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Saturday, November 8, 2025

चार पेज की लागत से तय होगा यूपी बोर्ड की पाठ्यपुस्तक का मूल्य, प्रकाशक अपनी मर्जी से पुस्तकों का मूल्य नहीं तय कर सकेंगे

चार पेज की लागत से तय होगा यूपी बोर्ड की पाठ्यपुस्तक का मूल्य, प्रकाशक अपनी मर्जी से पुस्तकों का मूल्य नहीं तय कर सकेंगे

प्रयागराजः यूपी बोर्ड की कक्षा नौ से 12 तक के शैक्षिक सत्र 2026-27 के लिए पाठ्यपुस्तकों का मूल्य तय करने को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। नई व्यवस्था में प्रकाशक अपनी मर्जी से पुस्तकों का मूल्य नहीं तय कर सकेंगे। नए शैक्षिक सत्र की पाठ्यपुस्तकों के लिए यूपी बोर्ड ने जो टेंडर जारी किया है, उसमें प्रकाशकों को चार पेज की कीमत बताने की शर्त जोड़ी है। इसी आधार पर प्रत्येक विषय की पूरी पुस्तक का मूल्य निर्धारित हो जाएगा। इसके अलावा पाठ्यपुस्तक प्रकाशित होकर आने के पहले प्रकाशकों को बताना होगा कि किस जिले में किस पुस्तक विक्रेता के यहां पाठ्यपुस्तक मिलेगी, ताकि विद्यार्थियों को आसानी से पाठ्यपुस्तक उपलब्ध हो सके।

पाठ्यपुस्तकों का मूल्य निर्धारित करने की नई व्यवस्था से प्रकाशकों की मनमर्जी नहीं चल पाएगी। पेज की लागत निश्चित होने से जितने पेज की जिस विषय के लिए पाठ्यपुस्तक होगी, उसी अनुपात में पूरी पुस्तक का मूल्य निश्चित हो जाएगा। वर्तमान सत्र के लिए पाठ्यपुस्तकें अप्रैल में नया सत्र आरंभ होने के तीन महीने बाद विक्रय के लिए बाजार में उपलब्ध हो पाई थीं। विलंब के कारण अधिकांश छात्र-छात्राओं ने बाजार में उपलब्ध अनधिकृत प्रकाशकों की पाठ्यपुस्तकें खरीदकर पढ़ाई शुरू कर दी थी। 




अनाधिकृत किताबों से पढ़ाया तो स्कूलों पर होगी कार्रवाई, एनसीईआरटी किताबों के लिए टेंडर जारी होते ही यूपी बोर्ड की सख्ती 
 
यूपी बोर्ड के स्कूलों में अनाधिकृत किताबों से पढ़ाई कराने पर प्रधानाचार्य और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होगी। बोर्ड ने 2026-27 शैक्षिक सत्र के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। एनसीईआरटी किताबों के लिए जारी टेंडर से ही सख्ती शुरू कर दी है।

सचिव भगवती सिंह ने साफ किया है कि यदि कोई प्रकाशक पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन अनुबंध के पहले किताबें छापता है और उससे संबंधित गाइड आदि प्रकाशित करते हुए पाया जाता है तो उसे तीन साल के लिए पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन से वंचित कर दिया जाएगा। इसके अलावा विधिक कार्रवाई भी की जा सकती है।

 चूंकि इस साल बोर्ड ने अक्तूबर में ही किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और एक अप्रैल को नया सत्र शुरू होने से पहले बाजार में कक्षा नौ से 12 तक की एनसीईआरटी की 36 विषयों की 70 पाठ्यपुस्तकों तथा यूपी बोर्ड की हिन्दी, संस्कृत तथा उर्दू विषय की 12 पाठ्यपुस्तकें बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएंगी। पिछले सालों में बोर्ड के स्तर से देरी के कारण अधिकृत और सस्ती किताबें जुलाई तक पहुंच पाती थी और तब तक बच्चे अनाधिकृत महंगी किताबें और गाइड वगैरह खरीद लेते थे।

इस साल समय से प्रक्रिया शुरू होने के कारण बोर्ड ने भी सख्त रुख अपनाया है, ताकि बच्चों को सस्ती और अधिकृत किताबें मिल सकें। सचिव भगवती सिंह का कहना है कि स्कूलों में अधिकृत किताबों से पढ़ाने के निर्देश हैं। यदि किसी स्कूल में अनाधिकृत किताबों से पढ़ाई होते पाई गई तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।



41 लाख पुस्तकों की रायल्टी जमा, नए सत्र में अप्रैल से पहले आएंगी NCERT की पाठ्यपुस्तकें, टेंडर जारी करने की यूपी बोर्ड की तैयारी

प्रयागराज : नए शैक्षिक सत्र 2026-27 के लिए कक्षा नौ से 12 तक की पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित करने की अनुमति देने से पहले राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा मांगी गई रायल्टी का भुगतान बोर्ड ने कर दिया है। 41 लाख पुस्तकों की रायल्टी के भुगतान के बाद अब पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित करने की अनुमति मिलने से पूर्व यूपी बोर्ड निविदा (टेंडर) आमंत्रित करने की तैयारी कर रहा है, ताकि अनुमति मिलने पर टेंडर प्रक्रिया में अधिक समय न लगे।

