राजकीय माध्यमिक स्कूलों में गठित होगी विद्यालय प्रबंध एवं विकास समिति, शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के दो सप्ताह के भीतर होगा गठन, प्रधानाचार्य होंगे अध्यक्ष
छात्रों की पढ़ाई से लेकर विद्यालय के विकास की होगी जिम्मेदारी
लखनऊः स्कूल अब सिर्फ शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि सामूहिक विकास का मंच भी बनेगा। प्रदेश के हर राजकीय माध्यमिक विद्यालय में शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही बच्चों की पढ़ाई, खेल, संस्कार और स्कूल के विकास की जिम्मेदारी तय होगी। इसके लिए सभी जगह विद्यालय प्रबंध एवं विकास समिति (एसएमडीसी) का गठन किया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने नई व्यवस्था लागू कर दी है, जिसके तहत हर शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के दो सप्ताह के भीतर एसएमडीसी का गठन अनिवार्य होगा।
यह समिति हर महीने बैठक करेगी, जिसमें सबसे अधिक और सबसे कम अंक पाने वाले छात्रों को बुलाया जाएगा ताकि उनकी समस्याएं और सुधार के अवसर पर चर्चा हो सके। खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले छात्रों को भी बैठक में आमंत्रित किया जाएगा। शैक्षिक प्रगति, संसाधन, और विद्यार्थियों की बेहतरी पर निर्णय लेने के साथ समिति समय-समय पर शिक्षकों को भी बुलाकर चर्चा करेगी। जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य, निर्माण, समाज कल्याण, वन या खेल विभाग के अधिकारियों को भी बैठक में बुलाया जा सकेगा। इस समिति का कार्यकाल एक शैक्षिक वर्ष का होगा।
इसमें प्रधानाचार्य पदेन अध्यक्ष, वरिष्ठतम शिक्षक उपाध्यक्ष और कार्यकारिणी अध्यापकों में से सदस्य सचिव रहेंगे। हर कक्षा के सबसे अधिक और सबसे कम अंक पाने वाले छात्रों के अभिभावक, विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान के एक-एक शिक्षक, पंचायत या शहरी निकाय के दो सदस्य, अनुसूचित जाति व जनजाति या कमजोर वर्ग से एक सदस्य, शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यक समुदाय से एक सदस्य, महिला संगठन समूह से एक सदस्य और विद्यालय के सेवित क्षेत्र (हाईस्कूल में पांच किमी, इंटरमीडिएट में सात किमी) के अंतर्गत आने वाली ग्राम या वार्ड शिक्षा समितियों के सचिव इसमें रहेंगे। प्रधानाचार्य को यह अधिकार होगा कि वे चिकित्सा, अभियांत्रिकी, साहित्य, कला या संस्कृति से जुड़े तीन विशेषज्ञों को नामित कर सकें।
अब निर्माण व शैक्षिक गतिविधि में अभिभावकों के सुझाव होंगे शामिल
राजकीय माध्यमिक स्कूलों में एसएमडीसी के गठन का विस्तृत शासनादेश जारी
लखनऊ। राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में होने वाले निर्माण कार्यों, शैक्षिक गतिविधियों, पाठ्यक्रम निर्धारण से जुड़ी चीजों में अब छात्रों के अभिभावकों के सुझाव भी लिए जाएंगे। इसके लिए शासन ने विद्यालय प्रबंध व विकास समिति (एसएमडीसी) के गठन व दायित्व का विधिवत शासनादेश जारी किया है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव उमेश चंद्र की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में यह समिति होगी। समिति शैक्षिक उन्नयन, सूचना प्रबंधन प्रणाली, संस्थागत नियोजन, मूल्यांकन, सुधारात्मक व निदानात्मक उपाय, शैक्षिक कार्यों के संचालन व विद्यालय के सभी अनुदान, व्यय व रखरखाव का संचालन करेगी। सत्र शुरू होने के दो सप्ताह के अंदर एसएमडीसी का गठन जरूरी होगा।
उन्होंने कहा है कि सत्र शुरू होने के पहले सप्ताह तक छात्र अपने अभिभावक का विवरण उपलब्ध कराएंगे। इसके बाद दूसरे रविवार को आम सभा होगी जिसमें समिति का गठन होगा। समिति संस्था के शिक्षण स्तर के आकलन, शिक्षण दिवसों की समीक्षा, संस्था के लिए भौतिक व आर्थिक संसाधन जुटाने, भौतिक संसाधनों की व्यवस्था, संपत्तियों का संरक्षण, श्रेष्ठ छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों को सम्मानित करने आदि में अहम भूमिका निभाएगी।
इस तरह बनेगी समिति
समिति एक साल के लिए गठित होगी। हर साल इसका नवीनीकरण होगा। प्रधानाचार्य इसके पदेन अध्यक्ष, उप प्रधानाचार्य उपाध्यक्ष व शिक्षक सदस्य होंगे। कक्षा छह में सर्वोच्च अंक, कक्षा 7 में सबसे कम नंबर, कक्षा आठ में सर्वोच्च अंक, कक्षा 9 में सबसे कम नंबर, कक्षा 10 में सर्वोच्च अंक, कक्षा 11 में सबसे कम व कक्षा 12 में सर्वोच्च अंक पाने वाले छात्रों के अभिभावक भी समिति के सदस्य होंगे। विशेषज्ञ सचिव ने समिति के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं।
उप समितियां भी बनेंगी
एसएमडीसी के सहयोग के लिए उप समितियां भी बनेंगी। प्रधानाचार्य उप समितियों के भी पदेन अध्यक्ष होंगे। पंचायत व निकाय प्रतिनिधि, एक अभिभावक, सिविल इंजीनियर व लेखा विभाग के लोग उप समिति में शामिल होंगे।
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