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Friday, October 20, 2023

CUET ने डुबो दी प्रवेश की लुटिया, सत्र तो पिछड़ा ही, बड़ी संख्या में खाली रह गईं स्नातक की सीटें

CUET ने डुबो दी प्रवेश की लुटिया, आज अंतिम मौका

सत्र तो पिछड़ा ही, बड़ी संख्या में खाली रह गईं स्नातक की सीटें

पंजीकरण की अनिवार्यता हटाने के बाद भी नहीं सुधरी स्थिति


प्रयागराज ।  सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) ने इस बार इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि ) और संघटक महाविद्यालयों में प्रवेश की लुटिया डुबो दी। इविवि ने तो वक्त रहते स्थिति संभाल ली, लेकिन कॉलेजों में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गईं। 20 अक्तूबर को प्रवेश की अंतिम तिथि है।


सीयूईटी का परिणाम इस बार काफी देर से आया, जिसकी वजह से प्रवेश भी देर से शुरू हुए। सीयूईटी का परिणाम आने के बाद इविवि ने अभ्यर्थियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया और यह शर्त रख दी कि बिना पंजीकरण के अभ्यर्थी इविवि एवं संघटक महाविद्यालयों में प्रवेश नहीं ले सकेंगे। सीयूईटी में शामिल बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया ही नहीं।


कॉलेजों में जब प्रवेश शुरू हुआ तो पंजीकृत अभ्यर्थियों की संख्या काफी कम थी। कॉलेजों को बीए, बीएससी, बीकॉम में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी ही नहीं मिल रहे थे। ऐसे में इविवि की एकेडमिक काउंसिल को पंजीकरण की अनिवार्यता हटानी पड़ी। यहां तक उन अभ्यर्थियों को भी कॉलेज में प्रवेश की अनुमति दे दी गई, जो सीयूईटी में शामिल ही नहीं हुए थे।


हालांकि, इसके बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ। बीकॉम और बीएससी में तो प्रवेश के लिए अभ्यर्थी पहुंचे, लेकिन बीए में अब भी ज्यादातर सीटें खाली पड़ी हैं। सीएमपी डिग्री कॉलेज, एडीसी, ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज, राजर्षि टंडन महिला महाविद्यालय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय, आर्य कन्या डिग्री कॉलेज में तो बीए की 50 फीसदी से अधिक सीटें खाली हैं। राजर्षि टंडन महिला महाविद्यालय और श्याम प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय में तो बीए की 70 से 80 फीसदी तक सीटें खाली हैं। 


इविवि के प्रवेश प्रकोष्ठ ने संघटक महाविद्यालयों में स्नातक प्रवेश की अंतिम तिथि 20 अक्तूबर निर्धारित की थी। शुक्रवार को कॉलेजों में प्रवेश का अंतिम दिन होगा और इसके बाद दाखिले की प्रक्रिया बंद कर दी जाएगी।


पिछले साल भी सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश लेने के कारण सत्र पिछड़ गया था सत्र लगातार प्रभावित होने के कारण इविवि की एकेडमिक काउंसलिंग में यह चर्चा भी हो गई कि अगले साल से स्नातक प्रवेश सीयूईटी के माध्यम से लिया जाए या नहीं। सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश लेने पर इविवि को दोहरा नुकसान हुआ है। सत्र तो पिछड़ा ही है, बड़ी संख्या में सीटें भी खाली रह गई हैं।



अभ्यर्थी न मिलने से महाविद्यालयों के सामने खड़ा हुआ आर्थिक संकट

सेल्फ फाइनेंस मोड में पाठ्यक्रमों के संचालन को लेकर बढ़ी चुनौती

रेगुलर मोड के पाठ्यक्रमों के लिए भी महाविद्यालयों को नहीं मिले छात्र


प्रयागराज । इलाहाबाद विश्वविद्यालय (विधि) के संघटक महाविद्यालयों में 20 अक्तूबर को स्नातक प्रवेश की अंतिम तिथि निर्धारित की गई है और ज्यादातर कॉलेजों में बीए की 50 फीसदी से अधिक सीटें अब भी खाली पड़ी है। अभ्यर्थी न मिलने के कारण कॉलेजों के सामने आर्थिक संकट भी बढ़ गया है और इसका असर भविष्य में भी देखने को मिलेगा।


इविवि ने इस बार बीए, बीएससी बीकॉम जैसे रेगुलर पाठ्यक्रमों की फीस में भी चार गुना बढ़ोतरी की है। प्रवेश कम होने के पीछे फीस वृद्धि को भी कारण माना जा रहा है। इविवि के संघटक महाविद्यालयों में बीए का पाठ्यक्रम रेगुलर मोड में र संचालित किया जाता है और सबसे र कम प्रवेश बीए में ही हुए हैं। इविवि के ज्यादातर संघटक कॉलेजों में बीए आधे से अधिक सीटें खाली हैं। 


