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Thursday, October 26, 2023

शिक्षा अधिकारी नहीं कर सकते मदरसों का निरीक्षण, मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन का दावा

शिक्षा अधिकारी नहीं कर सकते मदरसों का निरीक्षण, मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन का दावा 

मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन ने कहा- शिक्षा अधिकारियों द्वारा नोटिस देना नियमों के विपरीत


लखनऊ : उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा है कि मदरसों के निरीक्षण का अधिकार केवल अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के पास है। शिक्षा अधिकारी मदरसों का निरीक्षण नहीं कर सकते हैं। शिक्षा विभाग द्वारा मदरसों का निरीक्षण कर उन्हें नोटिस जारी करना नियमों के विपरीत है।


जावेद ने बताया कि 1995 में विभाग के गठन के बाद मदरसों का समस्त कार्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंप दिया गया था। इसके बाद उप्र मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004 बनाया गया। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली 2016 बनाई गई। साथ ही जिला मदरसा शिक्षा अधिकारी का पद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी का हो गया।


 नियम बना कि निरीक्षक अरबी मदरसा अथवा अध्यक्ष या निदेशक द्वारा नामित किसी अधिकारी द्वारा कभी भी मदरसों का निरीक्षण किया सकेगा। यह भी नियम बना कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा किसी भी विभाग के अधिकारी द्वारा मदरसों का न निरीक्षण किया जाएगा और न ही किसी प्रकार का नोटिस दिया जाएगा।


अवैध मदरसों को नोटिस पर छिड़ा विवाद, 
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जताई आपत्ति

कई बीईओ ने कई जिलो में मदरसों को जारी किया नोटिस, 03 दिन में मांगा गया है जवाब


लखनऊ । प्रदेश के विभिन्न जिलों में अवैध मदरसों को खंड शिक्षा अधिकारियों की ओर से नोटिस दिए जाने पर विवाद छिड़ गया है। नोटिस पर खुद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ही गहरी आपत्ति जता दी है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन आने वाले इन खंड शिक्षा अधिकारियों ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर यह नोटिस जारी किया है।


दरअसल, बेसिक शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारियों ने कई जिलों में बिना मान्यता चल रहे अवैध मदरसों को नोटिस जारी कर दिया। इसमें तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया। मसलन, गिलौला (श्रावस्ती) के खंड शिक्षा अधिकारी ने मदरसा दारूल उलूम मसऊदिया फैजाने गरीब नवाज सौरया को भेजी नोटिस में कहा कि उनके द्वारा निरीक्षण के समय 96 छात्र उपस्थित पाए गए, लेकिन मदरसा की मान्यता से संबंधित कोई भी उचित अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया। इसी तरह खंड शिक्षा अधिकारी खतौली (मुजफ्फरनगर) ने मदरसा तालीम उल कुरान को इसी माह भेजी गई दूसरी नोटिस में कहा है कि कार्यालय में उपलब्ध अभिलखों के आधार पर आपके विद्यालय को मान्यता विहीन पाया गया है। नोटिस में अनिवार्य एवं बाल शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 18 (5) के तहत दंड के प्रावधान भी जिक्र किया है।


इस अधिनियम में कहा गया है कि कोई भी विद्यालय जिसे सक्षम अधिकारी द्वारा मान्यता प्रदान नहीं की गई है, उसे न तो स्थापित किया जाए और न ही संचालित किया जाए।


अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जताई आपत्ति

इन नोटिसों पर मदरसों के प्रबंधकों व प्रधानाध्यापकों का जवाब आने से पहले खुद अल्पसंख्यक विभाग ही विरोध में सामने आ गया।

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि वर्ष 1995 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के के बाद शिक्षा विभाग से संचालित रहे मदरसों का सारा कार्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को गठन हो हस्तांतरित कर दिया गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004 प्रतिस्थापित किया गया, जिसके माध्यम से उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली-2016 बनाई गई। इन नियमावली में जिला मदरसा शिक्षा अधिकारी का तात्पर्य जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से हो गया।


नियमों से हटकर होता है निरीक्षण: जावेद

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि अक्सर संज्ञान में आता है कि नियमों से हटकर शिक्षा विभाग के अधिकारी सक्षम प्राधिकारी न होने के बावजूद जिले में संचालित मदरसों का निरीक्षण करते हैं और नोटिस भी देते हैं। यह कार्रवाई अधिनियम के विपरीत है।


जमीयत उलमा ने मदरसों को नोटिस का किया विरोध

मुजफ्फरनगर : बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को नोटिस जारी होने का जमीयत उलमा संगठन ने विरोध किया है। उन्होंने डीएम को ज्ञापन देकर नोटिस वापस लेने की अपील की। कहा कि मदरसों पर निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम लागू नहीं होता। संगठन के प्रदेश सचिव कारी जाकिर कासमी ने कहा कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को गलत तरीके से शिक्षा विभाग की ओर से नोटिस दिए जा रहे हैं। यह नियम विरूद्ध है।

डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि जमीयत उलमा का प्रतिनिधिमंडल मुझसे मिला था और मदरसों को नोटिस भेजने पर एतराज जताया है। इस बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी से नोटिस जारी करने से संबंध में जानकारी ली जाएगी। नियमानुसार कार्रवाई होगी।


यह है मामला

मुजफ्फरनगर में 17 मदरसे और 20 गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को बेसिक शिक्षा विभाग ने नोटिस भेजा था। नोटिस में कहा गया था कि अक्टूबर के बाद गैर मान्यता संस्थाओं पर 10 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा। नोटिस मिलने के तीन दिन के अंदर संचालक को मान्यता संबंधित कागजात के साथ बीईओ के समक्ष प्रस्तुत होना होगा। ऐसा नहीं होने पर संस्था पर आरटीई एक्ट के प्रविधानों के तहत कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद मदरसा / विद्यालय खुला मिला तो प्रतिदिन 10 हजार रुपये जुर्माना वसूल किया जाएगा ।

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