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Sunday, June 1, 2025

NCTE के निर्देश पर 1066 शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों पर लगेगा ताला, वर्ष 2025-26 से ही दाखिले पर लगा दी गई रोक, बीएड व डीएलएड कॉलेजों के फर्जीवाड़े पर बड़ा एक्शन

NCTE के निर्देश पर 1066 शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों पर लगेगा ताला,  वर्ष 2025-26 से ही दाखिले पर लगा दी गई रोक, बीएड व डीएलएड कॉलेजों के फर्जीवाड़े पर बड़ा ekshan
 

बीएड, डीएलएड व बीपीएड कोर्स चला रहे डिग्री कॉलेज किस तरह हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं यह राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की जांच में सामने आया है। स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए जाने पर मानक विहीन कॉलेजों ने सरेंडर कर दिया। उनके कारनामों की कलई खुल गई। एनसीटीई के निर्देश पर 1066 कॉलेजों पर ताला लगाया जाएगा। वर्ष 2025-26 से ही दाखिले पर रोक लगा दी गई है।

ऑनलाइन परफार्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट न भरने पर शिकंजा कसा गया। पीएआर मांगी तो कॉलेज आनाकानी करने लगे। कॉलेजों ने एनसीटीई की नोटिसों का जवाब देना बंद कर दिया। ऑनलाइन रिपोर्ट में जीपीएस से लाइव लोकेशन, वीडियो व शिक्षकों इत्यादि की जानकारी भरनी थी। यही कारण है कि बीएड, डीएलएड व बीपीएड कोर्स चला रहे कॉलेजों ने हाथ खड़े कर दिए। 

पीएआर मॉड्यूल में मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं की जवाबदेही तय की गई। एनसीटीई के मानकों के पालन को लेकर सख्ती की गई तो धंधेबाजी सामने आ गई। यूपी के 1066 में से 50 डिग्री कॉलेजों के पते ही फर्जी निकले, 212 कॉलेजों ने पीएआर रिपोर्ट न जमा करने का जवाब नहीं दिया। 804 कॉलेजों ने 15 दिनों के नोटिस के जवाब की समयसीमा के बाद भी स्पष्टीकरण नहीं दिया। 

बिना भवन व किराए की बिल्डिंग में चले कॉलेज
प्रदेश के जिन 50 डिग्री कॉलेजों का पता सही नहीं निकला, उसमें कई कागजों पर थे। कई किराए की बिल्डिंग में थे। एक जमीन पर अलग दरवाजे की फोटो करा दो कॉलेज मान्यता लेकर कागज पर थे। सिर्फ डिग्री बांटी जा रही थी। 

1.06 लाख सीटें घटेंगी 60 दिन में करें अपील
प्रदेश में 1066 कॉलेजों पर ताले से 1.06 लाख सीटें कम होंगी। अभी 4.80 लाख सीटें हैं अब सीटें 3.74 लाख रह जाएंगी। स्वावित्तपोषित डिग्री कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी कहते हैं कि किसी कॉलेज को लगता है कि मानक पूरे हैं और ज्यादती हो रही है तो 60 दिनों में एनसीटीई में अपील करे



यूपी के 1066 कॉलेजों में बीएड व डीएलएड के प्रवेश पर रोक,  ऑनलाइन परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट (PAR) न जमा करने पर NCTE ने लगाई रोक

50 कॉलेजों के पते ही फर्जी निकले, जांच के दिए आदेश


लखनऊ । प्रदेश में बीएड व डीएलएड कोर्स चला रहे 1066 कॉलेजों के दाखिले पर तलवार लटक गई है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने ऑनलाइन परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट (पीएआर) न भरने वाले और मानकों के साथ खिलवाड़ करने वाले इन संस्थानों में वर्ष 2025-26 में प्रवेश पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। जिसमें से 50 कॉलेज ऐसे हैं, जहां एनसीटीई की ओर से भेजा गया नोटिस डाक विभाग की ओर से यह कहकर वापस कर दिया गया कि जिन पते पर इन्हें भेजा गया है, वहां यह कॉलेज नहीं हैं। बीते दिनों एनसीटीई की नॉर्दन रीजन की मीटिंग में देश भर में ऐसे 2767 कॉलेजों के प्रवेश पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं।


कॉलेजों की गुणवत्ता व मानकों के अनुसार संस्थान चल रहे हैं, इन्हें आंकने के लिए पीएआर ऑनलाइन भरवाई जाती है। वर्ष 2021-22 व वर्ष 2022-23 की ही पीएआर इन कॉलेजों ने नहीं जमा की। यही नहीं कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद इन्हें 15 दिनों का समय अपना पक्ष रखने के लिए दिया गया उस पर भी इन संस्थानों ने कोई जवाब नहीं दिया।


 उत्तर प्रदेश के 1066 में से 50 कॉलेजों के पते पर भेजी गई नोटिस बैरंग वापस लौट आई। 212 संस्थानों ने वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 की पीएआर रिपोर्ट ऑनलाइन न जमा किए जाने के बावजूद लापरवाही बरती और एनसीटीई को जवाब नहीं दिया। वहीं 804 कॉलेज ऐसे हैं, जिन्होंने एनसीटीई की ओर से पीएआर रिपोर्ट न जमा करने पर नोटिस जारी कर 15 दिनों में जवाब मांगा तो इन्होंने भी कोई जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। 


प्रदेश में रविवार को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी की ओर से बीएड की प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाना है। जिसमें 3.33 लाख विद्यार्थी शामिल होंगे। उससे पहले एनसीटीई ने बीएड व उसके साथ डीएलएड कोर्स चला रहे कॉलेजों पर चाबक चला दिया है।


पीएआर मॉड्यूल

मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों की जवाबदेही तय करने के लिए पीएआर मॉड्यूल लागू किया गया है। जिसे मान्यता प्राप्त संस्थाएं दाखिल करती हैं। वह बताती हैं कि वह एनसीटीई के सभी मापदंडों व मानकों का पालन कर रहीं हैं या नहीं। अगर रिपोर्ट के अनुसार मानक में कोई कमी होती है तो फिर उस कॉलेज का विशेषज्ञ कमेटी निरीक्षण करती है। सरकारी संस्थानों को पांच हजार, निजी को 15 हजार पीएआर की प्रॉसेसिंग फीस जमा करना जरूरी होता है। इन संस्थाओं ने उसे जमा नहीं किया।

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