 शैक्षिक सत्र 2025-26 में पाठ्यपुस्तकें जुलाई में बाजार में उपलब्ध हुई थीं, जिसके कारण यूपी बोर्ड वर्ष 2026-27 के लिए पाठ्यपुस्तकें अप्रैल में शैक्षिक सत्र आरंभ होने से पहले बाजार में उपलब्ध कराने का कार्य कर रहा है।

शैक्षिक सत्र 2025-26 में बकाया रायल्टी जमा करने में देरी और पुस्तकें प्रकाशित कराने की अनुमति मिलने में देरी के कारण तीन महीने विलंब से एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें बाजार में उपलब्ध हो पाई थीं। इसके कारण विद्यार्थियों ने शैक्षिक सत्र शुरू होने पर बाजार में उपलब्ध अनधिकृत एवं निजी प्रकाशकों को पुस्तकें खरीदकर पढ़ाई शुरू कर दी थी। 

 ऐसे में यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने आगामी सत्र के लिए पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराने की अनुमति पिछले दिनों एनसीईआरटी से मांगी, लेकिन उसने पिछले वर्ष की स्थितियों को ध्यान में रखकर पहले शैक्षिक सत्र 2025-26 की रायल्टी जमा करने को कहा। इस पर बोर्ड ने बिकी 41 लाख पुस्तकों की रायल्टी का भुगतान कर दिया है। अब अनुमति मांगने से पूर्व टेंडर आमंत्रित करने की तैयारी शुरू कर दी है।



यूपी बोर्ड ने पहली बार किया इस तरह का प्रावधान, करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को लाभ

दस साल में पहली बार समय से मिलेंगी सस्ती किताबें, बेसिक शिक्षा विभाग से आगे निकला यूपी बोर्ड, सभी जिलों में एनसीईआरटी की किताबें पहुंचाएंगे प्रकाशक

दुकानदारों को प्रकाशकों से मंगानी पड़ती थी किताबें, फुटकर दुकानदारों को मिलेगा 20 प्रतिशत कमीशन


प्रयागराज। यूपी बोर्ड से जुड़े प्रदेश के 28 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को 2026-27 सत्र में एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। पिछले सालों की तुलना में बोर्ड ने किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया पांच महीने पहले ही शुरू कर दी है और एक अप्रैल को सत्र शुरू होने से पहले ही किताबें बाजार में उपलब्ध हो जाएंगी। खास बात यह है कि बोर्ड ने इस साल जारी टेंडर में यह शर्त रखी है कि प्रकाशक ही किताबों को प्रदेश के सभी 75 जिलों में उपलब्ध कराएंगे।


साथ ही फुटकर विक्रेताओं के लिए 20 प्रतिशत कमिशन का प्रावधान भी किया गया है। इसका फायदा यह होगा कि फुटकर विक्रेता एनसीईआरटी आधारित यूपी बोर्ड की अधिकृत किताबें बेचने में रुचिलेंगे और बच्चों को महंगी किताबें खरीदने के लिए कई गुना अधिक कीमत नहीं चुकानी होगी। पिछले सालों में प्रकाशक किताबें तो छाप लेते थे लेकिन मार्जिन बहुत कम होने के कारण जिलों तक किताब नहीं पहुंचाते थे। जिलों के फुटकर दुकानदार दूसरे जिलों के प्रकाशकों से किताबें नहीं लेने जाते थे क्योंकि कमिशन नहीं मिलता था। कक्षा नौ से 12 तक की एनसीईआरटी नई दिल्ली से कॉपीराइट प्राप्त 36 विषयों की 70 पाठ्यपुस्तकों तथा यूपी बोर्ड की हिन्दी, संस्कृत तथा उर्दू विषय की 12 पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन होगा। यूपी बोर्ड के सचिव

भगवती सिंह का कहना है कि इस साल पहली बार प्रकाशकों को हर जिले में किताबें उपलब्ध कराने की शर्त टेंडर में शामिल की गई है। इसका फायदा बच्चों को होगा और उन्हें एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबें मिल सकेंगी। 

यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राओं को दस साल में पहली बार एनसीईआरटी की किताबें एक अप्रैल से पहले मिल जाएगी। यूपी बोर्ड के स्कूलों में 2016 में एनसीईआरटी की किताबें लागू होने के बाद कोई ऐसा साल नहीं रहा जब छात्र-छात्राओं को समय से किताबें मिल सकी हों।


बेसिक शिक्षा विभाग से आगे निकला यूपी बोर्ड

प्रयागराज। इस साल यूपी बोर्ड के किताबों की प्रकाशन की प्रक्रिया बेसिक शिक्षा विभाग से भी पहले शुरू हो गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सवा लाख से अधिक स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को निःशुल्क किताबें उपलब्ध कराने के लिए हर साल नवंबर-दिसंबर में ही टेंडर जारी हो जाता है। वहीं यूपी बोर्ड के अधिकारी हर साल फरवरी-मार्च में टेंडर निकालते थे और बाजार में किताबें पहुंचते-पहुंचते जुलाई आ जाती थी। चूंकि सत्र एक अप्रैल से ही शुरू होता है तो अधिकांश बच्चे पहले ही अनाधिकृत महंगी किताबें खरीद लेते थे और बच्चों को सस्ती और अधिकृत किताबें उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा पूरी नहीं हो पाती थी।

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