दर्जन भर से ज्यादा नियामकों में बिखरी देश की उच्च शिक्षा को एक नियामक के दायरे में लाने के लिए उच्च शिक्षा आयोग बनाने के लिए प्रयास तेज
नई दिल्ली: दर्जन भर से ज्यादा नियामकों में बिखरी देश की उच्च शिक्षा को एक नियामक के दायरे में लाने की सिफारिश हुए पांच साल से ज्यादा वक्त हो गया है। लेकिन सक्रियता अब बढ़ी है। शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर प्रस्तावित भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (हेकी) के गठन की तैयारी फिर से शुरू कर दी है। इससे संबंधित विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है। साथ ही जो संकेत मिले, उसमें नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इसे पेश किया जा सकता है।
शिक्षा मंत्रालय ने यह तेजी तब दिखाई है, जब एनईपी की सिफारिश के तहत उच्च शिक्षा में कई बड़े बदलावों को लागू कर दिया गया है। इसमें सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को बहुविषयक संस्थानों में तब्दील करने, क्रेडिट फार्मूले को अपनाना व पढ़ाई के दौरान कभी भी एक्जिट और एंट्री जैसे विकल्पों को मुहैया कराना है। आइआइटी सहित देश के शीर्ष उच्च संस्थानों ने इस पर अमल भी शुरू कर दिया है। इसमें आइआइटी ने बीएसएसी-बीएड व बीए-बीएड जैसे शिक्षक प्रशिक्षण कोसौँ को शुरू कर दिया है। वैसे तो आइआइटी एक स्वायत्त और तकनीकी संस्थान है लेकिन इन कोर्सों के नियामक का जिम्मा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के पास है। इस तरह गैर तकनीकी कोर्सों यानी बीएससी जैसे कोर्सों के नियामक यूजीसी निर्धारित करता है।
मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक उच्च शिक्षा में तेजी से अपनाए जा रहे इन बदलावों को देखते हुए प्रस्तावित उच्च शिक्षा आयोग का गठन दर्शाती है। जरूरी हो गया है। जहां बहुविषयक संस्थानों को अलग-अलग नियामकों के चक्कर नहीं लगाने पड़े। जो उच्च शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने व सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाने के लिए भी आवश्यक है। देश की उच्च शिक्षा अभी यूजीसी, एआइसीटीई, एनसीटीई, एनसीवीईटी व वास्तुकला परिषद जैसे करीब 14 नियामकों में बिखरी हुई है।
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