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Wednesday, April 30, 2025

परिषदीय शिक्षकों का हो सामान्य तबादला, मांग को लेकर सीएम योगी से मांग

परिषदीय शिक्षकों का हो सामान्य तबादला, मांग को लेकर सीएम योगी से मांग


लखनऊ। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के सामान्य तबादला शुरू करने की मांग की है। महासंघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर इसके लिए भारांक भी निर्धारित करने के सुझाव दिए हैं। ताकि इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को मिल सके। 

प्रदेश में इस समय परिषदीय विद्यालयों में जिले के अंदर व एक से दूसरे जिले में परस्पर तबादले की प्रक्रिया चल रही है। किंतु शिक्षकों का काफी समय से सामान्य तबादला नहीं हुआ है। इसे लेकर शिक्षक काफी परेशान हैं। क्योंकि जोड़ा न मिल पाने से भी काफी शिक्षक तबादले से वंचित रह जा रहे हैं। 



एडेड संस्कृत स्कूलों के शिक्षकों का बढ़ा मानदेय, देखें जारी शासनादेश

एडेड संस्कृत स्कूलों के शिक्षकों का 10 हजार तक बढ़ा मानदेय, हाईस्कूल के 20 हजार व इंटर के शिक्षकों को प्रति माह देंगे 25 हजार, दो वर्षों के लिए बढ़ाई गई संविदा अवधि, 1,368 शिक्षकों को फायदा


लखनऊ : अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) संस्कृत माध्यमिक स्कूलों में मानदेय पर तैनात शिक्षकों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है। शिक्षकों के मानदेय में 10 हजार रुपये तक की प्रति महीने बढ़ोतरी की गई है। एडेड माध्यमिक संस्कृत स्कूलों में पढ़ाने वाले कुल 1,368 शिक्षकों को इसका लाभ मिलेगा। यही नहीं मानदेय शिक्षकों की एक साथ दो वर्ष के लिए संविदा अवधि भी बढ़ा दी गई है।


पूर्व मध्यमा स्तर (हाईस्कूल) में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अभी तक 12 हजार रुपये मासिक मानदेय मिल रहा था। अब इन शिक्षकों को हर महीने 20 हजार रुपये तक मासिक मानदेय मिलेगा। यानी आठ हजार रुपये प्रति महीने की बढ़ोतरी की गई है। वहीं उत्तर मध्यमा स्तर (इंटरमीडिएट) में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अभी तक 15 हजार रुपये मासिक मानदेय मिल रहा था। अब इन्हें हर महीने 25 हजार रुपये मासिक मानदेय मिलेगा। यानी 10 हजार रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है। 


गुरुवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। गुणवत्तापरक शिक्षा देने पर पूरा जोर दिया जा रहा है। संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के चलते पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए वर्ष 2021 से दो चरणों में क्रमश: 518 और 850 मानदेय शिक्षकों की भर्ती की गई। 


यही नहीं शैक्षिक सत्र वर्ष 2025-26 और वर्ष 2026-27 तक इनकी संविदा अवधि भी बढ़ा दी गई है। अभी एक-एक वर्ष की संविदा अवधि जिला विद्यालय निरीक्षक बढ़ाते थे। अब सरकार ने शिक्षकों को शोषण से बचाने के लिए एक साथ दो वर्ष की संविदा अवधि बढ़ा दी है। मालूम हो कि संस्कृत स्कूलों में प्रथमा (कक्षा आठ), पूर्व मध्यमा प्रथम (कक्षा नौ), पूर्व मध्यमा द्वितीय (हाईस्कूल), उत्तर मध्यमा प्रथम (कक्षा ग्यारह) और उत्तर मध्यमा द्वितीय (इंटरमीडिएट) की पढ़ाई कराई जा रही है।


अशासकीय सहायता प्राप्त उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों से सम्बद्ध प्राइमरी (बालक) प्रभाग के शिक्षक/शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2025-26 के प्रथम त्रैमास (मार्च 2025 देय अप्रैल 2025, अप्रैल 2025 देय मई 2025 एवं मई 2025 देय जून 2025) के नियमित वेतनादि के भुगतान हेतु धनावंटन के सम्बन्ध में

अशासकीय सहायता प्राप्त उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों से सम्बद्ध प्राइमरी (बालक) प्रभाग के शिक्षक/शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2025-26 के प्रथम त्रैमास (मार्च 2025 देय अप्रैल 2025, अप्रैल 2025 देय मई 2025 एवं मई 2025 देय जून 2025) के नियमित वेतनादि के भुगतान हेतु धनावंटन के सम्बन्ध में।




शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों का होगा सेफ्टी ऑडिट, ई ऑफिस की व्यवस्था भी जल्द होगी लागू

शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों का होगा सेफ्टी ऑडिट, ई ऑफिस की व्यवस्था भी जल्द होगी लागू 


लखनऊ। प्रयागराज स्थित शिक्षा निदेशालय में आग लगने की घटना के बाद बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग सतर्क हो गए हैं। विभाग ने जहां आग लगने के कारणों की पड़ताल शुरू की है, वहीं भविष्य में इससे बचाव की व्यवस्था दुरुस्त करने की कवायद भी शुरू कर दी है। इसके तहत बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के कार्यालयों का सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए गए हैं।

शिक्षा निदेशालय में आग लगने की घटना का संज्ञान लेते हुए शासन ने तुरंत सचिव माध्यमिक शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसी क्रम में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरी घटना के बारे में जानकारी ली है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने कार्यालयों का सेफ्टी ऑडिट कराएं।


वहीं उन्होंने अधिकारियों को अपने यहां ई- ऑफिस की व्यवस्था को भी जल्द से जल्द पूरी तरह प्रभावी करने के निर्देश दिए हैं। ताकि इस तरह की घटना में किसी रिकॉर्ड के जलने या उसके खोने, किसी तरह की हेरफेर की संभावना पर भी पूरी तरह रोक लगाई जा सके।


चार मंडलों की 250 फाइलें हुई हैं क्षतिग्रस्त

निदेशालय में आग लगने की घटना के बाद विभाग की ओर से बताया गया है कि सामान्य प्रथम व द्वितीय अनुभाग से लगे केंद्रीय रसीद अनुभाग, लेखा अनुभाग (उच्च शिक्षा) में आग लगने से फर्नीचर जला है। वहीं सामान्य प्रथम व द्वितीय अनुभाग में आग लगने के कारण चार मंडलों से संबंधित 250 गतिमान पत्रावलियां जली या क्षतिग्रस्त हुई हैं। यहां अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के प्रबंधकीय विवाद, विद्यालय में शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मियों के वरिष्ठता विवाद, उच्च न्यायालय से संबंधित कार्य से जुड़ी फाइलें थीं। अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि जल गई पत्रावलियों को जिला, मंडल, शासन, उच्च न्यायालय में लगाए गए दस्तावेजों व ई-मेल आदि पर सुरक्षित अभिलेखों से फिर तैयार कर दी जाएंगी।


शिक्षा निदेशालय में लगी आग के लिए शासन ने बनाई 5 सदस्यीय जांच कमेटी, एडेड स्कूलों के तबादले व इससे संबंधित फाइलों के जलने की आशंका, रिकॉर्ड पूरी तरह से खत्म होने की बात निराधार

सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में बनी पांच सदस्यीय कमेटी

लखनऊ। प्रयागराज स्थित शिक्षा निदेशालय में आग लगने की घटना का शासन ने संज्ञान लिया है। जिन तीन अनुभागों में आग लगी थी, उन्हें सोमवार को सील कर दिया गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसे 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है।

उन्होंने बताया कि माध्यमिक शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी इस आग लगने की घटना की जांच करेगी। इसमें माध्यमिक शिक्षा निदेशक, एडीएम प्रयागराज, मुख्य अग्निशमन अधिकारी प्रयागराज व उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से नामित वरिष्ठ अधिकारी कमेटी में शामिल किए गए हैं। कहाँ, कि जांच समिति 15 दिन में अपनी जांच रिपोर्ट व संस्तुति उनके सामने प्रस्तुत करेगी।

वहीं विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों के अनुसार शिक्षा निदेशालय में पिछले दिनों ही काफी बजट खर्च कर बिल्डिंग का रिनोवेशन कराया गया था। ऐसे में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात पर सवाल उठ रहे हैं। दूसरी तरफ माध्यमिक शिक्षक संगठनों ने यह आशंका जताई है कि पिछले साल अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में काफी संख्या में तबादले हुए थे।


रिकॉर्ड पूरी तरह से खत्म होने की बात निराधार

इस अग्निकांड में इससे जुड़ी फाइलें जली हैं। इतना ही नहीं तदर्थ शिक्षकों के भुगतान आदि से जुड़ी फाइलें भी जलने की आशंका जताई जा रही है। वहीं विभाग ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि किस तरह की फाइलें जली हैं या सभी फाइलें सुरक्षित हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा कि किसी भी तरह के रिकॉर्ड अब डीआईसीआई, सहायक निदेशक, अपर निदेशक व निदेशालय में रहते हैं। ऐसे में कोई भी रिकॉर्ड पूरी तरह से खत्म होने की बात निराधार है।



तारों के जाल के बीच आग बुझाने के नहीं हैं कोई इंतजाम, इतने बड़े हादसे के बाद भी सबक नहीं ले रहा शिक्षा निदेशालय


प्रयागराज। शिक्षा निदेशालय भवन में आग लगने की पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी अगलगी की घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि रविवार को हुए हादसे के बावजूद विभाग सबक नहीं ले रहा है। वर्षों से जर्जर तारों के भरोसे बिजली सप्लाई आज भी जारी है। इन जर्जर तारों से घटना के चौबीस घंटे बाद सोमवार को भी चिंगारी निकलती रही। कर्मचारियों का कहना है कि जर्जर तारों के शॉर्ट करने और चिंगारी निकलना रोजाना की बात हो गई है। शिक्षा निदेशालय के भूतल में रविवार सुबह तीन कमरों में आग लगी थी। आग में सामान्य प्रभाग प्रथम व द्वितीय में अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों की पांच हजार से अधिक महत्वपूर्ण फाइलें जलकर राख हो गई। वहीं केंद्रीय रसीद अनुभाग व लेखा अनुभाग में भी रखी फाइलें जल गई। प्रथम दृष्टया शॉर्ट सर्किट को आग की वजह बताया गया है। हालांकि जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित कर दी गई है। 

