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Sunday, October 8, 2023

बीएड में आवेदन तो खूब हुए पर दाखिला लेने नहीं आ रहे, कॉलेज पर्चे छपवा कर बता रहे बीएड के फायदे

बीएड में आवेदन तो खूब हुए पर दाखिला लेने नहीं आ रहे, कॉलेज पर्चे छपवा कर बता रहे बीएड के फायदे 



लखनऊ: इस साल यूपी में बीएड में दाखिले के अभ्यर्थियों ने आवेदन तो खूब किए लेकिन दाखिला लेने नहीं आ रहे। पहले चरण की काउंसलिंग में 15 हजार और दूसरे चरण की काउंसलिंग में अब तक 18 हजार अभ्यर्थियों ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है।


इसे सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का असर माना जा रहा है, जिसमें बेसिक शिक्षक भर्ती के लिए बीएड की डिग्री को अमान्य घोषित किया गया है। ऐसे में बीएड कॉलेजों को सीटें खाली रहने की चिंता सताने लगी है। वे पर्चे छपवाकर अभ्यर्थियों को बीएड की उपयोगिता बता रहे है।


ऐसे घटे आवेदन : बीएड की प्रवेश परीक्षा में इस साल 4.73 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे। अब 23 अगस्त से दूसरे चरण की काउंसलिंग शुरू हो चुकी है। पहले चरण में टॉप 75,000 को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया था। इनमें से सिर्फ 15,000 ने रजिस्ट्रेशन करवाया। दूसरे चरण की काउंसलिंग में 2,00,000 रैंक तक के अभ्यर्थियों को बुलाया गया।


इसमें महज 18,000 ने ही रजिस्ट्रेशन करवाया है। काउंसलिंग के लिए बुलाए गए अभ्यर्थियों की तुलना में यह आंकड़ा महज 16.50% है। वर्ष 2022 में 2.25 लाख सीटों में 1.36 लाख सीटें ही काउंसलिंग के जरिए भरी थीं। 2021 में 2.51 लाख में 1.19 लाख सीटें भरी थी।


सोशल मीडिया के जरिए कर रहे प्रचार बीएड के प्रति छात्रों के घटते रुझान को देखते हुए बीएड कॉलेज पर्चे छपवाकर सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से प्रचार कर रहे हैं। वे बता रहे हैं कि अब भी बीएड में ज्यादा अवसर हैं। बीटीसी (डीएलएड) सिर्फ कक्षा पांच तक सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनने की अर्हता है। इस बारे में भी अभी प्रदेश सरकार ने कोई शासनादेश नहीं किया है। वहीं बीएड वाले कक्षा 6 10 तक शिक्षक बन सकते हैं जबकि बीटीसी वाले नहीं।


इसके अलावा उच्च शिक्षण संस्थानों और निजी स्कूलों सहित सभी जगह बीएड वालों को ही रखा जाता है। इस बारे में उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय असोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी कहते है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह भ्रम फैल गया है कि बीएड वालों के लिए कोई अवसर नहीं है। इसी को लेकर असोसिएशन जागरूक कर रही है।


इसलिए घट गए दाखिला लेने वाले बेसिक शिक्षक बनने के लिए शुरुआत से ही बीटीसी योग्यता रही है। पिछले कई वर्षों में राज्य सरकारों ने इसमें बीएड वालों को मौका दिया। इस बीच इस साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि कक्षा एक से पांच तक सिर्फ बीटीसी ही बेसिक शिक्षक बनने की अर्हता है। इस बीच यूपी में बीएड और डीएलएड (बीटीसी) में दाखिलों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। 


यही वजह है कि आदेश आते ही अचानक बीटीसी में दाखिला लेने वालों की संख्या बढ़ गई। पिछले वर्षों के मुकाबले भी दोगुने आवेदन बीटीसी में आए है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले बीएड में आवेदन लिए जा चुके थे लेकिन अब काउंसलिंग शुरू हुई है। ऐसे में अब यहां काउंसलिंग में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले घट गए। जिन्होंने पहले बीएड में आवेदन किया था, उन्होंने इसे छोड़कर बीटीसी का आवेदन कर दिया।

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