खरीद लेते थे और बच्चों को सस्ती और अधिकृत किताबें उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा पूरी नहीं हो पाती थी।
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