इधर, निदेशालय के अधिकतर विभागों व कक्षों में जर्जर बिजली के तार भविष्य में भी ऐसी घटनाओं का संकेत दे रहे हैं। जिन कमरों में आग लगी थी, उससे चंद कदम दूर बिजली की मेन बोर्ड से सोमवार दोपहर भी चिंगारी निकल रही थी। पूरे भवन में जगह-जगह कटे तारों में खुला जोड़ दिखा। कर्मचारियों ने बताया कि डर के साये में काम करना पड़ता है। हमेशा तारों के शॉर्ट होने से चिंगारी निकलती रहती है।


धूल फांक रहा अग्निशमन यंत्र

जिन कमरों में आग लगी उनसे चंद कदम दूर दीवार पर दो अग्निशामक यंत्र धूल फांक रहे हैं। इन सिलेंडरों का आग लगने के बाद इस्तेमाल तक नहीं किया गया। कर्मचारियों ने बताया कि समय से रिफलिंग नहीं होने से अग्निशमन यंत्र बेकार पड़े है। इतने बड़े विभाग में कहीं भी आग बुझाने का सही इंतजाम नहीं है।

15 दिन में देनी है रिपोर्ट

अग्निकांड की जांच के लिए उच्च स्तरीय पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। सचिव माध्यमिक शिक्षा को समिति का अध्यक्ष बनाय गया है। जबकि शिक्षा निदेशक (माध्यमिक), शिक्षा निदेशक (उच्च), अपर जिलाधिकारी व मुख्य अग्निशमन अधिकारी को सदस्य मनोनीत किया गया है। समिति को 15 दिन के अंदर जांच कर रिपोर्ट देना है। आग लगे तीनों कमरों व सीसीटीवी कंट्रोल रूम को सीज कर दिया गया है। सीएफओ डॉ आरके पांडेय ने सोमवार को टीम के साथ पहुंचकर मुआयना किया।

तीन साल पहले हुई थी वायरिंग

विभागीय सूत्रों की मानें तकरीबन तीन साल पहले वायरिंग का टेंडर हुआ था लेकिन, मानक के अनुरूप काम नहीं किया गया। यहां तक कि जगह-जगह खुले तार छोड़ दिए गए। कुछ कार्यालयों व कक्षों में पुराने जर्जर तारों को बदला तक नहीं गया। आज भी जर्जर तारों के भरोसे बिजली सप्लाई चल रही है।

बड़ा सवाल, कैसे खुले अनुभागों के दरवाजे

प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में जिन तीन अनुभागों में आग लगने की घटना का वीडियो वायरल हुआ है, उसमें तीनों अनुभाग के दरवाजे खुले नजर आ रहे हैं। निदेशालय में शनिवार व रविवार का साप्ताहिक अवकाश था। रविवार को सुबह आठ बजे के आसपास आग लगने की घटना हुई और उस वक्त निदेशालय में सन्नाटा था।

अनुभागों में रखे कंप्यूटर भी हुए क्षतिग्रस्त

अग्निकांड में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अनुभागों में रखे कंप्यूटर भी राख हो गए। सूत्रों का कहना है कि इन कंप्यूटरों में जांच से जुड़ी फाइलों की कई महत्वपूर्ण जानकारियां मौजूद थीं। कंप्यूटर इस कदर जले हैं कि उनसे महत्वपूर्ण जानकारियों की रिकवरी कर पाना भी काफी मुश्किल होगा।

80 मीटर की गैलरी में सिर्फ एक कैमरा

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के जिन तीन अनुभागों में आग लगी, वे 80 मीटर लंबी गैलरी में स्थित हैं। इस गैलरी में दो दर्जन कमरे हैं और गैलरी के बीचो-बीच सिर्फ एक सीसीटीवी कैमरा लगा है। वहां के कर्मचारियों को भी नहीं पता कि कैमरा ठीक से काम कर रहा है या नहीं। हालांकि, इस कैमरे में तीनों अनुभाग कवर होते हैं।


प्रयागराज। सिविल लाइंस स्थित शिक्षा निदेशालय में आग लगने का कारण जानने के लिए अग्निशमन विभाग की टीम सोमवार सुबह दस बजे घटनास्थल पर पहुंची। जिन तीन कमरों में आग लगी थी, उनकी जांच की गई। साथ ही पता लगाया कि घटना के 24 घंटे बाद भी कमरे से कहीं धुआं तो नहीं निकल रहा है। हालांकि, अग्निशमन विभाग को आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है।

हजारों फाइल जलने के मामले में बिल्डिंग में बिजली व्यवस्था और आग से बचने के इंतजाम को लेकर पोल खुल गई है। पूरे बिल्डिंग परिसर में खुले में बिजली के तारों का मकड़जाल फैला हुआ है। जगह-जगह खुले तार हैं। यही नहीं, बिल्डिंग परिसर में आग बुझाने के इंतजाम भी पूरी तरह से चौपट हैं। प्रवेश द्वार के पास ही अग्निशमन यंत्र लगा हुआ है। लेकिन, ये दिखने में काफी पुराना है।

इसपर चस्पा स्टीकर में भी कुछ नहीं लिखा है। यहां मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि ये न जाने कितने सालों से ऐसा ही लगा है। इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। जिन जगहों पर अग्निशमन यंत्र लगा भी तो वह एक्सपायरी डेट के हैं। यानी अगर कोई बड़ा हादसा हो जाए तो बचने के कोई खास इंतजाम नहीं है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी डॉ. आरके पांडेय ने बताया कि जांच की जा रही है।


चर्चा... कंप्यूटर खुला होने से शॉर्ट सर्किट की आशंका

शनिवार और रविवार को कार्यालय बंद होने के बावजूद आग की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। विभाग में चर्चा है कि कंप्यूटर खुला होने की वजह से शॉर्ट सर्किट हुआ होगा। जिससे आग ने विकराल रूप ले लिया। अगर बिजली को पूरी तरह से शटडाउन कर दिया जाता तो शायद यह हादसा नहीं होता।



एडेड कॉलेजों के विवादों का कैसे होगा निपटारा? आग की भेंट चढ़ी हजारों फाइलें, फिर से रिकॉर्ड ढूंढना होगा मुश्किल, आग लगने के पीछे साजिश की आशंका पर जांच समिति गठित 
 

शिक्षा निदेशालय के दो महत्वपूर्ण अनुभागों में रविवार सुबह आग लगने से कई सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार आग ने उन सेक्शनों को चपेट में लिया, जहां एडेड कॉलेज (अशासकीय माध्यमिक विद्यालय) से जुड़ी अतिसंवेदनशील फाइलें रखी गई थीं। सभी फाइलें जलकर नष्ट होने से फिर से रिकॉर्ड ढूंढना मुश्किल है। चौंकाने वाली बात यह है कि आग खासतौर पर ऐसे समय में लगी, जब कई एडेड कॉलेजों की जांच प्रक्रियाएं चल रही है।
 

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आग लगने के कारणों की गहन जांच के आदेश दिए हैं। प्रथम दृष्टया शॉर्ट सर्किट की संभावना जताई जा रही है, लेकिन साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। आग कैसे व किन परिस्थितियों में लगी, इसका जांच के बाद खुलासा होगा। हालांकि आग लगने से प्रबंधकीय माध्यमिक विद्यालयों के लंबे समय से लंबित मामलों की भी जुड़ी फाइलें शामिल थीं। विभागीय सूत्रों की मानें तो इसमें शिक्षकों की नियुक्ति, स्थानांतरण व वेतन भुगतान के विवादों के अलावा प्रबंधकीय विवाद पव लंबित मुकदमें से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलें थी। इसमें दस से अधिक मंडलों के माध्यमिक विद्यालयों की फाइलें आग से पूरी तरह राख हो गई हैं।

ड्यूटीरत कर्मचारियों से होगी पूछताछ

शिक्षा विभाग की मानें तो जिस वक्त आग लगी थी, उस वक्त वहां आउस सोर्सिंग गार्ड के अलावा कैंटीन के कर्मचारी समेत कुछ अन्य लोग मौजूद थे। रविवार को अवकाश का दिन होने से विभाग के कार्यालयों व अनुभागों के कक्ष में ताला लगा था। अंदर लाइट भी बंद थी, ऐसे में शार्ट सर्किट से कैसे आग लग सकती है, इस पर सवाल उठने लगे हैं। विभाग की ओर से गठित जांच समिति घटना के वक्त ड्यूटीरत व मौजूद लोगों से गहनता से पूछताछ करेगी। इसके साथ ही आस-पास लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला जाएगा।

घटना की जांच के लिए समिति गठित

अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया आग लगने का मुख्य कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। हालांकि घटना के हर पहलू की गहनता से जांच करने के लिए सचिव माध्यमिक शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर दी गई है। समिति में एडीएम सिटी और सीएफओ को भी शामिल किया गया है। घटना की गहराई से जांच करने और आवश्यक कदम उठाने के लिए पुलिस को भी तहरीर दी गई है।

डीआईओएस और ज्वाइंट डायरेक्टर की लेंगे मदद

शिक्षा निदेशालय के सूत्रों की मानें तो डीआईओएस व ज्वाइंट डायरेक्टर के कार्यालयों से संपर्क कर आग में जलकर राख हुई फाइलों के संबंध में रिकॉर्ड मांगा जाएगा। हालांकि केंद्रीय रसीद अनुभाग व लेखा अनुभाग से जुड़ी कुछ फाइलों का रिकॉर्ड तो मिल सकती है, लेकिन एडेड कॉलेजों के रिकॉर्ड मिलना नामुमकिन होगा। शिक्षा निदेशालय के भूतल में एक बड़े हॉल में सामान्य (1) के प्रथम व द्वितीय प्रभाग बनाया गया था। इसमें एडेड कॉलेजों की फाइलें रखी थी। इनका कोई ऑनलाइन डाटा भी उपलब्ध नहीं है।



शिक्षा निदेशालय में भीषण आग में पांच हजार से ज्यादा फाइलें जलकर राख, घटना की जांच के लिए समिति गठित
 
उत्तर प्रदेश शिक्षा निदेशालय के मुख्य भवन में रविवार सुबह अज्ञात कारणों से आग लग गई। तीन कमरों में लगी आग में अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों से जुड़ी लगभग पांच हजार से अधिक फाइलें जलकर नष्ट हो गईं। अग्निशमन कर्मचारियों ने तीन घंटे के प्रयास के बाद आग पर काबू किया। सहायक उप शिक्षा निदेशक अनुराग श्रीवास्तव ने सिविल लाइंस थाने में तहरीर देकर आग लगने के कारणों की जांच करने की मांग की है।

