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Tuesday, September 20, 2022

यूपी बोर्ड की मान्यता के नियमों में में प्रस्तावित बदलाव पर हंगामा, सपा ने शिक्षा के बाजारीकरण का लगाया आरोप

यूपी बोर्ड की मान्यता के नियमों में में प्रस्तावित बदलाव पर हंगामा

विधान परिषद : सपा सदस्यों ने शिक्षा के बाजारीकरण का लगाया आरोप

नेता सदन  बोले गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार ले रही अहम फैसले


लखनऊ। विधान परिषद में सोमवार को यूपी बोर्ड की मान्यता के नियमों में प्रस्तावित संशोधनों पर सपा सदस्यों ने हंगामा किया। उन्होंने सरकार पर शिक्षा के बाजारीकरण का आरोप लगाया और अपना विरोध दर्ज कराते हुए वेल में आ गए। नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्य विपक्षी दल के आरोपों को नकारते हुए कहा कि भाजपा सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए अहम फैसले ले रही है। मान्यता के नियमों में संशोधनों के लिए सुझाव व आपत्तियां मांगी गई हैं। इन पर विचार के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।


सपा सदस्य आशुतोष सिन्हा ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए यह मुद्दा सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा परिषद हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की मान्यता के नियमों में बदलाव कर रही है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जमीन के मानक तीन गुने किए जा रहे हैं, ताकि पूंजीपति और बड़ी कंपनियां ही स्कूल खोल पाएं। सपा के ही सदस्य डॉ. मान सिंह ने कहा कि सरकार शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं है।


सपा सदस्य लाल बिहारी यादव ने कहा कि मान्यता के लिए अभी तक विभिन्न तरह की सिक्योरिटीज के तौर पर 33 हजार रुपये ही लिया जाता था, जोकि अब 11 लाख रुपये किया जाना प्रस्तावित है। मध्यवर्गीय प्रबंधकों को स्कूल खोलने से रोकने की यह चाल है। कंपनियां स्कूल खोलेंगी तो महंगी फीस होने के कारण गरीबों के बच्चे उनमें दाखिला नहीं ले पाएंगे। इतना ही नहीं वित्तविहीन विद्यालयों में परीक्षा केंद्र न बनाने के लिए भी निर्देश दिए जा रहे हैं। एफसीआई के गोदामों में भी परीक्षा कराने की योजना बनाई जा रही है। इन विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को केंद्र व्यवस्थापक बनाने की व्यवस्था पहले ही खत्म कर दी गई है। 


नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड को आगे बढ़ाया जा रहा है। शिक्षा में सुधार के लिए भाजपा की योगी सरकार प्रतिबद्ध है। इस पर लाल बिहारी यादव ने कहा कि मान्यता के लिए 11 लाख रुपये लेने से कौन सी गुणवत्ता बढ़ेगी। इसके बाद सपा के सभी सदस्य वेल में आकर नीचे बैठ गए। 


सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने सदन को व्यवस्थित रूप से चलाने की अपील की। करीब 10 मिनट बाद सपा सदस्य अपनी सीट पर लौटे तो नेता सदन ने कहा कि वे लोग अपनी आपत्तियां दे दें, उन पर भी विचार होगा। कहा कि डीएम को परीक्षा केंद्र के बाबत अभी सरकार ने कोई निर्देश नहीं दिए हैं। इस पर लाल बिहारी ने कहा कि वे मंगलवार को उस आदेश को सदन में उपलब्ध करा देंगे। 


चुनौती भरे लहजे में कहा कि अगर उनकी बात गलत निकली तो सदन से इस्तीफा दे देंगे। पहले की सरकारों में भी शिक्षक विधायकों से सुझाव न लिए जाने की बात आने पर लाल बिहारी ने कहा कि कम से कम अब तो इस खामी को दुरुस्त कर लिया जाए। इस पर केशव ने कहा कि लाल बिहारी यादव यूपी में पहले रहीं अपनी पार्टी की सरकारों पर तो कम से कम आरोप मढ़ने से बचें।


नए स्कूल खोलने से रोकना चाहती है सरकार: सपा

सपा ने विधान परिषद में सोमवार को यूपी बोर्ड की मान्यता के नियमों में प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया। आशुतोष सिन्हा ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जमीन के मानक तीन गुने किए जा रहे हैं, ताकि पूंजीपति और बड़ी कंपनियां ही स्कूल खोल पाएं। 


सपा सदस्य लाल बिहारी यादव ने कहा कि मान्यता के लिए अभी तक विभिन्न तरह की सिक्योरिटीज के तौर पर 33 हजार रुपये लिया जाता था, जिसे 11 लाख रुपये किया जाना प्रस्तावित है। यह मध्यवर्गीय प्रबंधकों को स्कूल खोलने से रोकने की चाल है। कंपनियां स्कूल खोलेंगी तो अधिक फीस होने के कारण गरीबों के बच्चे उनमें दाखिला नहीं ले पाएंगे।



वित्तविहीन शिक्षकों की जिम्मेदारी उठाए सरकार

विधान परिषद में बसपा के सदस्य सुरेश कुमार त्रिपाठी और ध्रुव त्रिपाठी ने वित्तविहीन शिक्षकों के लिए सरकार से मदद देने और सेवा नियमावली लागू करने का मुद्दा कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए उठाया। आकाश अग्रवाल ने कहा कि वित्तविहीन शिक्षकों की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार को उठानी चाहिए।

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