चौतरफा विरोध के बीच स्कूलों का विलय शुरू, शिक्षक संगठनों के साथ प्रतियोगी छात्र भी विरोध में उतरे, X पर भी चलाया सेव विलेज स्कूल अभियान
लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के विरोध के बीच इसकी प्रक्रिया गति पकड़ रही है। इसके तहत गोरखपुर में एक विद्यालय के विलय का आदेश जारी कर दिया गया है। वहीं शिक्षक संगठनों के साथ प्रतियोगी छात्र भी इसके विरोध में उतर आए हैं। बुधवार को उन्होंने एक्स पर सेव विलेज स्कूल के नाम से व्यापक अभियान चलाया।
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर करने की कवायद के बीच पिछले दिनों कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के बच्चों को पास के स्कूलों में शिफ्ट करने का निर्देश जारी किया गया है। इसे लेकर जिलों में काफी तेजी से कवायद चल रही है। इसी क्रम में गोरखपुर में प्राथमिक विद्यालय मिर्जवा बाबू को प्राथमिक विद्यालय रउतैनिया बाबू से (पेयरिंग) करने की संस्तुति की गई है।
वहीं बीटीसी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीतेश पांडेय व डीएलएड मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विशु यादव ने स्कूलों के विलय का विरोध करते हुए कहा कि इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्र में नौनिहालों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यह आरटीई एक्ट का भी उल्लंघन है। अगर सरकारी स्कूलों में नामांकन घट रहा है तो इसका समाधान शिक्षक और संसाधन बढ़ाकर किया जाए, न कि स्कूलों का विलय कर शिक्षकों के खाली पदों को भरा जाए।
इसी क्रम में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी व प्रदेश महामंत्री उमाशंकर सिंह ने सरकार से छात्र, शिक्षा व शिक्षक को प्रभावित करने वाले इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है। साथ ही कहा है कि ऐसा न करने पर संघ बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों की एक किलोमीटर की परिधि में किसी भी प्राइवेट स्कूल को मान्यता न देने का प्रावधान है। फिर भी विभागीय अधिकारी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। सरकार पहले अभियान चलाकर गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को बंद करे।
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने आदेश की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह निर्णय ग्रामीण बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। उन्होंने कहा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम इसी उद्देश्य से लागू हुआ था कि हर बच्चे को उसके घर के समीप विद्यालय मिले। आज उन्हीं स्कूलों को मर्ज करना न केवल छात्रों, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों के संवैधानिक अधिकारों का ठाबंधन है।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि यदि शासन ने यह आदेश तत्काल वापस नहीं लिया तो प्रदेश में शिक्षक संगठन जन आंदोलन खड़ा करेंगे और जरूरत पड़ी तो न्यायिक कार्रवाई भी की जाएगी। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए इसे स्कूलों के निजीकरण की ओर बढ़ा कदम बताया।
मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निर्णय वापस लेने की मांग
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष तिवारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विद्यालयों के विलय के आदेश को वापस लेने की मांग की है। संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय सचिव दिलीप चौहान ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा और स्वास्थ्य होना चाहिए। यदि ऐसे विद्यालय बंद कर दिए जाएंगे तो गरीब और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों को जरूरी शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा। वहीं उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी ने भी इस निर्णय का विरोध करने की बात कही है। यह निर्णय छात्र व शिक्षक किसी के हित में नहीं है।
शिक्षक संगठनों ने बच्चों को दूसरे स्कूल भेजने का किया विरोध, कहा, इससे जुड़ा आदेश वापस नहीं हुआ तो करेंगे आंदोलन
लखनऊ। शासन द्वारा कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को पास के स्कूल में भेजने के आदेश का शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा विद्यालयों की पेयरिंग के नाम पर जो परिषदीय विद्यालय बंद किए जा रहे हैं। यह न केवल शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) की मूल भावना का अतिक्रमण है, बल्कि ग्रामीण बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि आरटीई के तहत गांव, मजरे में विद्यालय खोले गए थे ताकि हर बच्चे को उसके घर के पास शिक्षा मिल सके। आज उन्हीं विद्यालयों को मर्ज करना न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के अधिकारों का हनन है। शासन इस आदेश को तत्काल वापस ले। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो संघ जन आंदोलन करेगा।
उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के लखनऊ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि राजधानी के 445 विद्यालयों की प्रस्तावित पेयरिंग आदेश को तत्काल स्थगित किया जाए। विद्यालयों में संसाधनों और शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके। अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु और जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ लखनऊ के मनोज कुमार मौर्य ने भी कहा कि इसका विरोध किया जाएगा।
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