सिविल लाइंस स्थित शिक्षा निदेशालय के मुख्य भवन के भूतल पर स्थित सामान्य (1) के प्रथम व द्वितीय प्रभाग में रविवार सुबह लगभग आठ बजे आग की लपटें व धुआं निकलता दिखा। गार्ड प्रियांशु यादव ने तत्काल फार्म सहायक मोहम्मद सैफी को जानकारी दी। फार्म सहायक की सूचना पर थोड़ी देर में फायर ब्रिगेड पहुंच गई। हालांकि तब तक आग बगल में स्थित केंद्रीय रसीद अनुभाग व लेखा अनुभाग (उच्च शिक्षा) तक फैल गई। सूचना पर विभागीय अधिकारी व कर्मचारी और सिविल लाइंस पुलिस भी पहुंच गई।

दो दमकल की मदद से अग्निशमनकर्मियों ने तीन घंटे में आग पर काबू किया हालांकि तब तक सामान्य प्रभाग में लगभग पांच हजार से अधिक फाइलें पूरी तरह नष्ट हो गई। इसमें अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों की नियुक्ति, वेतन भुगतान, स्थानांतरण, प्रबंधकीय विवाद व लंबित मुकदमों की महत्वपूर्ण फाइलें शामिल थीं। वहीं केंद्रीय रसद व लेखा विभाग में भी रखी सैकड़ों फाइलें आग की भेंट चढ़ गई। एडीसीपी अभिजीत कुमार ने बताया कि शिक्षा निदेशालय के मुख्य भवन में लगी आग को अग्निशमन विभाग ने काबू कर लिया है। विभाग की तहरीर के आधार पर पुलिस मामले की जांच कर रही है।

घटना की जांच के लिए समिति गठित

अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया आग लगने का मुख्य कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। हालांकि घटना के हर पहलू की गहनता से जांच करने के लिए सचिव माध्यमिक शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर दी गई है। समिति में एडीएम सिटी और सीएफओ को भी शामिल किया गया है। घटना की गहराई से जांच करने और आवश्यक कदम उठाने के लिए पुलिस को भी तहरीर दी गई है।


Tuesday, April 29, 2025

पुरानी पेंशन के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक मई को प्रस्तावित रैली स्थगित, पुरानी पेंशन को लेकर सोशल मीडिया पर 30 अप्रैल को चलाएंगे अभियान

एक मई को पुरानी पेंशन के लिए दिल्ली में प्रस्तावित धरना स्थगित, पुरानी पेंशन को लेकर सोशल मीडिया पर 30 अप्रैल को चलाएंगे अभियान


लखनऊ। देश भर के शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को देखते हुए एक मई को दिल्ली के जंतर मंतर पर पुरानी पेंशन बहाली के लिए प्रस्तावित धरना-प्रदर्शन को स्थगित कर दिया है।

नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने रविवार को शिक्षक, कर्मचारियों, अधिकारियों की ऑनलाइन बैठक में कहा कि देश पहले है बाकि मुद्दे बाद में है। पहलगाम आतंकी हमले से पूरा देश दुखी, गुस्से व आक्रोश में है। देश का शिक्षक, कर्मचारी मांग करता है कि आतंकवादियों पर कठोरतम कार्रवाई की जाए। देश का एक करोड़ शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी केंद्र सरकार के देश हित में लिए गए निर्णय के साथ है। कहा कि एक मई को जंतर मंतर पर प्रस्तावित प्रदर्शन स्थगित किया है।

30 अप्रैल को देश भर में एक्स पर पुरानी पेंशन के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद पहलगाम आतंकी हमले में मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मई को सभी जिला मुख्यालयों शिक्षक, कर्मचारी व अधिकारी कैंडल मार्च निकालकर श्रद्धांजलि सभा करेंगे। 



पुरानी पेंशन के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक मई को प्रस्तावित रैली स्थगित

एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के खिलाफ और पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग के लिए एक मई को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रस्तावित राष्ट्रीय स्तर पर रैली स्थगित कर दी गई है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए प्रतिबद्ध राष्ट्रीय संगठन (एनएमओपीएस) की ओर से रविवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार देशहित में प्रस्तावित रैली स्थगित कर दी गई है। वहीं, 30 अप्रैल को सोशल मीडिया एक्स पर देशभर में ऑल इंडिया ट्विटर कैंपेन चलाने का निर्णय लिया गया है। 


एक मई को संगठन से जुड़े देश भर के एक करोड़ से अधिक शिक्षक, कर्मचारी एवं अधिकारी सभी जिला मुख्यालयों में पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए भारतीयों को श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडल मार्च निकालेंगे और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। 


Monday, April 28, 2025

तदर्थवाद की समाप्ति के बाद कॉलेज प्रबंधन अल्पकालिक नियुक्ति नहीं कर सकता : हाईकोर्ट

तदर्थवाद की समाप्ति के बाद कॉलेज प्रबंधन अल्पकालिक नियुक्ति नहीं कर सकता : हाईकोर्ट


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि इंटरमीडिएट शिक्षा का उल्लंघन कर की गई नियुक्ति शून्य होगी। तदर्थवाद को समाप्त कर दिया गया है। 25 जनवरी 1999 के बाद अध्यापकों की नियुक्ति का अधिकार माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड को दे दिया गया है। प्रबंध समिति अल्पकालिक रिक्त पद पर नियुक्ति नहीं कर सकती।


तदर्थ नियुक्ति को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में प्रबंध समिति की ओर से नियुक्त अध्यापक को वेतन भुगतान करने का राज्य सरकार को निर्देश नहीं दिया जा सकता।

कोर्ट ने विपक्षी याची राज कुमारी को नियमित कर वेतन भुगतान करने के एकलपीठ के 16 मई 2024 को पारित आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची अध्यापिका चाहे तो प्रबंध समिति से वेतन की मांग कर सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति पीके गिरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।


अलीगढ़ स्थित बिशारा इंटर कॉलेज में 2005 में पद की रिक्ति हुई। बोर्ड से एक चयनित अध्यापक नहीं आया तो प्रबंध समिति ने 9 मई 2005 को याची की तदर्थ शिक्षक के रूप में नियुक्त कर लिया। 5 फरवरी 2024 को नियमित करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया जिसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। एकलपीठ ने 16 मई 2024 के आदेश से नियमित कर वेतन भुगतान का आदेश दिया। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने अपील दाखिल की।


राज्य सरकार का कहना था कि रिक्त पद पर प्रबंध समिति किसी की भी नियुक्ति नहीं कर सकती। रिक्तियां केवल बोर्ड से की जानी थी। सरकार ने तदर्थवाद को खत्म करने के लिए कानूनी प्रावधानों के विपरीत नियुक्ति को शून्य करार दिया है। इसलिए एकलपीठ का आदेश विधि के खिलाफ है। कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद सरकार की अपील स्वीकार कर ली।

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के अवशेष देयकों के निस्तारण के सम्बन्ध में

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के अवशेष देयकों के निस्तारण के सम्बन्ध में।


Sunday, April 27, 2025

इस बार खास होंगे यूपी बोर्ड प्रमाणपत्र सह अंकपत्र, अगले माह स्कूलों से किए जाएंगे वितरित

यूपी बोर्ड मार्कशीट में किसी भी तरह की छेड़छाड़ असंभव, ब्लेड या किसी दूसरी वस्तु से खुरचकर शब्द या अंक को अब बदला नहीं जा सकेगा, मार्कशीट फटेगी न ही गलेगी

इस बार खास होंगे यूपी बोर्ड प्रमाणपत्र सह अंकपत्र, अगले माह स्कूलों से किए जाएंगे वितरित


प्रयागराज। यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों को दिए जाने वाले अंकपत्र सह प्रमाणपत्र इस बार खास होंगे। मार्कशीट न फटेगी और न ही गलेगी। इन पर अंकित शब्दों या अंकों से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। अंकपत्र सह प्रमाणपत्र के वितरण में अभी एक माह का वक्त लगेगा।

अंकपत्र में लगे विशेष मोनोग्राम का रंग धूप में लाल हो जाएगा और छांव में उसका रंग बदल जाएगा। अंकपत्र पर एक विशेष प्रकार की स्याही का इस्तेमाल किया गया है, ताकि चाय, कॉफी या कोई भी पेय पदार्थ, सब्जी आदि गिरने के बाद भी यह खराब न हो और कपड़े से पोंछते ही वह साफ हो जाए। अंकपत्र ऐसे कागज पर छपवाया गया है, जो आसानी से फटेगा नहीं। अंकपत्र पर लेमिनेशन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

इसकी एक विशेषता यह भी है कि अंकपत्र के नीचे पट्टी पर डिजाइन बनी है, लेकिन फोटोकॉपी कराने पर अंकपत्र की छायाप्रति में नीचे बनी पट्टी पर डिजाइन नजर नहीं आएगी और पट्टी पर जगह-जगह 'कॉपी' लिखा हुआ दिखने लगेगा।

पहले मार्कशीट का आकार छोटा होता था और अब यह ए-फोर आकार में होगी। मार्कशीट में फ्लोरोसेंट लोगो और नंबरिंग केवल यूवी लाइट में दिखेगी, ताकि असली व नकली में आसानी से फर्क किया जा सके। मार्कशीट में अंकित प्रविष्टियों में किसी भी प्रकार का बदलाव, जैसे शब्द या अंक को बदलना या ब्लेड अथवा दूसरी वस्तु से खुरचकर लिखना आदि असंभव होगा। मार्कशीट पर माता-पिता का नाम हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होगा।

यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि अंकपत्र सह प्रमाणपत्र के वितरण में एक माह का वक्त लगेगा। विद्यार्थियों को अंकपत्र स्कूलों से वितरित किए जाएंगे।



परिणाम देने में CBSE और CISCE से फिर आगे निकला यूपी बोर्ड,  देर से परीक्षाएं शुरू होने के बाद भी सबसे पहले परिणाम

प्रयागराज : हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम देने में यूपी बोर्ड एक बार फिर काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से आगे निकल गया। सीआईएससीई की 12वीं की परीक्षा 14 फरवरी से और 10वीं की परीक्षा 18 फरवरी से शुरू हुई थी जबकि सीबीएसई की 10वीं-12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू हुई थीं। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं सबसे अंत में 24 फरवरी से 12 मार्च तक 13 कार्यदिवसों में कराई गई थी।