हालांकि, रेगुलर मोड़ के पाठ्यक्रमों में छात्रों से मिलने वाली फीस का तकरीबन 70 फीसदी हिस्सा इविवि के पास चला जाता है और बाकी 30 फीसदी के माध्यम से कॉलेजों को इंफ्रास्ट्रक्चर, सफाई, बिजली, पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। वहीं, सेल्फ फाइनेंस मोड में संचालित पाठ्यक्रमों में आने वाली फीस का ज्यादातर हिस्सा कॉलेज के पास ही रहता है और कुछ हिस्सा इविवि को दिया जाता है।


सेल्फ फाइनेंस मोड के पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए फैकल्टी से लेकर लैब तक की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी कॉलेजों पर ही होती है। कई कॉलेडों में बीकॉम और बीएससी सेल्फ फाइनेंस मोड में ही चल रहे हैं और इस बार बीकॉम एवं बीएससी भी बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गई हैं। ऐसे में कॉलेजों के लिए सेल्फ फाइनेंस मोड में पाठ्यक्रमों का संचालन कर पाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।


सीएमपी डिग्री कॉलेज में बीए की 3600 सीटें हैं, जिनमें से दो हजार सीटें अब भी खाली है, जबकि 20 अक्तूबर को स्नातक प्रवेश की अंतिम तिथि है। वहीं, श्याम प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय में बीए की 60 फीसदी से अधिक सीटें खाली पड़ी हैं। वहां भी 20 अक्तूबर तक ही प्रवेश लिए जाने हैं। अन्य कॉलेजों में भी प्रवेश की हालत काफी खराब है।


 इविवि के संघटक राजर्षि टंडन महिला महाविद्यालय में बीए की 500 सीटें, बीकॉम की 60 सीटें और पीजी की दो विषयों में 100 सीटें हैं। बीए रेगुलर मोड में है, जबकि बीकॉम और पीजी का संचालन सेल्फ फाइनेंस मोड में किया जाता है। इन पाठ्यक्रमों में अब तक 20 से 30 फीसदी सीटें ही भर सकी हैं। कॉलेज की प्राचार्य प्रो. रंजना त्रिपाठी का कहना है कि सीयूईटी और रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता हटाने के बाद भी प्रवेश के लिए अभ्यर्थी नहीं आ रहे हैं।


तकरीबन सभी कॉलेजों में यही स्थिति है चुनौती सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। इसका असर भविष्य में भी देखने को मिलेगा। आने वाले समय में जब प्रथम वर्ष के विद्यार्थी द्वितीय वर्ष और उसके बाद तृतीय वर्ष में जाएंगे, तब भी स्नातक की सीटें खाली ही रहेंगी और पर्याप्त संख्या में विद्यार्थी उपलब्ध न होने के कारण आर्थिक संकट बना रहेगा।




पीसीएस मुख्य परीक्षा में विषय हटने से भी घटी बीए की मांग

कभी आईएएस-पीसीएस को लक्ष्य बनाकर बीए में लिए जाते थे दाखिले

परंपरागत विषयों के प्रति कम हुई रुचि, बुलाने पर भी नहीं आ रहे अभ्यर्थी


प्रयागराज ।  इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि ) में इस बार बीए की 15 फीसदी सीटें खाली रह गई। कॉलेजों में हालत और खराब है। संघटक महाविद्यालयों में तो 50 फीसदी तक सीटें खाली पड़ी हैं। इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं, जिनमें से एक कारण पीसीएस मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषयों को हटाए जाना है।


इविवि के संघटक इलाहाबाद डिग्री कॉलेज, ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय एवं अन्य कॉलेजों में बीए में दाखिले की खिड़की सभी के लिए खोल दी गई है। यहां तक कि कुछ कॉलेजों में तो उन अभ्यर्थियों को भी प्रवेश दिए जा रहे हैं, जो सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्स टेस्ट में शामिल ही नहीं हुए।


यह हालत उन कॉलेजों की है, जहां छात्र इसी सपने के साथ दाखिला लेते हैं कि यहां से आईएएस या पीसीएस अफसर बनकर निकलेंगे। स्नातक और खासतौर पर बीए में टाखिला लेने वाले छात्र स्नातक की तीन साल की पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी करते हैं और अहंता पूरी होते ही आईएएस एवं पीसीएस की परीक्षा देना शुरू कर देते हैं।


इविवि में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. योगेश्वर तिवारी भी मानते हैं कि पीसीएस मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषयों को हटा दिए जाने से छात्रों का बीए के प्रति रुझान कम हुआ है। प्रो. तिवारी बताते हैं कि वर्ष 1921 से पहले आईसीएस की परीक्षा लंदन में हुआ करती थी। 1921 में पहली बार परीक्षा इलाहाबाद में हुई। 21 अभ्यर्थियों का चयन हुआ, जिसमें 11 अभ्यर्थी इविवि के छात्र थे और बाकी 10 अभ्यर्थी देश के अन्य हिस्सों से चयनित हुए थे।


