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Monday, May 22, 2023

बेसिक शिक्षकों की छुट्टियों पर भारी पड़ रहा परिवार सर्वेक्षण, बिना किसी संसाधन दिए काम के दबाव का विरोध


बेसिक शिक्षकों की छुट्टियों पर भारी पड़ रहा परिवार सर्वेक्षण, बिना किसी संसाधन दिए काम के दबाव का विरोध


UP Teacher Summer Vacation: यूपी में शिक्षकों की छुटि्टयों पर परिवार सर्वेक्षण का काम भारी पड़ रहा है। स्कूलों में छुटि्टयां हो चुकी हैं। बच्चों को छुटि्टयों में घूमने जाने की सलाह देने वाले शिक्षक खुद सर्वेक्षण और डेटा फीडिंग में लगे हैं। अब इसका विरोध शुरू हो गया है।


    
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षकों का असंतोष बढ़ने लगा है। असंतोष की बड़ी वजह गर्मी की छुटि्टयों के दौरान उन्हें दिया गया परिवार सर्वेक्षण का कार्य है। दरअसल, परिषदीय शिक्षकों से करवाया जा रहा परिवार सर्वेक्षण शिक्षकों की छुट्टियों पर भारी पड़ रहा है। छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं लेकिन शिक्षकों को पूरे गांव की मैपिंग का इतना लक्ष्य दे दिया गया है कि वे दिन में सर्वेक्षण करके रात तक उसकी फीडिंग में जुटे हैं। इसको लेकर शिक्षकों ने विरोध भी शुरू कर दिया है। इसके लिए सीएम से लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय तक पत्र भी लिखा है।



इन सूचनाओं को करना है एकत्र

हर साल 'स्कूल चलो' अभियान चलता है। इसमें ड्रॉप आउट बच्चों को चिह्नित किया जाता है। उसके बाद उनको स्कूल में दाखिल करवाने की कवायद भी चलती है। इस बार आउट ऑफ स्कूल बच्चों चिह्नित करने के अलावा पूरे गांवों के सभी घरों की मैपिंग भी करवाई जा रही है। इसमें स्कूल जाने वाले और न जाने वाले सदस्यों के अलावा पूरे परिवार की शिक्षा का स्तर, आर्थिक स्तर सहित कई तरह की जानकारियां शिक्षक जुटा रहे हैं। इसके दो तरह के प्रोफॉर्मा भी शिक्षकों को दिए गए हैं।


पहले प्रोफॉर्मा में तीन भाग हैं। इनमें परिवार के मुखिया के संबंध में 14 सूचनाएं, परिवार के 14 साल से अधिक के सदस्यों के बारे में 8 सूचनाएं और 14 साल से कम के सदस्यों की 13 सूचनाएं मांगी गई हैं। इसी तरह दूसरे प्रोफॉर्मा में भी 23 सूचनाएं मांगी जा रही हैं। शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों की संख्या के आधार पर हर शिक्षक के खाते में 150 से लेकर 300 घरों तक का जिम्मा दिया गया है।


अपने संसाधन से करना है पूरा काम

शिक्षकों का कहना है कि घर-घर सर्वेक्षण करने के बाद पूरे डेटा को ऑनलाइन फीड करना है। यह काम शिक्षक घर आकर करते हैं। यह जनगणना से भी बड़ा काम है। इसके लिए शिक्षकों को कोई अतिरिक्त संसाधन भी नहीं दिए गए हैं और न किसी तरह का कोई भत्ता दिया जाता है। शिक्षकों को ये काम 30 मई तक पूरा करने का समय दिया गया है। कार्रवाई की चेतावनी भी दी जा रही है।


प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि शिक्षक अपने संसाधन से ये काम कर रहे हैं। इतना लंबा काम है तो इसके लिए अन्य संसाधन और मशीनरी भी दी जाए। छुट्टियां भी बर्बाद हो रही हैं। उन्होंने इस बाबत मुख्यमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री तक को पत्र लिखा है।


महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद कहते हैं कि स्कूल ड्रॉपआउट की कई वजहें होती हैं। आर्थिक, सामाजिक कारण भी हैं। यही जानने के लिए मैपिंग करवाई जा रही है। बच्चा स्कूल नहीं आ रहा या यूनिफॉर्म नहीं खरीद पा रहा तो इसकी क्या वजहें हैं। इसका आकलन इस डेटा से किया जा सकेगा।

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