अभी सीआईएससीई और सीबीएसई के परिणाम कुछ अता-पता नहीं है जबकि पूरे देश में सर्वाधिक छात्र-छात्राओं की परीक्षा कराने वाला यूपी बोर्ड महज डेढ़ महीने के अंदर शुक्रवार को परिणाम घोषित करने जा रहा है। पिछले साल भी यूपी बोर्ड ने बाजी मारी थी। 2024 में यूपी बोर्ड ने 20 अप्रैल को 10वीं-12वीं का परिणाम घोषित कर दिया था। जबकि सीआईएससीई ने छह मई और सीबीएसई ने 13 मई को परिणाम घोषित किया था। समय से परिणाम घोषित होने का फायदा हाईस्कूल के छात्रों को होगा क्योंकि वे इंटर में विज्ञान, वाणिज्य या कला विषय का विकल्प चुन सकेंगे। वहीं दूसरे बोर्ड के परीक्षार्थी परिणाम घोषित होने तक असमंजस की स्थिति में बने रहेंगे।



न फाड़ा जा सकेगा, न पानी में गलेगा यूपी बोर्ड परीक्षा का अंकपत्र/प्रमाणपत्र


प्रयागराज : यूपी बोर्ड की वर्ष 2025 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा में सम्मिलित हुए करीब 51 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं को पहली बार ऐसा अंकपत्र/प्रमाणपत्र दिया जाएगा, जिसे काटा एवं फाड़ा नहीं जा सकेगा। यह पानी में भींगने पर भी नहीं गलेगा। दीमक भी इसे नष्ट नहीं कर सकेंगे। इसमें सुरक्षा की दृष्टि से कई आधुनिक फीचर भी प्रयुक्त किए गए हैं। इसके चलते फर्जी अंकपत्र/प्रमाणपत्र की आसानी से पहचान हो सकेगी।

परीक्षा आरंभ होने से पहले ही यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने वर्ष 2025 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा के अंकपत्र/प्रमाणपत्र के डिजायन एवं गुणवत्ता में आमूल चूल परिवर्तन की तैयारी शुरू कर दी थी, जिसे पूरा कर लिया गया है। 

अंकपत्र का आकार पूर्व की तुलना में थोड़ा बड़ा किया गया है, जो ए-4 आकार में नान टियरेबल (न फटने वाले) पेपर पर है। इस पेपर पर बने अंकपत्र को पूरी ताकत लगाकर भी फाड़ा नहीं जा सकेगा। पानी में भीगने पर भी खराब नहीं होगा। पुराना होने पर अंकपत्र को दीमक चाट जाते थे, लेकिन इसे दीमक भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे। अंकपत्र के बैकग्राउंड में माइक्रो लेटर प्रयुक्त किए गए हैं।




यूपी बोर्ड: परिणाम आने के बाद 10वीं व 12वीं की ऑनलाइन मिलेगी डुप्लीकेट मार्कशीट, डिजी लॉकर में कर सकेंगे सुरक्षित, वेबसाइट पर रहेगी ऑनलाइन मार्कशीट

प्रयागराज : एशिया के सबसे बड़े शिक्षा बोर्ड उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज (यूपी बोर्ड) के हाई स्कूल और इण्टरमीडिएट का रिजल्ट 25 अप्रैल के बाद किसी भी दिन घोषित हो सकता है लेकिन इस बार यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 54 लाख से अधिक परिक्षार्थियों के लिए पहली बार रिजल्ट की घोषणा के तुरंत बाद आनलाइन डुप्लीकेट मार्कशीट देने जा रहा है जबकि पहले बोर्ड रिजल्ट घोषित होने के बाद विषयवार अंक देता था।

इस बार यूपी बोर्ड हाई स्कूल और इण्टरमीडिएट रिजल्ट की घोषणा के तुरंत बाद आनलाइन अंकपत्र का डुप्लीकेट देगा जो मूल मार्कशीट की तरह होगा। इस मार्कशीट की डिजाइन मूल मार्कशीट की तरह होगी। नाम, पिता का नाम, जन्म तिथि, अनुक्रमांक, पंजीकरण संख्या, विषयवार अंक सहित अन्य पूरा विवरण होगा जिससे परीक्षार्थियों को कहीं प्रवेश लेने में परेशानी ना हो। जबकि पहले रिजल्ट घोषित होने के बाद परीक्षार्थी को अंकों का विषयवार विवरण मिलता था।

यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि इस बार मार्कशीट को नयी डिजाइन, कलर के साथ दिया जा रहा है, यह वाटरप्रूफ है। उन्होंने बताया कि इस बार जिस दिन हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रिजल्ट जारी होगा उसी के कुछ मिनट बाद बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के डुप्लीकेट मार्कशीट को आनलाइन जारी करने जा रहा है, इससे परीक्षार्थियों को सुविधा होगी और उनको कहीं प्रवेश लेने में परेशानी नहीं होगी। सचिव ने बताया कि रिजल्ट घोषित होने के 15 दिन के भीतर मूल मार्कशीट परीक्षार्थियों के विद्यालय से उनको मिल जाएगी।

सचिव ने बताया कि इस बार रिजल्ट के साथ जो आनलाइन मार्कशीट जारी होगी उसको लोग अपने डीजी व लाकर में सुरक्षित कर सकते हैं, यूपी बोर्ड भी उसको अपनी वेबसाइट पर प्र आनलाइन रखेगा जिससे कि कोई भी विभाग बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर सत्यापन कर सके। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष हाईस्कूल और इंटरमीडिएट व में 5437233 परीक्षार्थी पंजीकृत व थे जिनमें से 302508 (5.56%) अनुपस्थित रहे। पिछले साल 2024 की 10वीं-12वीं परीक्षा में पंजीकृत 5525342 परीक्षार्थियों में से 323166 (5.84 फीसदी) गैरहाजिर थे।




24 अप्रैल के बाद किसी भी दिन जारी होंगे यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणाम

यूपी बोर्ड के सचिव ने किया स्पष्ट, 25 अप्रैल से पहले घोषित नहीं होगा रिजल्ट


प्रयागराज। यूपी बोर्ड 24 अप्रैल के बाद किसी भी दिन वर्ष-2025 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं का परिणाम जारी कर सकता है। सोशल मीडिया पर नतीजे को लेकर चल रहीं कयासबाजियों पर विराम लगाते हुए बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने स्पष्ट किया है कि परिणाम 25 अप्रैल से पहले घोषित नहीं किया जाएगा।



बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि परीक्षा परिणाम 26 अप्रैल को जारी किया जा सकता है, क्योंकि रिजल्ट तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। यूपी बोर्ड की परीक्षा में शामिल 51 लाख से अधिक परीक्षार्थियों को परिणाम का इंतजार है।

इस बार बोर्ड ने कॉपियों का मूल्यांकन 15 दिनों में पूरा करा लिया था। मूल्यांकन कार्य 19 मार्च से दो अप्रैल तक प्रदेश के 261 केंद्रों में कराया गया। इसके बाद बोर्ड ने सात से नौ अप्रैल तक हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में शामिल परीक्षार्थियों के शैक्षिक विवरण में त्रुटि संशोधन के लिए आवेदन लिए।

इस बीच बोर्ड ने प्रयोगात्मक परीक्षा में शामिल होने से वंचित रह गए परीक्षार्थियों के लिए सात एवं आठ अप्रैल को फिर से प्रयोगात्मक परीक्षाएं भी कराईं और इसके बाद रिजल्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इस बार हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए 54,37,233 परीक्षार्थी पंजीकृत थे।

परिषदीय स्कूल में शिक्षकों और कर्मचारियों को एक घंटा अतिरिक्त रुकने पर जनप्रतिनिधियों ने उठाए सवाल

परिषदीय स्कूल में शिक्षकों और कर्मचारियों को एक घंटा अतिरिक्त रुकने पर जनप्रतिनिधियों ने उठाए सवाल 





परिषदीय स्कूल में शिक्षकों और कर्मचारियों को एक घंटा अतिरिक्त रुकने की बाध्यता समाप्त करने की मांग


लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग ने गर्मी को देखते हुए परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई का समय सुबह 7.30 से दोपहर 12.30 बजे तक निर्धारित किया है। किंतु शिक्षकों व कर्मचारियों को 1.30 बजे तक विद्यालय में रुकने का निर्देश दिया है। 

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन ने बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव व महानिदेशक, स्कूल कूल शिक्षा को पत्र भेजकर शिक्षकों के लिए अतिरिक्त एक घंटा विद्यालय में रुकने की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की है। एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि इस भीषण गर्मी में शिक्षकों को भी राहत देनी चाहिए, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में दोपहर में बिजली की कटौती भी होती है। नेटवर्क ना आने या धीमा चलने के कारण ऑनलाइन फीडिंग का कार्य भी नहीं किया जाना संभव होता। ऐसे में शिक्षक विद्यालयों में रुककर कौन से काम करेंगे? 