प्रो. तिवारी का कहना है कि आजादी के बाद भी चयन की यही परंपरा कायम रही और यहां स्नातक में दाखिले सिर्फ आईएएस या पीसीएस में चयन के लिए होते थे। शिक्षक भी उच्च कोटि के थे। वर्तमान में भी इविवि को उच्च कोटि के कई शिक्षक मिले हैं, लेकिन अब पीसीएस परीक्षा में विषयों का कोई काम ही नहीं रह गया। ऐसे में केवल पीसीएस की तैयारी के लिए बीए में दाखिला लेने वाले अभ्यर्थी अब यहां क्यों आएंगे।


इविवि के पूर्व डीन प्रो. एके श्रीवास्तव मानते हैं कि वर्तमान में बीए का स्कोप कम हुआ है। परंपरागत विषयों की मांग घट रही है। वर्तमान जरूरतों के हिसाब से नए-नए पाठ्यक्रम शुरू हो रहे हैं। इन सबके बीच पीसीएस से वैकल्पिक विषय हटाए जाने के बार बीए का थोड़ा बहुत स्कोप भी कम होता जा रहा है।



जहां लगती थीं लंबी कतारें वहां अब बुलाकर दे रहे प्रवेश

सीटें भरने के लिए किनारे किए गए नियम, इविवि के कई कॉलेजों में सीधे दाखिले के खुले रास्ते


प्रयागराज । इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि ) के जिन कॉलेजों में कभी दाखिले के लिए लंबी कतारें लगतीं थीं, वहां अभ्यर्थियों को अब बुलाकर प्रवेश दिए जा रहे हैं। कई कॉलेजों ने तो ऐसे अभ्यर्थियों को भी दाखिला देना शुरू कर दिया है, जो सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) में शामिल ही नहीं हुए। कॉलेजों में दशकों बाद प्रवेश की स्थित इतनी खराब है।


इलाहाबाद डिग्री कॉलेज (एडीसी) के प्राचार्य प्रो. अतुल कुमार सिंह के अनुसार जो अभ्यर्थी सीयूईटी में शामिल हुए थे, लेकिन इविवि में अपना पंजीकरण नहीं कराया, वे प्रवेश के लिए कॉलेज की वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करा लें। वहीं, जो अभ्यर्थी सीयूईटी में शामिल नहीं हुए थे, वे भी प्रवेश के लिए अपना पंजीकरण कॉलेज की वेबसाइट पर करा लें।


वहीं, श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजकीय महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शुभा श्रीवास्तव के अनुसार जो अभ्यर्थी सीयूईटी में शामिल हुए या नहीं हुए, वे बीए, बीकॉम बीएससी प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए 16 अक्तूबर को सुबह 11 से अपराह्न दो बजे के बीच महाविद्यालय में संपर्क करें। अभ्यर्थियों को ऑफलाइन प्रवेश दिए जाएंगे। राजर्षि टंडन गर्ल्स डिग्री कॉलेज और हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज में भी सीयूईटी में शामिल न होने वाली छात्राओं को प्रवेश दिए जाएंगे।


इससे पूर्व कॉलेजों में सिर्फ उन्हीं अभ्यर्थियों को प्रवेश दिए जा रहे थे, जो सीयूईटी में शामिल हुए थे और उन्होंने इविवि में अपना पंजीकरण कराया था। इस अनिवार्यता के कारण कॉलेजों को प्रवेश के लिए अभ्यर्थी नहीं मिले और आधी से अधिक सीटें खाली रह गई। हालांकि, इस अनिवार्यता को समाप्त किए जाने के बाद भी प्रवेश की गति बहुत तेज नहीं हुई है, लेकिन कुछ सीटें भरने की उम्मीद जगी है।


इविवि में वर्ष 1986 से प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिले की प्रक्रिया शुरू हुई थी और इसी के बाद कॉलेजों में भी प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिले होने लगे, लेकिन प्रवेश की स्थिति पिछले दो वर्षों से बिगड़ी है और उसी वक्त से सोयूईटी के माध्यम से दाखिले शुरू हुए हैं। सीयूईटी का परिणाम देर से आने के कारण इविवि और इसके संघटक कॉलेजों में सत्र लगातार पिछड़ रहा है।


अगर यही हालात रहे तो अगले साल भी कॉलेजों को इसी समस्या से जूझना पड़ सकता है। यही वजह है कि पिछले दिनों हुई इविवि की एकेडमिक काउंसलिंग की बैठक में यहां तक चर्चा हो गई कि इविवि एवं संघटक कॉलेजों में अगले साल से सीयूईटी के माध्यम से स्नातक में दाखिले लिए जाएं या विश्वविद्यालय पूर्व की भांति अपने स्तर से प्रवेश परीक्षा कराए। हालांकि, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।

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