तीन वर्ष छात्र संख्या शून्य होने के कारण 169 विद्यालयों की यूपी बोर्ड मान्यता समाप्त, तीन साल प्रवेश शून्य रहने पर मान्यता समाप्ति का है नियम
एक विद्यालय के प्रत्यावेदन पर विद्यालय संचालन की अनुमति
प्रयागराज: प्रदेश के कई माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के प्रवेश की स्थिति चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 170 विद्यालय ऐसे हैं, जहां कोई भी छात्रा पंजीकृत नहीं है। यह स्थिति कोई एक साल में नहीं बनी, बल्कि पिछले लगातार तीन वर्षों से यही स्थिति है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद की नियमावली के अनुसार ऐसे विद्यालयों की मान्यता स्वतः समाप्त हो जाती है, जहां पिछले तीन वर्षों में किसी विद्यार्थी का प्रवेश नहीं हुआ है। ऐसे 169 विद्यालयों की मान्यता नियमानुसार समाप्त हो गई, जबकि इसी श्रेणी के एक विद्यालय की ओर से दिए गए प्रत्यावेदन पर शासन ने उसे संचालित करने की अनुमति दी है, जिसमें प्रवेश लिए जा सकेंगे।
यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने वर्ष 2026 में होने वाली हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए केंद्र निर्धारण नीति का प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेज दिया है। प्रस्ताव पर अभी शासन से अनुमति नहीं मिलने के कारण परीक्षा केंद्र निर्धारण नीति जारी नहीं की जा सकी है।
बोर्ड सचिव ने परीक्षा केंद्र निर्धारण नीति में विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या को भी महत्व दिया है। इसी उद्देश्य से विद्यालयों की छात्र संख्या का विश्लेषण किया गया तो 170 विद्यालय ऐसे मिले, जिनमें पिछले तीन साल में किसी विद्यार्थी का प्रवेश नहीं लिया गया। इनमें वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय के विद्यालयों की संख्या 51 है। इसी तरह प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय के 45, मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय के 39, बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के 22 तथा गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय के 13 विद्यालय शामिल हैं।
09 अक्टूबर 2025
प्रयागराज। यूपी बोर्ड से संबद्ध 170 स्कूलों की मान्यता छिनेगी। बोर्ड की ओर से ऐसे स्कूलों की सूची तैयार की गई है जहां लगातार तीन साल से एक भी छात्र का प्रवेश नहीं हुआ है। इनमें सबसे अधिक वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय से जुड़े जिलों के 51 स्कूल शामिल हैं।
प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय के 45 और मेरठ के 39 स्कूल भी सूची में सम्मिलित हैं। बरेली के 22 जबकि गोरखपुर के 13 स्कूल सूची में शामिल हैं। फिलहाल इन स्कूलों को नोटिस जारी कर लगातार तीन साल तक नामांकन शून्य होने का कारण पूछा जा रहा है।
शून्य नामांकन का वाजिब कारण नहीं मिलने पर मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई की जाएगी। खास बात यह है कि ये सभी डिफाल्टर स्कूल वित्तविहीन है।
कानपुर नगर के 13 स्कूलों का नाम शामिल
प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय में पड़ने वाले कानपुर नगर के 13 और लखनऊ के 12 स्कूलों को नोटिस दिया गया है। प्रयागराज के क्षेत्रीय सचिव कमलेश कुमार का कहना है कि स्कूलों को नोटिस देकर छात्र नामांकन शून्य रहने का कारण पूछा गया है। वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय में पड़ने वाले जिलों में आजमगढ़ में सर्वाधिक 11 स्कूलों की मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है। गाजीपुर के दस, अयोध्या सात, मऊ पांच और बलिया के चार स्कूल हैं। मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय में पड़ने वाले एटा के नौ स्कूल जबकि आगरा और फिरोजाबाद के पांच-पांच स्कूल हैं।
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