उन्होंने कहा कि शिक्षकों के लिए अनिवार्य किए गए इस अतिरिक्त एक घंटे को अनिवार्य ना बनाकर वैकल्पिक बनाया जाए। ताकि शिक्षक यदि काम जल्दी पूरा कर लें तो अपने घर समय से पहुंच सके। काम पूरा हो जाने के बाद भी शिक्षकों को अनिवार्य रूप से एक घंटा अतिरिक्त रोकना मानसिक प्रताड़ना है। विभाग को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। 





व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में बायोमीट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य करने की तैयारी

व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में बायोमीट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य करने की तैयारी 


लखनऊ। प्रदेश सरकार छात्रवृत्ति एवं शुल्क भरपाई योजना में गड़बड़ियां रोकने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके तहत व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य की जाएगी। यह व्यवस्था चालू सत्र से ही लागू करने की तैयारी है। इसके दायरे में 24-27 लाख छात्र आएंगे।


प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों को परिवार की सालाना आय ढाई लाख रुपये तक और अन्य वर्गों के लिए सालाना आय दो लाख रुपये तक होने पर इस योजना का लाभ दिया जाता है। केंद्र सरकार ने भी योजना में बायोमीट्रिक हाजिरी की व्यवस्था लागू करने के लिए कहा है। इससे वास्तविक छात्र ही योजना का लाभ ले सकेंगे।


उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश सरकार ने पहले चरण में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के छात्रों के लिए यह व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। आईटीआई से लेकर बीटेक, एमबीबीएस और एमबीए के विद्यार्थी इस दायरे में आएंगे।


 हर साल 60 लाख से ज्यादा छात्र योजना का लाभ पाते हैं। इनमें 40-45 फीसदी विद्यार्थी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के होते हैं। छात्रवृत्ति देने वाले चारों विभाग समाज कल्याण, जनजाति कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण इस योजना को एक साथ लागू करेंगे। इस संबंध में शीघ्र ही आदेश जारी होने की संभावना है।

Saturday, April 26, 2025

यूपी बोर्ड : हाईस्कूल(10th)एवं इंटरमीडिएट(12th) का परिणाम जारी, एक क्लिक में देखें अपना रिजल्ट

यूपी बोर्ड : 12वीं में प्रयागराज की महक और 10वीं में जालौन के यश अव्वल, बेटियों का मेरिट पर रहा दबदबा

12वीं में शीर्ष पांच स्थान पर 10 में 9 छात्राएं, 10वीं में शीर्ष पांच में 13 में 11 छात्राएं


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणामों में बेटियों ने फिर बाजी मारी है। इंटरमीडिएट में प्रयागराज की महक जायसवाल और हाईस्कूल में जालौन के यशप्रताप सिंह प्रदेश के टॉपर बने हैं। महक ने 97.20 फीसदी और यश ने 97.83 फीसदी अंक हासिल किए। इंटरमीडिएट में कुल 81.15 फीसदी और हाईस्कूल में 90.11 फीसदी परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं।

बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र देव ने शुक्रवार दोपहर साढ़े बारह बजे नतीजे घोषित किए। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट दोनों ही कक्षाओं की मेरिट से लेकर उत्तीर्ण प्रतिशत तक में बेटियों ने

छात्रों को काफी पीछे छोड़ दिया है। 12वीं में पहले के पांच स्थानों पर कुल 10 विद्यार्थी हैं, जिनमें टॉपर महक समेत नौ छात्राएं हैं। वहीं, शीर्ष 10 स्थानों पर रहने वाले कुल 30 परीक्षार्थियों में भी 24 बेटियां हैं। इंटर में छात्राओं का उत्तीर्ण प्रतिशत 86.37 व छात्रों का 76.60 फीसदी है।

हाईस्कूल में शीर्ष पांच स्थानों पर रहने वाले कुल 13 परीक्षार्थियों में से 11 छात्राएं हैं। वहीं, प्रथम 10 स्थानों पर कुल 55 विद्यार्थियों ने जगह बनाई है। इनमें से 43 बेटियां हैं। हाईस्कूल में छात्राओं का उत्तीर्ण प्रतिशत 93.87 और छात्रों का 86.66 फीसदी है। 


यूपी बोर्ड : हाईस्कूल(10th)एवं इंटरमीडिएट(12th) का परिणाम जारी, एक क्लिक में देखें अपना रिजल्ट 


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UP Board Toppers List 2025 LIVE: इंटर में महक जायसवाल, हाई स्कूल में यश ने किया टॉप, यहां देखें पूरी लिस्ट

यूपीएमएसपी की ओर से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर यूपी बोर्ड रिजल्ट के साथ ही टॉपर्स लिस्ट (Live UPMSP UP Board Toppers List 2025 Updates) जारी कर दी गई है। इंटर में महक जायसवाल और हाई स्कूल में यश प्रताप ने टॉप किया है। राज्य में टॉप करने वाले स्टूडेंट्स को 1 लाख रुपये नकद, प्रशस्ति पत्र एवं लैपटॉप/ टेबलेट प्रदान किया जायेगा।

🔵 यूपी बोर्ड रिजल्ट 2025 के नतीजे घोषित।
🔵 नतीजों के साथ दोनों क्लास की टॉपर्स लिस्ट भी जारी।
🔵 राज्य सरकार की ओर से टॉपर्स को किया जायेगा सम्मानित। 


यूपी बोर्ड 10वीं में 90.11 फीसदी और यूपी बोर्ड इंटर में 81.15 फीसदी बच्चे पास हुए हैं। यूपी बोर्ड 10वीं में यश प्रताप सिंह ने 97.83 फीसदी अंकों के साथ टॉप किया है। 

यश प्रताप सिंह रसकेंद्री देवी इंटर कॉलेज, उमरी (जालौन) के विद्यार्थी हैं। दूसरे स्थान पर अंशी तिवारी इटावा 97.67 प्रतिशत और अभिषेक कुमार यादव बाराबंकी के रहने वाले 97.67 प्रतिशत तीसरे स्थान पर रहे हैं। मुरादाबाद के मृदुल गर्ग 97.50 अंक के साथ चौथे स्थान पर हैं। यूपी बोर्ड 12वीं में 97.20% अंकों के साथ महक जायसवाल ने टॉप किया है। 

महक जायसवाल, बच्चा राम यादव इंटर कॉलेज, भुलाई की छात्रा हैं। यूपी बोर्ड 12वीं की परीक्षा 25,98,560 स्टूडेंट्स ने दी थी। इसमें से कुल 21,08,774 छात्र पास हुए हैं। ओवरऑल पास प्रतिशत 81.15 फीसदी रहा। इसमें से लड़कों की संख्या 13,87,263, पास हुए छात्रों की संख्या 10,62,616 और पास प्रतिशत 76.60 फीसदी रहा है। इसके अलावा लड़कियों की कुल संख्या 12,11,297 थी इसमें से 10,46,158 छात्राएं पास हुई हैं और पास प्रतिशत 86.37 फीसदी रहा है। लड़कियों का पास प्रतिशत लड़कों से 9.77 फीसदी अधिक रहा है।




यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटर के नतीजे आज 12:30 बजे आएंगे, ऐसे देख सकेंगे


प्रयागराज । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 का परिणाम शुक्रवार को 12:30 बजे घोषित होगा। इसी के साथ बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत 54 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का इंतजार खत्म हो जाएगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव और सचिव भगवती सिंह बोर्ड मुख्यालय से दोपहर 12:30 बजे परिणाम जारी करेंगे।

परिणाम बोर्ड की वेबसाइट upmsp.edu.in और एनआईसी की वेबसाइट upresults.nic.in पर देखा जा सकता है। 



यूपी बोर्ड: डिजिलाकर से अंकपत्र देख और डाउनलोड कर सकेंगे छात्र, जानिए कैसे?


प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह के अनुसार हाई स्कूल के छात्र- छात्राएं अपना अनुक्रमांक एवं जन्मतिथि अंकित कर डिजि-लाकर से अंकपत्र देख और डाउनलोड कर सकेंगे। इसके अलावा इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं को डिजि-लाकर पर उपलब्ध अंकपत्र देखने व डाउनलोड करने के लिए अपने अनुक्रमांक के साथ मां का नाम अंकित करना होगा। इस तरह डिजि-लाकर पर उपलब्ध अंकपत्र का उपयोग नए संस्थान में प्रवेश के लिए छात्र-छात्राएं उपयोग कर सकेंगे। यह सत्यापित होने के साथ डिजिटली हस्ताक्षरित भी होगा। इसमें क्यूआर कोड  का भी प्रयोग किया गया है। विद्यालयों के माध्यम से आफलाइन अंकपत्र/प्रमाणपत्र बाद में उपलब्ध कराए जाएंगे।


 हाई स्कूल परीक्षा में 27.40 लाख परीक्षार्थी पंजीकृत थे, जबकि इंटरमीडिएट में 26.98 लाख। इस तरह 54.38 लाख छात्र-छात्राओं के लिए 8140 केंद्रों पर परीक्षा 24 फरवरी से 12 मार्च के मध्य संपन्न कराई गई।

हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट को मिलाकर 3.02 लाख परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी थी। उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन 261 केंद्रों पर 19 मार्च से दो अप्रैल के मध्य कराया गया। परीक्षा परिणाम तैयार होने के बाद अब परिणाम घोषित किए जाने की तिथि निश्चित कर दी गई।


सिर्फ मजहबी शिक्षा केंद्र बनकर न रह जाएं मदरसे, सीएम योगी ने की मदरसा शिक्षा की समीक्षा, कहा छात्रों को आधुनिक शिक्षा का मिले लाभ

सिर्फ मजहबी शिक्षा केंद्र बनकर न रह जाएं मदरसे, सीएम योगी ने की मदरसा शिक्षा की समीक्षा, कहा छात्रों को आधुनिक शिक्षा का मिले लाभ


लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मदरसा शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार की जरूरत बताई है। शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की मदरसा शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मदरसा महज मजहबी शिक्षा के केंद्र बनकर न रह जाएं। वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के सभी आयामों का लाभ मिलना चाहिए। हर एक विद्यार्थी का भविष्य उज्ज्वल हो, यह सरकार की प्राथमिकता है। नवाचार के माध्यम से मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा में लाना है, जिससे समाज के प्रत्येक वर्ग को समान अवसर और समुचित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।


सीएम ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मदरसा बोर्ड की कामिल (स्नातक) व फाजिल (परास्नातक) स्तर की डिग्रियों को असांविधानिक घोषित करने से चुनौतियां पैदा हुई हैं। इसी तरह मान्यता के मानक एवं शर्तों को शिक्षा विभाग के स्कूलों के समान बनाने के लिए और नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव और शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को भी निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की जरूरत है।

सीएम को बताया गया कि मदरसा शिक्षा परिषद का कामकाज ऑनलाइन हो गया है। इस पोर्टल पर कुल 19,123 मदरसों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 13,329 सत्यापित होकर लॉक हो चुके हैं। पोर्टल के माध्यम से परीक्षाएं, प्रमाणपत्र, वेरिफिकेशन, यू-डाइस कोड से एकीकरण आदि की व्यवस्था लागू की गई है। बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या में पिछले वर्षों में लगातार गिरावट आई है। वर्ष 2016 में यह संख्या 422627 थी, जो वर्ष 2025 में घटकर मात्र 88082 रह गई है। सीएम ने इसमें सुधार की आवश्यकता बताई। 


बदलाव के लिए समिति का गठन

सीएम ने कहा कि निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाए, जिसमें बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, वित्त, न्याय एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभागों के विशेष सचिव सदस्य हों। यह समिति मदरसों के सुचारू संचालन और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक बदलावों पर अपनी संस्तुति देगी।


13329 मदरसों में पढ़ रहे, 12.35 लाख छात्र :

अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग ने प्रस्तुतीकरण में बताया कि प्रदेश में वर्तमान में कुल 13329 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं। इनमें 1235400 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। 561 मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं, जिनमें कुल 231806 छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की कुल संख्या क्रमशः 9889 और 8367 है। इन कर्मियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार 1 जनवरी 2016 से वेतन और भत्ते प्राप्त हो रहे हैं।



मजहबी नहीं, आधुनिक शिक्षा के केंद्र बनेंगे मदरसे : योगी

मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण को निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण के नेतृत्व में कमेटी गठित


लखनऊ: योगी सरकार मदरसा शिक्षा व्यवस्था में बड़ा सुधार करने जा रही है। मदरसा शिक्षा में व्याप्त खामियों को दूर कर उनको आधुनिक बनाया जाएगा।

इसके लिए कई पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। अध्ययन के लिए निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी में बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, वित्त, न्याय एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभागों के विशेष सचिव सदस्य होंगे। शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की मदरसा शिक्षा व्यवस्था की गहन समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कड़े निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मदरसे केवल मजहबी शिक्षा के केंद्र बनकर न रह जाएं। वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के सभी आयामों का लाभ मिलना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल सुधार नहीं, बल्कि नवाचार और समावेशिता के माध्यम से मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा में लाना है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मदरसा बोर्ड की कामिल (स्नातक) व फाजिल (परास्नातक) स्तर की डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित करने से चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं।


मान्यता के मानक व शर्तों को शिक्षा विभाग के स्कूलों के समरूप बनाने के लिए नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की जरूरत है। पाठयक्रम के अनुरूप शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मियों की योग्यता में परिवर्तन भी जरूरी है। शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को भी निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की जरूरत है। वर्तमान व्यवस्था में मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया के पुनरीक्षण की आवश्यकता है। ऐसे में यह समिति मदरसों के सुचारु संचालन और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा व विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक बदलावों पर अपनी संस्तुति देगी।

बैठक में विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रदेश में इस समय कुल 13,329 मान्यताप्राप्त मदरसे संचालित हैं, जिनमें 12.35 लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इन मदरसों में 9,979 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा एक से आठ) तथा 3,350 माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर (कक्षा नौ से 12) के हैं। इनमें से 561 मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं, जिनमें कुल 2.31 लाख छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों की संख्या 9889 और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की कुल संख्या 8367 है। इन कर्मियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार एक जनवरी 2016 से वेतन और भत्ते प्राप्त हो रहे हैं। 


अगस्त 2017 में मदरसा पोर्टल की शुरुआत की गई थी। इस पोर्टल पर कुल 19,123 मदरसों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 13,329 सत्यापित होकर लाक हो चुके हैं। पोर्टल के माध्यम से परीक्षाएं, प्रमाणपत्र, सत्यापन, यू-डाइस कोड से एकीकरण आदि की व्यवस्था लागू की गई है। हालांकि मदरसा बोर्ड परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले छात्रों की संख्या में पिछले वर्षों में लगातार गिरावट आई है। वर्ष 2016 में यह संख्या 4,22,627 थी, जो वर्ष 2025 में घटकर मात्र 88,082 रह गई है।


मुख्यमंत्री ने इसे विचारणीय बताते हुए सुधार की आवश्यकता बताई। अधिकारियों ने यह भी बताया कि मदरसा शिक्षा परिषद अब केवल मौलवी मुंशी (सेकेंडरी) और आलिम (सीनियर सेकेंडरी) स्तर की परीक्षाएं आयोजित कर रही है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए वर्तमान में एससीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है। वर्ष 2025-26 से यह व्यवस्था पूरी तरह क्रियान्वित हो चुकी है। वहीं, कक्षा नौ से 12 तक भी माध्यमिक शिक्षा परिषद के अनुरूप पाठ्यक्रम लागू किए जाने की कार्यवाही प्रगति पर है। पाठ्यक्रम में धार्मिक विषयों जैसे धर्मशास्त्र, अरबी और फारसी के साथ-साथ गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी जैसे आधुनिक विषयों को भी समाहित किया गया है।


Friday, April 25, 2025

अब एडेड डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों के परिजनों को मिलेगी डेथ ग्रेच्युटी

अब एडेड डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों के परिजनों को मिलेगी डेथ ग्रेच्युटी


लखनऊ। सहायता प्राप्त अशासकीय (एडेड) महाविद्यालय के शिक्षकों के परिजनों को अब डेथ ग्रेच्युटी (25 लाख रुपये) मिलने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन इस प्रस्ताव को सहमति दे दी है। उच्च शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के अनुसार एडेड कॉलेज के शिक्षक जिन्होंने सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं दिया गया और उनकी मृत्यु 58 साल के पहले हो गई। 


ऐसे भी शिक्षक जिन्होंने साल 60 साल पर सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा किंतु विकल्प परिवर्तन के लिए निर्धारित अवधि के पहले ही मृत्यु हो गई। ऐसे शिक्षकों के परिजनों को डेथ ग्रेच्युटी का भुगतान किए जाने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि ऐसे काफी शिक्षकों के परिजन थे, जो इसके लिए भटक रहे थे। ऐसे में सरकार के इस निर्णय से उन्हें इसका लाभ मिल जाएगा। 

यूजीसी रेगुलेशन लागू, नहीं माने तो विश्वविद्यालयों पर लगेगा प्रतिबंध, तमिलनाडु जैसे राज्यों की अब नहीं चलेगी मनमानी

यूजीसी रेगुलेशन लागू, नहीं माने तो विश्वविद्यालयों पर लगेगा प्रतिबंध, तमिलनाडु जैसे राज्यों की अब नहीं चलेगी मनमानी, 85% हाजिरी की अनिवार्यता भी समाप्त


नई दिल्ली। यूजीसी रेगुलेशन-2025 देशभर में लागू कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत तैयार यूजीसी रेगुलेशन-2025 (स्नातक पूर्व और स्नातकोत्तर उपाधि प्रदान करने के लिए अनुदेश के न्यूनतम मापदंड) की अधिसूचना बृहस्पतिवार को जारी कर दी।


सभी विश्वविद्यालयों में अब नए यूजीसी रेगुलेशन के आधार पर दाखिला, सेमेस्टर, पढ़ाई, क्रेडिट समेत अन्य मानक लागू होंगे। अब 12वीं के बाद विद्यार्थी स्नातक पाठ्यक्रम के लिए किसी भी संकाय में दाखिला ले सकेंगे। कला, विज्ञान या कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों का 12वीं कक्षा में संबंधित विषय में पास होना अनिवार्य नहीं रहेगा।


विद्यार्थी सीयूईटी यूजी या विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में शामिल होकर उसकी मेरिट के आधार पर पसंद का संकाय चुन सकेंगे। नियमित पाठ्यक्रम के विषयों के साथ वे रोजगारपरक विषय भी ले सकते हैं। उन्हें कोई भी विषय या डिग्री चुनने का विकल्प मिलेगा। मूल्यांकन अब लिखित परीक्षा, सेमिनार, प्रेजेंटेंशन, क्लास परफॉर्मेंस, फील्डवर्क के आधार पर होगा। प्रॉस्पेक्टस में मूल्यांकन, पाठ्यक्रम की जानकारी देना जरूरी है। अब 85 फीसदी हाजिरी की अनिवार्यता समाप्त हो गई है।


छात्र तय करेंगे डिग्री का समय

2025 से बौद्धिक क्षमता के आधार पर छात्रों को डिग्री पूरी करने का मौका होगा। पहले व दूसरे सेमेस्टर में प्रदर्शन मूल्यांकन के बाद विकल्प मिलेगा। मेधावी छात्रों के लिए 10 फीसदी सीट और दीक्षांत समारोह से पहले डिग्री मिलेगी। तीन साल की छह सेमेस्टर की डिग्री पांच सेमेस्टर में कर सकेंगे। चार वर्ष की 8 सेमेस्टर की डिग्री छह या सात सेमेस्टर में पूरी होगी।

धीमी गति वाले छात्रों को तीन, चार वर्षीय डिग्री में अधिकतम दो सेमेस्टर में कोर्स पूरा करना होगा। अभी तक 2 या 3 विषयों में फेल छात्रों की मार्कशीट में दोबारा परीक्षा में शामिल होना लिखा रहता था, पर अब यह नहीं लिखा होगा।


ये हैं प्रमुख बदलाव

छात्र ने लेवल 4 या 12वीं की पढ़ाई (रेगुलर व ओपन स्कूल) की होगी, तो वह अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम या फिर इंटीग्रेटेड अंडरग्रेजुएट या पोस्टग्रेजुएट डिग्री प्रोग्राम में दाखिला ले सकता है।

छात्र यूजी में किसी भी स्ट्रीम में दाखिला ले सकते हैं। उससे पहले उन्हें सीयूईटी यूजी या संबंधित विवि की प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी।

कोई भी छात्र यूजी और पीजी प्रोग्राम में अलग-अलग दो डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई कर सकेगा। यूजी व पीजी प्रोग्राम में छात्र अलग-अलग दो-दो डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई कर सकेंगे। लेकिन, करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क यूजीसी का और दो शैक्षणिक कार्यक्रम में पढ़ाई की मानक पूरे होने पर।

तीन वर्ष की यूजी के बाद पीजी दो साल तो चार वर्ष (ऑनर्स और रिसर्च) वालों के लिए पीजी एक साल का होगा।

Thursday, April 24, 2025

राजकीय स्कूलों में बनेगा मिनी इंडोर स्टेडियम, हर मिनी स्टेडियम के लिए पांच करोड़ स्वीकृत, पीपीपी मॉडल पर होगा संचालन

राजकीय स्कूलों में बनेगा मिनी इंडोर स्टेडियम, हर मिनी स्टेडियम के लिए पांच करोड़ स्वीकृत, पीपीपी मॉडल पर होगा संचालन

18 जिलों के 23 राजकीय विद्यालयों के लिए पीएबी ने स्वीकृत किया बजट


लखनऊ। प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में बढ़ने वाले छात्रों को पठन-पाठन के साथ शारीरिक रूप से भी स्वस्थ्य रखने की कवायद आकार लेने लगी है। इस क्रम में रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, सीतापुर समेत 18 जिलों के 23 राजकीय विद्यालयों में इंडोर मिनी स्टेडियम का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय की प्रोजेक्ट एडवायजरी बोर्ड (पीएबी) ने बजट स्वीकृत किया है।

