नई दिल्ली । बीएड कालेजों की गुणवत्ता पर उठते सवालों के बीच चार वर्षीय नए इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स को लेकर शिक्षा मंत्रालय बेहद सतर्क है। वह अभी सिर्फ सरकारी शिक्षण संस्थानों को ही इस नए कोर्स को चलाने की अनुमति देने के पक्ष में है।


एनसीटीई ने इस कोर्स के दूसरे चरण के पायलट के लिए संस्थानों से मांगे आवेदन

यही वजह है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ( एनसीटीई) ने दूसरे चरण के पायलट के लिए भी केंद्रीय व राज्य के विश्वविद्यालय सहित राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों से ही आवेदन मांगे गए है। इस दौरान 31 मई तक इन संस्थानों को आवेदन करने के लिए कहा है। एनसीटीई का मानना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षकों को तैयार करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। ऐसे में जब तक यह कोर्स पूरी तरह से परिपक्व नहीं हो जाता है, तब तक इसे सिर्फ सरकारी और शीर्ष शिक्षण संस्थानों से ही चलाने की अनुमति दी जाएगी।


पहले चरण के पायलट के लिए 57 शैक्षणिक संस्थानों का किया गया है चयन

इस कोर्स के पहले चरण के पायलट में देश भर के 57 शीर्ष सरकारी शिक्षण संस्थानों को चयनित किया गया है, जिसमें आइआइटी और एनआइटी जैसे संस्थान भी शामिल है। एनसीटीई के मुताबिक शीर्ष संस्थानों को ही इन कोर्स को चलाने की अनुमति देने से इसकी गुणवत्ता को कायम रखा जा सकेगा। इन सभी संस्थानों में इसी साल से यह कोर्स शुरू हो जाएगा। 15 मई तक इनमें दाखिले के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है। फिलहाल इनमें दाखिला प्रवेश परीक्षा के जरिए होगा। एनसीटीई ने इसका जिम्मा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए ) को सौंपा है।


आइटीइपी करने वाले छात्रों को ही दी जाएगी प्राथमिकता

एनसीटीई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बीएड कालेजों की गुणवत्ता पर लगातार जिस तरह से सवाल खड़े होते रहते है, ऐसे में इस चार वर्षीय इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम ( आइटीइपी ) को एक ऐसे कोर्स के रूप में तब्दील करने की तैयारी है, जिसे करने के बाद उनकी गुणवत्ता पर किसी को किसी तरह का संदेह न रहे। वैसे भी एनईपी के तहत वर्ष 2030 से स्कूलों में शिक्षकों के खाली होने वाले पदों पर सिर्फ आइटीइपी करने वाले छात्रों को ही प्राथमिकता दी जाएगी।


इस प्रोग्राम के तहत संस्थान बीए-बीएड, बीएससी-बीएड व बीकाम- बीएड जैसे कोर्स शुरु कर सकेंगे। यह कोर्स भी क्रेडिट सिस्टम के तहत डिजाइन किया गया है। गौरतलब है कि इस कोर्स को शुरु करने के लिए देश के बड़ी संख्या में निजी शिक्षण संस्थान इच्छुक है।