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Saturday, April 26, 2025

सिर्फ मजहबी शिक्षा केंद्र बनकर न रह जाएं मदरसे, सीएम योगी ने की मदरसा शिक्षा की समीक्षा, कहा छात्रों को आधुनिक शिक्षा का मिले लाभ

सिर्फ मजहबी शिक्षा केंद्र बनकर न रह जाएं मदरसे, सीएम योगी ने की मदरसा शिक्षा की समीक्षा, कहा छात्रों को आधुनिक शिक्षा का मिले लाभ


लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मदरसा शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार की जरूरत बताई है। शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की मदरसा शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मदरसा महज मजहबी शिक्षा के केंद्र बनकर न रह जाएं। वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के सभी आयामों का लाभ मिलना चाहिए। हर एक विद्यार्थी का भविष्य उज्ज्वल हो, यह सरकार की प्राथमिकता है। नवाचार के माध्यम से मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा में लाना है, जिससे समाज के प्रत्येक वर्ग को समान अवसर और समुचित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।


सीएम ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मदरसा बोर्ड की कामिल (स्नातक) व फाजिल (परास्नातक) स्तर की डिग्रियों को असांविधानिक घोषित करने से चुनौतियां पैदा हुई हैं। इसी तरह मान्यता के मानक एवं शर्तों को शिक्षा विभाग के स्कूलों के समान बनाने के लिए और नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव और शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को भी निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की जरूरत है।

सीएम को बताया गया कि मदरसा शिक्षा परिषद का कामकाज ऑनलाइन हो गया है। इस पोर्टल पर कुल 19,123 मदरसों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 13,329 सत्यापित होकर लॉक हो चुके हैं। पोर्टल के माध्यम से परीक्षाएं, प्रमाणपत्र, वेरिफिकेशन, यू-डाइस कोड से एकीकरण आदि की व्यवस्था लागू की गई है। बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या में पिछले वर्षों में लगातार गिरावट आई है। वर्ष 2016 में यह संख्या 422627 थी, जो वर्ष 2025 में घटकर मात्र 88082 रह गई है। सीएम ने इसमें सुधार की आवश्यकता बताई। 


बदलाव के लिए समिति का गठन

सीएम ने कहा कि निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाए, जिसमें बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, वित्त, न्याय एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभागों के विशेष सचिव सदस्य हों। यह समिति मदरसों के सुचारू संचालन और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक बदलावों पर अपनी संस्तुति देगी।


13329 मदरसों में पढ़ रहे, 12.35 लाख छात्र :

अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग ने प्रस्तुतीकरण में बताया कि प्रदेश में वर्तमान में कुल 13329 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं। इनमें 1235400 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। 561 मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं, जिनमें कुल 231806 छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की कुल संख्या क्रमशः 9889 और 8367 है। इन कर्मियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार 1 जनवरी 2016 से वेतन और भत्ते प्राप्त हो रहे हैं।



मजहबी नहीं, आधुनिक शिक्षा के केंद्र बनेंगे मदरसे : योगी

मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण को निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण के नेतृत्व में कमेटी गठित


लखनऊ: योगी सरकार मदरसा शिक्षा व्यवस्था में बड़ा सुधार करने जा रही है। मदरसा शिक्षा में व्याप्त खामियों को दूर कर उनको आधुनिक बनाया जाएगा।

इसके लिए कई पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। अध्ययन के लिए निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी में बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, वित्त, न्याय एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभागों के विशेष सचिव सदस्य होंगे। शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की मदरसा शिक्षा व्यवस्था की गहन समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कड़े निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मदरसे केवल मजहबी शिक्षा के केंद्र बनकर न रह जाएं। वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के सभी आयामों का लाभ मिलना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल सुधार नहीं, बल्कि नवाचार और समावेशिता के माध्यम से मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा में लाना है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मदरसा बोर्ड की कामिल (स्नातक) व फाजिल (परास्नातक) स्तर की डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित करने से चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं।


मान्यता के मानक व शर्तों को शिक्षा विभाग के स्कूलों के समरूप बनाने के लिए नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की जरूरत है। पाठयक्रम के अनुरूप शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मियों की योग्यता में परिवर्तन भी जरूरी है। शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को भी निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की जरूरत है। वर्तमान व्यवस्था में मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया के पुनरीक्षण की आवश्यकता है। ऐसे में यह समिति मदरसों के सुचारु संचालन और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा व विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक बदलावों पर अपनी संस्तुति देगी।

बैठक में विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रदेश में इस समय कुल 13,329 मान्यताप्राप्त मदरसे संचालित हैं, जिनमें 12.35 लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इन मदरसों में 9,979 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा एक से आठ) तथा 3,350 माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर (कक्षा नौ से 12) के हैं। इनमें से 561 मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं, जिनमें कुल 2.31 लाख छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों की संख्या 9889 और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की कुल संख्या 8367 है। इन कर्मियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार एक जनवरी 2016 से वेतन और भत्ते प्राप्त हो रहे हैं। 


अगस्त 2017 में मदरसा पोर्टल की शुरुआत की गई थी। इस पोर्टल पर कुल 19,123 मदरसों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 13,329 सत्यापित होकर लाक हो चुके हैं। पोर्टल के माध्यम से परीक्षाएं, प्रमाणपत्र, सत्यापन, यू-डाइस कोड से एकीकरण आदि की व्यवस्था लागू की गई है। हालांकि मदरसा बोर्ड परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले छात्रों की संख्या में पिछले वर्षों में लगातार गिरावट आई है। वर्ष 2016 में यह संख्या 4,22,627 थी, जो वर्ष 2025 में घटकर मात्र 88,082 रह गई है।


मुख्यमंत्री ने इसे विचारणीय बताते हुए सुधार की आवश्यकता बताई। अधिकारियों ने यह भी बताया कि मदरसा शिक्षा परिषद अब केवल मौलवी मुंशी (सेकेंडरी) और आलिम (सीनियर सेकेंडरी) स्तर की परीक्षाएं आयोजित कर रही है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए वर्तमान में एससीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है। वर्ष 2025-26 से यह व्यवस्था पूरी तरह क्रियान्वित हो चुकी है। वहीं, कक्षा नौ से 12 तक भी माध्यमिक शिक्षा परिषद के अनुरूप पाठ्यक्रम लागू किए जाने की कार्यवाही प्रगति पर है। पाठ्यक्रम में धार्मिक विषयों जैसे धर्मशास्त्र, अरबी और फारसी के साथ-साथ गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी जैसे आधुनिक विषयों को भी समाहित किया गया है।


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