इसके तहत रायबरेली, सुल्तानपुर, अमेठी, सीतापुर, इटावा, गोरखपुर, बरेली, मेरठ, प्रयागराज, मिर्जापुर, लखीमपुर, ललितपुर, महाराजगंज, कासगंज, मुरादाबाद, रामपुर, जालौन व फतेहपुर में जीआईसी व जीजीआईसी में छात्रों को नियमित खेल गतिविधियों के लिए मिनी स्टेडियम स्वीकृत किए गए हैं। हर मिनी स्टेडियम के लिए पांच करोड़ कुल 115 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। इससे ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की छिपी हुई खेल प्रतिभा को निखारने का भी मौका मिलेगा।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के अनुसार विद्यालयों में खेलों को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाकर छात्रों में प्रतिस्पर्धात्मक भावना, टीमवर्क और नेतृत्व क्षमता को विकसित किया जाएगा। इसमें छात्र-छात्राओं को नियमित खेल गतिविधियों व शारीरिक दक्षता के लिए मिनी स्टेडियम का प्रयोग स्कूल समय के बाद किया जाएगा। मिनी स्टेडियम का संचालन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में किया जाएगा। इससे स्थानीय खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों को और खेल से जुड़े लोगों को लाभ होगा।

विभाग के अनुसार यह पहल ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों की छुपी हुई खेल प्रतिभाओं को राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में भी सहयोगी होगी। पीपीपी मोड में प्रशिक्षकों, प्रबंधकों व अन्य सहायक सेवाओं के माध्यम से युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोज़गार और स्वरोज़गार के नए अवसर भी पैदा होंगे। पीएबी में बजट स्वीकृत होने के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग जल्द इसकी औपचारिकता पूरी कर इसका काम शुरू कराएगा।



23 GIC  में बनाए जाएंगे मिनी स्टेडियम, खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए प्रति विद्यालय 4.92 करोड़ मंजूर, सरकार ने जारी किया बजट

■ बरेली, सुल्तानपुर, अमेठी, मेरठ और फतेहपुर के दो-दो स्कूल

■ प्रयागराज समेत प्रदेश के 18 जिलों में बनेंगे इंडोर मिनी स्टेडियम

10 अप्रैल 2025
प्रयागराज । स्कूली बच्चों में खेलकूद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश के 23 राजकीय इंटर कॉलेजों में 113.16 करोड़ रुपये से इंडोर मिनी स्टेडियम बनाए जाएंगे। 18 जिलों के इन जीआईसी और जीजीआईसी में मिनी स्टेडियम निर्माण के लिए प्रत्येक विद्यालय को 4.92-4.92 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने 26 मार्च को संबंधित जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को प्रत्येक विद्यालय के लिए 2.16 करोड़ की धनराशि जारी भी कर दी है।

बरेली, सुल्तानपुर, अमेठी, मेरठ और फतेहपुर के दो-दो स्कूलों में मिनी स्टेडियम बनेगा, जबकि प्रयागराज समेत अन्य जिलों में एक-एक स्कूल को चुना गया है। बरेली में पीएमश्री जीआईसी और जीजीआईसी, सुल्तानपुर में जीआईसी और राजकीय अभिनव विद्यालय टिकरीपन्ना, अमेठी में जीआईसी टीकरमाफी व जीजीआईसी सोनारीकला, मेरठ में जीआईसी हस्तिनापुर व जीआईसी, जबकि फतेहपुर में पीएमश्री जीआईसी व पीएमश्री जीजीआईसी में मिनी स्टेडियम बनेगा।

इसके अलावा प्रयागराज में पीएमश्री जीआईसी, जीआईसी रायबरेली, जीआईसी इटावा, राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज गोरखपुर, जीआईसी मिर्जापुर, जीआईसी सीतापुर, जीआईसी लखीमपुर, जीआईसी ललितपुर, जीआईसी महाराजगंज, पं. दीन दयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज टिम्बरपुर सोरों कासगंज, जीआईसी मुरादाबाद, राजकीय रजा इंटर कॉलेज रामपुर, जीआईसी उरई जालौन में मिनी स्टेडियम को मंजूरी मिली है।

अन्य जिलों में भी बनेगा मिनी स्टेडियम
प्रदेश के दूसरे जिलों के राजकीय इंटर कॉलेजों में मिनी स्टेडियम का निर्माण होगा। अपर शिक्षा निदेशक राजकीय अजय कुमार द्विवेदी का कहना है कि जिला मुख्यालय के जिन राजकीय इंटर कॉलेजों में 2500 वर्गमीटर से अधिक जमीन है वहां मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा। पहले चरण में 18 जिलों के 23 कॉलेजों के लिए 49.68 करोड़ की धनराशि जारी हो चुकी है। अन्य जिलों में मिनी स्टेडियम स्थापित करने के लिए सूचना मांगी जा रही है।




राजकीय इंटर कॉलेज की खाली जमीनों पर बनेंगे इंडोर मिनी स्टेडियम, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने दिए एस्टीमेट तैयार करने के निर्देश, जिला मुख्यालय पर प्रोजेक्ट अलंकार के तहत होगा निर्माण 


23 फरवरी 2025
लखनऊ। प्रदेश में जिला मुख्यालय स्तर पर राजकीय इंटर कॉलेजों में खाली पड़ी जमीन पर इंडोर मिनी स्टेडियम बनेंगे। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक से एस्टीमेट तैयार करके उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इसके लिए प्रोजेक्ट अलंकार के तहत बजट दिया जाएगा।

माध्यमिक शिक्षा विभाग का कहना है कि जिला मुख्यालय स्तर पर ऐसे राजकीय इंटर कॉलेज (बालक-बालिका), जहां 2500 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खाली है। यहां पर खेल सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए एक मिनी स्टेडियम बनाने व चलाने का प्रस्ताव है।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को खेल विभाग से अनुमोदित इंडोर मिनी स्टेडियम का मॉडल भी भेजा है। उन्होंने इसके अनुसार जिला मुख्यालय के ऐसे इंटर कॉलेजों को चिह्नित करते हुए मंडलवार एस्टीमेट तैयार कराने के निर्देश दिए हैं।

यह पांच करोड़ रुपये से अधिक का नहीं होना चाहिए। प्रोजेक्ट अलंकार के तहत इन स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा। इसके माध्यम से राजकीय इंटर कॉलेजों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ करने का काम किया जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा आयोजित कराने के संबंध में

प्रदेश में संस्कृत प्रतिभा खोज परीक्षा जिले स्तर पर पांच जुलाई से

लखनऊ। युवाओं में संस्कृत की पढ़ाई के प्रति रुझान बढ़ाने व आर्थिक सहयोग के उद्देश्य से संस्कृत प्रतिभा खोज व संस्कृत अध्ययन प्रोत्साहन योजना शुरू की गई है। 

संस्कृत प्रतिभा खोज परीक्षा इस बार जिला स्तर पर 5 से 31 जुलाई तक होगी। मंडल स्तर पर 5 से 13 अगस्त तक परीक्षा होगी। इसके बाद राज्य स्तरीय परीक्षा भी होगी। संस्कृत प्रतिभा खोज परीक्षा दो वर्गों में होगी। पहले वर्ग में कक्षा 6 से 12 तक और दूसरे वर्ग में स्नातक-स्नातकोत्तर के विद्यार्थी शामिल होंगे। 

पहले वर्ग में संस्कृत गीत, संस्कृत सामान्य ज्ञान, श्लोकान्त्याक्षरी, अष्टाध्यायी कंठस्थ पाठ, अमरकोश कंठस्थ पाठ, लघुसिद्धांतकौमुदी कंठस्थ पाठ व तर्क संग्रह कंठस्थ पाठ होगा। दूसरे वर्ग में संस्कृत सामान्य ज्ञान, संस्कृत भाषण व श्रुति लेखन होगा।

 उप्र. संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि युवाओं को संस्कृत से निरंतर जोड़ा जा रहा है। इस वर्ष भी परीक्षा के माध्यम से युवाओं की छिपी प्रतिभा को निखारा जाएगा। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। राज्य स्तर पर पहले विजेता को 11 हजार, दूसरे को 7 हजार, तीसरे को 5 हजार रुपये दिए जाएंगे। तीन सांत्वना पुरस्कार भी तीन-तीन हजार रुपये के दिए जाएंगे। जिला व मंडल स्तर पर भी विजेताओं को पुरस्कार राशि दी जाएगी। 



उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा आयोजित कराने के संबंध में 


अनुदानित माध्यमिक कॉलेजों में फीस में जुड़ेंगे सीसीटीवी, बिजली व विकास शुल्क

अनुदानित माध्यमिक कॉलेजों में फीस में जुड़ेंगे सीसीटीवी, बिजली व विकास शुल्क


लखनऊ। अनुदानित माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों से बिजली बिल, सीसीटीवी कैमरों व विकास संबंधी शुल्क भी लिया जाएगा। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक सभा उत्तर प्रदेश ने इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है। शासन को भेजे गए प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद अगले सत्र से इसे लागू कर दिया जाएगा। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से अभी पढ़ाई का शुल्क लिया जा रहा है। लेकिन, निजी शिक्षण संस्थानों की तरह अब उनसे विद्यालय की अन्य सुविधाओं का भी शुल्क लिया जाएगा। 


विद्यालय प्रबंधक की ओर से जारी मांग पत्र के अनुसार, छात्रों के शुल्क खाते में विद्यालय के विकास शुल्क में 10 रुपये की बढ़ोतरी की जाएगी। बिजली शुल्क 10 रुपये और सीसीटीवी कैमरो की मरम्मत के लिए 5 रुपये प्रति माह किए जाएंगे। इसी तरह प्रति छात्र के फीस शुल्क खाते में हर माह 25 रुपये की बढ़ोतरी होगी।



शिक्षा मंत्री व अफसरों से प्रबंधक सभा को मिला आश्वासन

अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक सभा के महामंत्री मनमोहन तिवारी ने बताया कि संगठन ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी से इस संबंध में वार्ता की है। शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा और एडिशनल डायरेक्टर सुरेन्द्र तिवारी भी उपस्थित थे। सभी मांगों पर संगठन और मंत्री व उनके अधिकारियों के बीच सहमति बनी है। डीजी ने संगठन को आश्वस्त किया है कि सभी बिंदुओं पर जल्द कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

Wednesday, April 23, 2025

पूर्व प्राचार्य की पुत्रवधू के स्थान पर सॉल्वर बैठाने में डायट प्रवक्ता निलंबित

पूर्व प्राचार्य की पुत्रवधू के स्थान पर सॉल्वर बैठाने में डायट प्रवक्ता निलंबित, सचिव के आदेश पर डायट प्राचार्य ने की कार्रवाई, साल 2024 में हुई थी परीक्षा


प्रतापगढ़। डायट के पूर्व प्राचार्य की पुत्रवधू के स्थान पर महिला सॉल्वर बैठाने पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव के आदेश पर डायट प्रवक्ता को निलंबित कर दिया गया है। डायट प्राचार्य ने निलंबन का आदेश मंगलवार को जारी किया। साल 2024 में डीएलएड प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा के दौरान धांधली की गई थी।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की डीएलएड प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा आठ अगस्त से शुरू होकर दस अगस्त तक चली थी। डायट अतरसंड में प्रथम सेमेस्टर की प्रशिक्षु पूर्व प्राचार्य अशोक यादव की पुत्रवधू अभिलाषा को परीक्षा केंद्र केपी हिंदू इंटर कॉलेज आवंटित किया गया।

डायट में तैनात अंग्रेजी के प्रवक्ता जितेंद्र कुमार के सहयोग से पूर्व प्राचार्य की पुत्रवधू के स्थान पर महिला सॉल्वर को बैठाया गया। प्रयागराज से महिला सॉल्वर को बुलाकर परीक्षा कराई गई। सह परीक्षा प्रभारी के दायित्व का नर्वहन करते हुए डायट प्रवक्ता ने अभिलाषा का प्रवेश पत्र स्वयं प्राप्त किया।

इसके अलावा डायट प्रवक्ता पर प्रवेश समिति के प्रभारी पद के निर्वहन के दौरान प्रवेश शुल्क ड्राफ्ट से न लेकर विद्यार्थियों से नकद शुल्क लिया गया। शासकीय धन को व्यक्तिगत उपयोग में लेने के 18 माह बाद राजकोष में जमा किया गया।

डीएलएड प्रवेश प्रभारी के दौरान 186 प्रशिक्षुओं के सापेक्ष 157 के ही मूल अभिलेख जमा किए। आरोप सिद्ध होने के बाद तत्काल प्रभाव से परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव ने निलंबन का आदेश दे दिया। डायट प्रवक्ता को डायट रायबरेली से संबद्ध कर दिया गया है।



डीएलएड में सॉल्वर बिठाकर नकल कराने के मामले में डायट प्रवक्ता निलंबित 




सभी छात्रों की शुल्क भरपाई के लिए अब होगी एक ही समयसारिणी, हर साल 60 लाख विद्यार्थी पाते हैं लाभ, मुख्य सचिव के स्तर से जारी होगा कार्यक्रमछात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति, उत्तर प्रदेश,

सभी छात्रों की शुल्क भरपाई के लिए अब होगी एक ही समयसारिणी, हर साल 60 लाख विद्यार्थी पाते हैं लाभ, मुख्य सचिव के स्तर से जारी होगा कार्यक्रम


लखनऊ। प्रदेश में सभी वर्गों के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई के लिए एक ही समयसारिणी जारी होगी। इसमें आवेदन से लेकर भुगतान तक का समय जारी होगा। यह समय सारिणी मुख्य सचिव के स्तर से जारी होगी। योजना में हर साल करीब 60 लाख विद्यार्थी लाभ पाते हैं।


प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को ढाई लाख रुपये सालाना एवं अन्य वर्गों के लिए दो लाख रुपये तक सालाना आय होने पर योजना का लाभ दिया जाता है। अभी सामान्य वर्ग और अनुसूचित जाति व जनजाति छात्रों के लिए समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा वर्ग के लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग समयसारिणी जारी करता है।


सभी विभागों की समयसारिणी अलग-अलग जारी होती है। इससे डाटा प्रोसेस (जांच आदि) करने में एनआईसी को दिक्कत आती है। आम तौर पर विभाग अपने स्तर से समयसारिणी जारी कर देते हैं, जिससे एनआईसी को डाटा की जांच के लिए पर्याप्त समय भी नहीं मिल पाता है। इसलिए निर्णय लिया गया है कि समयसारिणी जारी करने से पहले इस पर एनआईसी के साथ भी विचार-विमर्श किया जाएगा।


छात्रवृत्ति का वितरण सितंबर-अक्तूबर में

पिछले वित्त वर्ष तक छात्रवृत्ति का वितरण मार्च तक किया जाता है। इस बार सितंबर-अक्तूबर में ही वितरण की योजना बनाई जा रही है। ताकि, छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने में कोई दिक्कत न आए।

परिषदीय स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा, स्मार्ट पढ़ाई पर जोर

परिषदीय स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा, स्मार्ट पढ़ाई पर जोर


लखनऊः परिषदीय स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देकर स्मार्ट तरीके से पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है। इन विद्यालयों में 2.09 टैबलेट दिए गए हैं और 18 हजार से अधिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास बनाई जा चुकी हैं। डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देकर निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी विद्यालयों में भी पढ़ाई कराई जा रही है। छात्रों को आडियो-वीडियो के माध्यम से रोचक ढंग से कठिन से कठिन पाठ आसानी से समझाए जा रहे हैं।


प्रदेश के सभी ब्लाक में एक-एक इन्फार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलाजी (आइसीटी) लैब बनाई गई है। यहां पर परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों के विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के मुताबिक आपरेशन कायाकल्प की मदद से विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएं बढ़ाई गई हैं और इसके साथ ही डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को भी तेजी से बढ़ाया जा रहा है।


शिक्षकों को जो टैबलेट दिए गए हैं, उसमें इंटरनेट की सुविधा दी गई है। विद्यालय में उपस्थिति सहित सभी 12 रजिस्टर को डिजिटल रजिस्टर में तब्दील कर आनलाइन सूचनाएं बेसिक शिक्षा विभाग को भेजी जा रही हैं और इस पर आनलाइन पाठ्य सामग्री भी भेजी जा रही है। नवभारत उदय कार्यक्रम के तहत डिजिटल शिक्षा की नींव तैयार कर ली गई है। वर्ष 2022 से लेकर वर्ष 2024 तक सीतापुर में 59 स्मार्ट टीवी और पांच कंप्यूटर लैब स्थापित की गईं। अब आगे 501 प्राथमिक स्कूलों में स्मार्ट टीवी का वितरण किया जाएगा। छात्रों को रोचक ढंग से पढ़ाई कराने पर जोर दिया जा रहा है।

Tuesday, April 22, 2025

मानदेय, मेडिकल व मूल विद्यालय वापसी के लिए अपर मुख्य सचिव से शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों ने एमएलसी के साथ की वार्तालाप

मानदेय, मेडिकल व मूल विद्यालय वापसी के लिए अपर मुख्य सचिव से शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों ने एमएलसी के साथ की वार्तालाप  


लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में तैनात शिक्षामित्रों व अनुदेशकों का मानदेय बढ़ाने, मेडिकल सुविधा देने व मूल विद्यालय वापसी के लिए एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार से मिला। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एमएलसी श्रीचंद शर्मा व अवनीश सिंह ने किया।


उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा ने आयुष्मान से जोड़े जाने पर स्वास्थ्य विभाग से वार्ता कर अवगत कराने का निर्देश दिया। साथ ही मूल विद्यालय वापसी पर बेसिक शिक्षा निदेशक के साथ बैठक करने और मानदेय बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री से निर्देश लेने की बात कही।


वहीं एमएलसी श्रीचंद शर्मा व अवनीश सिंह ने जल्द ही इस मामले में मुख्यमंत्री से समय लेकर वार्ता करने का आश्वासन दिया। श्रीचंद शर्मा ने बताया कि कल ही उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात हो सकती है। अपर मुख्य सचिव से वार्ता में अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह, जिलाध्यक्ष बनारस अजय सिंह, जिलाध्यक्ष फतेहपुर सुशील तिवारी उपस्थित थे।

सेवा सुरक्षा बहाली के लिए प्रदेश भर से आए माध्यमिक शिक्षकों ने भरी हुंकार, ईको गार्डन में अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन

सेवा सुरक्षा बहाली के लिए प्रदेश भर से आए माध्यमिक शिक्षकों ने भरी हुंकार,  ईको गार्डन में अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन।


लखनऊ। सेवा सुरक्षा की बहाली के लिए सोमवार को शिक्षको ने अपनी आवाज बुलंद की। प्रदेशभर से ईको गार्डन में एकत्र हुए शिक्षको ने शिक्षक सेवा सुरक्षा की धारा 12, 18 एवं 21 को नए आयोग में जोड़ने की मांग की। प्रदर्शनकारियों की अगुवाई कर रहे उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 12, 18 एवं 21 को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 से निरसित (खारिज) कर दिया गया है।


इन तीनों धाराओं के उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 में न होने से प्रदेशभर के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब से तीनों धाराएं समाप्त की गई है, प्रदेश में शिक्षकों का निलंबन और बर्खास्तगी का सिलसिला शुरू हो गया है। शिक्षक सेवा सुरक्षा के अभाव में भयभीत हैं।


प्रदेश संरक्षक डॉ. हरिप्रकाश यादव तथा प्रदेश प्रवक्ता श्रवण कुमार कुशवाहा ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 निरसित होने के कारण सहायक अध्यापक से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति बीते डेढ़ वर्ष से बंद है और इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 प्रभावी है। इस मौके पर दीपक सिंह पुंडीर, प्रदेश मंत्री प्रमोद कुमार पाठक, पंकज सिंह, सुरेंद्र प्रताप सिंह, प्रमोद पाल, सुधाकर ज्ञानार्थी आदि ने संबोधित किया।

Monday, April 21, 2025

28 मार्च 2005 से पूर्व विज्ञापित पदों पर नियुक्त बेसिक शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित किए जाने के सम्बन्ध में 22 अप्रैल की बैठक में बीटीसी 2004 और उर्दू बीटीसी 2005 बैच के बारे में विचार विमर्श किए जाने की मांग

28 मार्च 2005 से पूर्व विज्ञापित पदों पर नियुक्त बेसिक शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित किए जाने के सम्बन्ध में 22 अप्रैल की बैठक में बीटीसी 2004 और उर्दू बीटीसी 2005 बैच के बारे में विचार विमर्श किए जाने की मांग